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पॉलिसी वाच : राष्ट्रीय खनिज नीति, 2019

  • 02 Apr 2019
  • 8 min read

संदर्भ

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में राष्ट्रीय खनिज नीति, 2019 (National Mineral Policy-NMP 2019) को मंज़ूरी दी। इस नीति का उद्देश्य खनन क्षेत्र के प्रभावी विनियमन और सतत् विकास को सुनिश्चित करना है।

उद्देश्य

राष्ट्रीय खनिज नीति, 2019 का उद्देश्य प्रभावी, अर्थपूर्ण और कार्यान्वयन-योग्य नीति का निर्माण करना है जो बेहतर पारदर्शिता, विनियमन और प्रवर्तन, संतुलित सामाजिक व आर्थिक विकास के साथ-साथ दीर्घावधिक खनन अभ्यासों को बढ़ावा देने में सक्षम हो।

पृष्ठभूमि

  • राष्ट्रीय खनिज नीति 2019, मौजूदा राष्ट्रीय खनिज नीति 2008 (NMP 2008) का स्थान लेती है जिसे वर्ष 2008 में घोषित किया गया था।
  • NMP 2008 की समीक्षा करने की प्रेरणा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कॉमन कॉज बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया और अन्य के मामले में दिये गए एक निर्देश के बाद आई।
  • शीर्ष न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में खान मंत्रालय ने NMP 2008 की समीक्षा करने के लिये खान मंत्रालय के अपर सचिव डॉ. के. राजेश्वर राव की अध्यक्षता में 14 अगस्त, 2017 को एक समिति गठित की थी।
  • समिति की बैठकों और हितधारकों की टिप्पणियों/सुझावों पर विचार-विमर्श के बाद समिति ने रिपोर्ट तैयार कर खान मंत्रालय को प्रस्तुत की।
  • खान मंत्रालय ने समिति की रिपोर्ट को स्वीकार कर पूर्व विधायी परामर्श नीति (Pre-legislative Consultation Policy-PLCP) प्रक्रिया के हिस्से के रूप में हितधारकों की टिप्पणियों/सुझावों को आमंत्रित किया।
  • PLCP प्रक्रिया में प्राप्त टिप्पणियों/सुझावों और केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों की टिप्पणियों/सुझावों के आधार पर राष्ट्रीय खनिज नीति, 2019 को अंतिम रूप दिया गया।

नीति की प्रमुख विशेषताएँ

  • नीति में निजी क्षेत्र के लिये खनन के वित्तपोषण को बढ़ावा देने के लिये खनन गतिविधि को ‘उद्योग’ का दर्जा देने का प्रस्ताव है।
  • यह नीति खनिजों की निकासी और परिवहन के लिये तटीय जलमार्ग और अंतर्देशीय शिपिंग के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करती है और खनिजों के परिवहन को सुविधाजनक बनाने के लिये समर्पित खनिज गलियारों को भी प्रोत्साहित करती है।
  • नीति में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को दिये गए आरक्षित क्षेत्रों जिनका उपयोग नहीं किया गया है, को युक्तिसंगत बनाने और इन क्षेत्रों को नीलामी हेतु रखे जाने का भी उल्लेख किया गया है, जिससे निजी क्षेत्र को भागीदारी के अधिक अवसर प्राप्त होंगे।
  • इस नीति में निजी क्षेत्र की सहायता करने के लिये वैश्विक मानदंड के साथ कर, प्रभार और राजस्व के बीच सामंजस्य बनाने के प्रयासों का भी उल्लेख किया गया है।
  • यह निजी क्षेत्र को अन्वेषण (Exploration) हेतु प्रोत्साहित करती है।
  • इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि खनिज के लिये दीर्घकालिक आयात नीति से निजी क्षेत्र को बेहतर योजना और व्यापार में स्थिरता लाने में मदद मिलेगी।

नीति का प्रभाव

  • वाटर चैनल के माध्यम से खनिजों का परिवहन पारंपरिक तरीकों की तुलना में बहुत सस्ता और किफायती होता है। साथ ही, अंतर्देशीय जलमार्ग के विकास से खनिजों का उत्पादन करने वाले 12 राज्यों का एकीकरण होगा।
  • समर्पित खनिज गलियारे परिवहन की लागत तथा प्रदूषण को कम करने में मदद करेंगे साथ ही निर्यात द्वारा राजस्व को भी बढ़ावा देंगे।
  • भारत में अधिकांश खनिज पहाड़ी क्षेत्रों में या उन स्थानों पर पाए जाते हैं जहाँ जनजातियों की बहुलता होती है या जहाँ विकास नहीं हुआ है तथा उचित भौतिक या सामाजिक बुनियादी ढाँचे का अभाव है। ज़िला खनिज निधि से खनिज समृद्ध हर ज़िले के विकास में मदद मिलेगी।
  • ज़िला खनिज निधि का समुचित उपयोग न केवल स्थानीय क्षेत्र में जल, स्वास्थ्य देखभाल और कौशल जैसी बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाने में किया जाएगा बल्कि यह सतत् विकास में भी महत्त्वपूर्ण योगदान देगी।
  • नई नीति लोगों को शिक्षित करने और अपेक्षित कौशल प्रदान कर पर्यावरण की रक्षा करने में भी मदद करेगी।
  • निजी क्षेत्र उन आरक्षित क्षेत्रों में उत्पादन करने में सक्षम होगा, जिनका अभी तक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा उपयोग नहीं किया गया है।
  • एक बार खनन उद्योग को औद्योगिक दर्जा मिलने के बाद उद्यमियों के लिये बैंकों और अन्य संस्थानों से वित्त प्राप्त करना आसान हो जाएगा।
  • डेटाबेस के रखरखाव से उद्यमियों को उन क्षेत्रों की पहचान करने में मदद मिलेगी जहाँ खनिज पाए जाते हैं और इस प्रकार वे गतिविधियों की योजना बनाने में सक्षम होंगे।

आगे की राह

  • ज़िला खनिज निधि के उपयोग में पारदर्शिता होनी चाहिये।
  • खनिज गलियारों के सफल संचालन के लिये शिपिंग मंत्रालय, सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय तथा रेलवे मंत्रालय से सहायता की आवश्यकता होती है।
  • 'खनिज गलियारों' के संबंध में एक अलग कार्य बल खनिजों के निर्बाध परिवहन में बाधाओं की पहचान करने में मदद करेगा।
  • सरकार को भारत में खनन हेतु उपलब्ध उन खनिजों के आयात को रोकने के लिये खनन की लागत पर सब्सिडी देने की आवश्यकता है।
  • खनिज मुद्दों पर समर्पित फास्ट ट्रैक अदालतें न केवल निवेश को आकर्षित करेंगी, बल्कि निर्यात को प्रोत्साहन भी प्रदान करेंगी।
  • भारत में खनन की लागत को कम करने के लिये ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत खनन क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास कार्यों में निवेश किया जाना आवश्यक है, इससे लोगों को रोज़गार के अवसर प्रदान करने के साथ ही विदेशी मुद्रा की बचत होती है।

निष्कर्ष

खनिज संपन्न राज्यों के साथ पूरे देश की आर्थिक प्रगति के लिये राष्ट्रीय खनिज नीति का उचित कार्यान्वयन आवश्यक है। ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत, भारत सरकार का उद्देश्य अर्थव्यवस्था में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ाना है। खनिज/अयस्क आपूर्ति पर निर्भर डाउनस्ट्रीम उद्योगों की मांग को पूरा करने के लिये इस राष्ट्रीय पहल को स्थायी आधार पर खनिज क्षेत्र के समग्र विकास पर केंद्रित करने की आवश्यकता है।

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