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पर्सपेक्टिव: भारतीय अंतरिक्ष नीति - 2023

  • 04 May 2023
  • 11 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष नीति - 2023 को मंज़ूरी दी। नीति में कहा गया है कि राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी के रूप में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) मुख्य रूप से बाह्य अंतरिक्ष के बारे में और अधिक समझ विकसित करने के लिये नई अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों एवं अनुप्रयोगों के अनुसंधान व विकास के साथ मानव समझ के विस्तार पर ध्यान केंद्रित करेगा।

  • इस नीति को एक भविष्यवादी नीति के रूप में वर्णित किया गया है जो भारत को इस क्षेत्र में स्थापित करेगी और 21वीं सदी में भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र को लॉन्च करेगी।

नीति की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

यह नीति चार अलग-अलग, लेकिन संबंधित संस्थाओं का निर्माण करती है, जो आमतौर पर इसरो के पारंपरिक डोमेन रही गतिविधियों में निजी क्षेत्र की अधिक-से-अधिक भागीदारी की सुविधा प्रदान करेगी।

  • InSPACe (भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र): यह अंतरिक्ष प्रक्षेपण, लॉन्च पैड स्थापित करने, उपग्रहों को खरीदने और बेचने, और अन्य चीजों के बीच उच्च-रिज़ॉल्यूशन डेटा का प्रसार करने के लिये एकल खिड़की मज़ूरी और प्राधिकरण एजेंसी होगी।
    • यह NGEs (गैर-सरकारी संस्थाओं और इसमें निजी कंपनियाँ) और सरकारी कंपनियों के साथ प्रौद्योगिकियों, उत्पादों, प्रक्रियाओं एवं सर्वोत्तम प्रथाओं को भी साझा करेगा।
  • न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL): यह सार्वजनिक व्यय के माध्यम से बनाई गई अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों और प्लेटफार्मों के व्यावसायीकरण के साथ-साथ निजी या सार्वजनिक क्षेत्र से अंतरिक्ष घटकों, प्रौद्योगिकियों, प्लेटफार्मों और अन्य संपत्तियों के निर्माण, पट्टे या खरीद के लिये ज़िम्मेदार होगा।
  • अंतरिक्ष विभाग: यह समग्र नीति दिशानिर्देश प्रदान करेगा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों को लागू करने के लिये नोडल विभाग होगा और अन्य बातों के अलावा, विदेश मंत्रालय के परामर्श से वैश्विक अंतरिक्ष प्रशासन और कार्यक्रमों के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समन्वय का समन्वय करेगा।
    • अंतरिक्ष गतिविधि से उत्पन्न होने वाले विवादों को हल करने के लिये यह एक उपयुक्त तंत्र भी बनाएगा।

निजी क्षेत्र की भागीदारी क्यों महत्त्वपूर्ण है?

  • वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिये: वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी वर्तमान में 2% से कम है और अंतरिक्ष नीति भविष्य में इसे 10% तक बढ़ाने में मदद करेगी।
    • यह नीति अंतरिक्ष सुधारों में बहुत आवश्यक स्पष्टता के साथ आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करेगी और देश के लिये अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के अवसरों को चलाने के लिये निजी उद्योग की भागीदारी को बढ़ाएगी।
  • अंतरिक्ष अन्वेषण: निजी कंपनियों को अंतरिक्ष मिशन करने की अनुमति देने से निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देकर संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों को लाभ हुआ है।
    • उदाहरण के लिये, स्पेसएक्स का पुन: प्रयोज्य (Re-usable) फाल्कन 9 रॉकेट दुनिया भर के अंतरिक्ष मिशनों के लिये एक लोकप्रिय विकल्प बन गया है।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धात्मकता: अंतरिक्ष अन्वेषण में बढ़ती वैश्विक रुचि के साथ, निजी कंपनियाँ देशों को उद्योग में प्रतिस्पर्द्धि बने रहने में मदद कर सकती हैं।
  • लचीलापन: सरकारी एजेंसियों की तुलना में निजी कंपनियाँ अक्सर अधिक चुस्त और अनुकूलनीय होती हैं, जिससे उन्हें बाज़ार की बदलती मांगों और तकनीकी प्रगति के लिये अधिक तेज़ी से प्रतिक्रिया करने की अनुमति मिलती है।

इस नीति का महत्त्व क्या है?

  • भारत के अंतरिक्ष उद्योग को बढ़ावा देने के लिये महत्त्वपूर्ण कदम: नीति अंतरिक्ष उद्योग के मानकों को विकसित करेगी, चिह्नित अंतरिक्ष गतिविधियों को बढ़ावा देगी और अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र को व्यापक बनाने एवं उद्योग-अकादमिक संबंधों को सक्षम करने के लिये शिक्षाविदों के साथ काम करेगी।
  • नवाचार और भारत के नेतृत्व को बनाए रखना: इसरो बाह्य अंतरिक्ष में अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करेगा। इससे अंतरिक्ष अवसंरचना, अंतरिक्ष परिवहन, अंतरिक्ष अनुप्रयोगों, क्षमता निर्माण व मानव अंतरिक्ष उड़ान के क्षेत्रों में भारत की बढ़त बनाए रखने के लिये नई अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों और अनुप्रयोगों का विकास होगा।
  • अंतरिक्ष में भारत की शक्ति का विस्तार: अंतरिक्ष क्षमताओं को बढ़ाने के लिये; अंतरिक्ष में समृद्ध व्यावसायिक उपस्थिति को सक्षम, प्रोत्साहित और विकसित करना; प्रौद्योगिकी विकास के चालक के रूप में अंतरिक्ष का उपयोग करने और संबद्ध क्षेत्रों में लाभ प्राप्त करने; अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को आगे बढ़ाने एवं सभी हितधारकों के बीच अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिये एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिये।

भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र की वर्तमान स्थिति क्या है?

  • वर्तमान परिदृश्य:
    • लागत प्रभावी उपग्रहों के निर्माण के लिये भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र को विश्व स्तर पर मान्यता मिली है और अब भारत विदेशी उपग्रहों को भी अंतरिक्ष में ले जा रहा है।
    • निरस्त्रीकरण पर जिनेवा सम्मेलन (वर्ष 1979) के लिये भारत की प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में, देश बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण और नागरिक उपयोग की वकालत करता है साथ ही अंतरिक्ष क्षमताओं या कार्यक्रमों के किसी भी शस्त्रीकरण का विरोध करता है।
    • इसरो दुनिया की छठी सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसी है और इसकी सफलता दर असाधारण है।
    • 400 से अधिक निजी अंतरिक्ष कंपनियों के साथ, भारत अंतरिक्ष कंपनियों की संख्या में विश्व स्तर पर पाँचवें स्थान पर है।
    • भारतीय आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष 2012 से अब तक 100 से अधिक सक्रिय अंतरिक्ष कंपनियाँ हैं।

भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में हालिया विकास:

  • रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी: भारत ने हाल ही में रक्षा अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (DSRO) द्वारा समर्थित अपनी रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी (DSA) की स्थापना की है, जिसके पास "प्रतिद्वंदियों की अंतरिक्ष क्षमता को कम करने, बाधित करने, नष्ट करने या चकमा देने" के लिये हथियार बनाने का अधिकार है।
    • साथ ही, भारतीय प्रधान मंत्री ने डिफेंस एक्सपो 2022, गांधीनगर में रक्षा अंतरिक्ष मिशन का शुभारंभ किया।
  • उपग्रह निर्माण क्षमताओं का विस्तार: भारत का उपग्रह-निर्माण अवसर वर्ष 2025 तक 3.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा (वर्ष 2020 में यह 2.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर था)
  • संवाद कार्यक्रम: युवाओं के बीच अंतरिक्ष अनुसंधान को प्रोत्साहित करने और पोषित करने के लिये, इसरो ने बेंगलुरु में संवाद नामक अपना छात्र आउटरीच कार्यक्रम शुरू किया।

निष्कर्ष

भारत की नई अंतरिक्ष नीति की शुरूआत एक वाणिज्यिक अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने में मील का पत्थर है लेकिन निजी क्षेत्र की भागीदारी के संभावित लाभों को पूरी तरह से समझने के लिये अभी भी महत्त्वपूर्ण प्रश्नों का समाधान किया जाना बाकी है। सरकार और अन्य संस्थाएँ निजी स्टार्ट-अप के साथ सक्रिय रूप से कैसे जुड़ेंगी, इस पर स्पष्ट निर्देश और INSPACe की नियामक भूमिका यह सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण होगी कि यह नीति भारत में एक संपन्न एवं स्थायी वाणिज्यिक अंतरिक्ष उद्योग की ओर ले जाए।

 यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

मुख्य परीक्षा

प्रश्न.1 भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की क्या योजना है और यह हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम को कैसे लाभान्वित करेगा? (वर्ष 2019)

प्रश्न.2 अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों पर चर्चा कीजिये। इस प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग ने भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में किस प्रकार मदद की? (वर्ष 2016)

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