पर्सपेक्टिव : खेलो इंडिया के पाँच वर्ष | 02 Jun 2023
प्रिलिम्स के लिये:खेलो इंडिया स्कीम, खेलो इंडिया स्कूल एंड यूथ गेम्स, खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स, खेलो इंडिया विंटर गेम्स और टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS) मेन्स के लिये:खेलो इंडिया योजना की मुख्य विशेषताएँ, भारत को खेल राष्ट्र बनाने के लिये आवश्यक उपाय। |
चर्चा में क्यों?
खेलो इंडिया के पाँच वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर प्रधानमंत्री ने भारत में खेलों के विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से खेल प्रतिभाओं की पहचान करने एवं विकसित करने में उनके महत्त्वपूर्ण योगदान को रेखांकित किया।
खेलो इंडिया कार्यक्रम:
- पृष्ठभूमि:
- भारत में विश्व की सर्वाधिक युवा आबादी का निवास है, जिसमें लगभग 65% आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है।
- कुल जनसंख्या का 27.5% हिस्सा 15-29 वर्ष की आयु का है, जो एक गतिशील और जीवंत हिस्से का प्रतिनिधित्त्व करते हैं।
- खेलों में व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहित करने और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिये राजीव गांधी खेल अभियान (RGKA), शहरी खेल अवसंरचना योजना (USIS) एवं राष्ट्रीय खेल प्रतिभा खोज योजना (NSTSS) जैसी वर्तमान योजनाओं को एक ही योजना में विलय करने का प्रस्ताव रखा गया था, जिसे “खेलो इंडिया: खेलों के विकास हेतु राष्ट्रीय कार्यक्रम” का नाम दिया गया।
- परिचय:
- खेलो इंडिया, वर्ष 2017-18 में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा ज़मीनी स्तर के एथलीटों को एक मंच प्रदान करने तथा संपूर्ण भारत में खेल के बुनियादी ढाँचे का निर्माण करने के लिये परिकल्पित एक योजना है, जिसके परिणामस्वरूप भारत एक खेल राष्ट्र में परिवर्तित हो रहा है।
- खेलो इंडिया योजना युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय की प्रमुख केंद्रीय क्षेत्रक योजना है।
- व्यापक स्तर पर भागीदारी और खेलों में उत्कृष्टता बढ़ाने के दोहरे उद्देश्यों को प्राप्त करने की दृष्टि से सरकार ने 15वें वित्त आयोग (वर्ष 2021-22 से 2025 -26 तक) के दौरान "खेलो इंडिया - खेल के विकास के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम" की योजना को जारी रखने हेतु 3165.50 करोड़ रुपए के परिव्यय का निर्णय लिया है।
खेलो इंडिया के अंतर्गत आयोजित प्रतियोगिताएँ:
- इस कार्यक्रम के अंतर्गत खेलो इंडिया यूथ गेम्स (KIYG), खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स (KIUG) और खेलो इंडिया विंटर गेम्स को वार्षिक राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं के रूप में स्थापित किया गया था, जहाँ क्रमशः राज्यों और विश्वविद्यालयों का प्रतिनिधित्त्व करने वाले युवाओं ने अपने कौशल का प्रदर्शन करने के साथ-साथ पदक हासिल करने के लिये प्रतिस्पर्द्धा की।
कार्यक्रम का कार्यक्षेत्र:
- इसे 12 कार्यक्षेत्रों में विभाजित किया गया है:
- खेल के मैदान का विकास
- सामुदायिक अनुशिक्षण (कोचिंग) विकास
- राष्ट्रीय/क्षेत्रीय/राज्य खेल शिक्षाविदों को सहायता
- स्कूली विद्यार्थियों का शारीरिक स्वास्थ्य
- दिव्यांगों के मध्य खेल संस्कृति को प्रोत्साहन
- महिलाओं के लिये खेल
- राज्य स्तरीय खेलो इंडिया केंद्र
- वार्षिक खेल प्रतियोगिता
- शांति और विकास के लिये खेल
- प्रतिभा खोज और विकास
- खेलों अवसंरचना का विकास और उन्नयन
- ग्रामीण और स्वदेशी या जनजातीय खेलों को प्रोत्साहन
- इस कार्यक्रम के कार्यक्षेत्रों को बड़े कार्यक्षेत्रों के साथ समान रूप से विलय करके पुनर्व्यवस्थित एवं युक्तिसंगत बनाया गया है, इस प्रकार मौज़ूदा 12 कार्यक्षेत्रों को निम्नलिखित पाँच कार्यक्षेत्रों में सम्मिलित किया गया है:
- खेल अवसंरचना का विकास और उन्नयन
- खेल प्रतियोगिताएँ और प्रतिभा विकास
- खेलो इंडिया केंद्र और खेल अकादमियाँ
- फिट इंडिया मूवमेंट
- खेलों के माध्यम से समावेशिता को प्रोत्साहन
- खेलो इंडिया विंटर गेम्स को 'खेल प्रतियोगिताएँ और प्रतिभा विकास' कार्यक्षेत्र के तहत शामिल किया गया है। फिट इंडिया मूवमेंट को एक पृथक् कार्यक्षेत्र के रूप में पेश किया गया है।
इस कार्यक्रम की उपलब्धियाँ:
- इस योजना के अंतर्गत वर्ष 2017 से वर्ष 2021 तक आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में खेलो इंडिया स्कूल एंड यूथ गेम्स के तीन संस्करण, KIUG का एक संस्करण और खेलो इंडिया विंटर गेम्स के दो संस्करण संचालित हुए हैं, जिससे प्रतिभाशाली युवा खिलाड़ियों को अपने बेहतर प्रदर्शन का अवसर मिला है, जिसमें खेलो इंडिया छात्रवृत्ति के लिये सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षकों द्वारा खिलाड़ियों को अत्याधुनिक खेल परिसरों में प्रतियोगिता के उच्च स्तर के लिये प्रशिक्षित करना शामिल है।
- एथलीटों की सामूहिक भागीदारी: खेलों में 20,000 से अधिक एथलीटों की भागीदारी देखी गई है, जिसमें 3,000 से अधिक एथलीटों को खेलो इंडिया एथलीट (KIA) के रूप में पहचान मिली है, जो वर्तमान में खेलो इंडिया अकादमियों, भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) केंद्रों में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इस प्रशिक्षण में उपकरण, आहार और शिक्षा हेतु सहायता के अतिरिक्त प्रति माह ₹10,000 का अतिरिक्त भत्ता दिया जाता है।
- इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन और निवेश: खेलो इंडिया कार्यक्रम के शीर्षक "यूटिलाइज़ेशन एंड क्रिएशन/अपग्रेडेशन ऑफ स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर" के अंतर्गत स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के निर्माण की उन्नति के लिये भी अनुदान दिया गया है।
- निवेश का आवंटन, आयोजित कार्यक्रम के अनुसार किया जाता है न कि राज्य या खेल के अनुसार।
- उत्कृष्ट खिलाड़ियों का सृजन: खेलो इंडिया के कई एथलीट ऐसे हैं जिन्हें पिछले कुछ वर्षों में उनके प्रदर्शन के आधार पर z`में शामिल किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप आज वे कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश को गौरवान्वित कर रहे हैं।
- खिलाड़ियों को वित्तीय सहायता: उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा विभिन्न स्तरों पर खेल विधाओं में उत्कृष्ट पहचान रखने वाले प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को 8 वर्षों के लिये प्रतिवर्ष 5 लाख रुपए की वार्षिक वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
- स्पिलओवर प्रभाव/मनोवैज्ञानिक प्रभाव: इस कार्यक्रम ने वार्षिक राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं एवं खेल प्रशिक्षण सुविधाओं के माध्यम से भारत में खेल प्राधिकरणों तथा विद्यालयों पर प्रभाव डाला है।
- स्थानीय खेलों को प्रोत्साहन: खेलो इंडिया कार्यक्रम भारत के प्रत्येक ज़िले में स्थानीय खेलों को प्रोत्साहन प्रदान करता है। जिनमें गतका, कलारीपयट्टू, थांग-ता और मलखम्ब शामिल हैं।
- पारंपरिक खेलों को प्रोत्साहन: पारंपरिक खेल अधिक लोकप्रिय हो रहे हैं, कई लोग उन्हें अपना रहे हैं तथा कोच एवं प्रशिक्षक उनका समर्थन करने हेतु आगे आ रहे हैं, जो उन्हें योग की तरह वैश्विक बनने की क्षमता प्रदान करते हैं।
- देश में फिटनेस की भावना पैदा करना: फिट इंडिया मूवमेंट खेलो इंडिया का एक अनिवार्य पहलू है, जो लोगों के बीच फिटनेस को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। इसमें फिट इंडिया मोबाइल ऐप शामिल है जो लोगों को उनके फिटनेस लक्ष्यों को ट्रैक करने में मदद करता है, आहार संबंधी मार्गदर्शन प्रदान करता है तथा एक स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देता है।
- खेलों में लड़कियों की भागीदारी पर विशेष ध्यान: खेलो इंडिया गेम पूरे वर्ष आयोजित किये जा रहे हैं, जिसमें महिला एथलीटों पर विशेष ध्यान दिया जाता है, भारत के दूरदराज़ के क्षेत्रों में खेल संबंधी बुनियादी ढाँचे की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये 1.25 लाख से अधिक लड़कियों ने इन लीगों/प्रतिस्पर्द्धाओं में भाग लिया है।
कार्यक्रम की पूर्ण क्षमता प्राप्ति में चुनौतियाँ:
- सहायक बुनियादी ढाँचे का अभाव: कई स्कूलों, कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों में खेल के मैदान, उपकरण, कोच और प्रशिक्षकों जैसे खेलों के लिये पर्याप्त सुविधाएँ नहीं हैं। यह युवा एथलीटों की भागीदारी एवं प्रदर्शन को सीमित करता है।
- युवाओं को प्रोत्साहन का अभाव: कई माता-पिता, शिक्षक एवं समाज खेल को कॅरियर विकल्प या समग्र विकास के साधन रूप में महत्त्व नहीं देते हैं। वे अक्सर बच्चों को खेलकूद करने से हतोत्साहित करते हैं तथा अकादमिक उत्कृष्टता पसंद करते हैं।
- एक संगठित प्रणाली का अभाव: प्रतिभावान खिलाड़ियों की पहचान करने तथा उनका पोषण करने की प्रक्रिया जटिल एवं दीर्घकालिक है। इसमें विभिन्न एजेंसियों द्वारा परीक्षण, आकलन तथा चयन के कई चरण शामिल हैं। चयन प्रक्रिया में पक्षपात, क्षेत्रवाद और भ्रष्टाचार का भी जोखिम है।
- लड़कियों के खिलाफ लिंग पूर्वाग्रह: लड़कियों को खेलों में भाग लेने के लिये कई सामाजिक एवं सांस्कृतिक बाधाओं का सामना करना पड़ता है जैसे कि सुरक्षा के मुद्दे, गतिशीलता की कमी, परिवार के समर्थन की कमी, रोल मॉडल की कमी तथा रूढ़ियाँ।
- पारिश्रमिक एवं रोज़गार की सुरक्षा का अभाव: कई खिलाड़ियों को खेलों में अपना कॅरियर बनाने हेतु पर्याप्त वित्तीय सहायता या प्रोत्साहन नहीं मिलता है। खेलों से सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें अपने भविष्य की संभावनाओं के बारे में अनिश्चितता तथा असुरक्षा का भी सामना करना पड़ता है।
- संहिताबद्ध नियमों के अभाव में प्रशासनिक मुद्दे: योजना का कार्यान्वयन विभिन्न प्रशासनिक अड़चनों जैसे कि फंड (धन) जारी करने में देरी, हितधारकों के बीच समन्वय की कमी, निगरानी एवं मूल्यांकन तंत्र की कमी, जवाबदेही और शिकायत निवारण तंत्र की कमी से बाधित होता है।
- विभिन्न खेल निकायों में एक आंतरिक शिकायत समिति की अनुपस्थिति कभी-कभी महिला एथलीटों की यौन शोषण से सुरक्षा के बारे में सवाल खड़े करती है।
आगे की राह
- खेल अवसंरचना का निर्माण एवं उन्नयन: सरकार को देश भर में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों, जनजातीय क्षेत्रों, पूर्वोत्तर राज्यों तथा आकांक्षी ज़िलों में खेल अवसंरचना के निर्माण एवं उन्नयन में अधिक निवेश करना चाहिये।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी: सरकार को खेल अवसंरचना को बढ़ाने के लिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी, कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व कोष तथा सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MPLADS) जैसी अन्य योजनाओं के साथ अभिसरण का भी लाभ उठाना चाहिये।
- खेल प्रतियोगिताएँ एवं प्रतिभा विकास: सरकार को युवा एथलीटों को प्रदर्शन एवं अवसर प्रदान करने हेतु स्कूल, ज़िला, राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर जैसे विभिन्न स्तरों पर अधिक खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन करना चाहिये।
- खेलो इंडिया केंद्र एवं खेल अकादमियाँ: सरकार को प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को गुणवत्तापूर्ण कोचिंग, प्रशिक्षण, उपकरण, पोषण, चिकित्सा सहायता तथा छात्रवृत्ति प्रदान करने हेतु देश भर में और अधिक खेलो इंडिया केंद्र एवं खेल अकादमियाँ स्थापित करनी चाहिये।
- फिट इंडिया मूवमेंट: सरकार को फिट इंडिया मूवमेंट को एक जन अभियान के रूप में बढ़ावा देना चाहिये ताकि समाज के सभी वर्गों के बीच जागरूकता पैदा की जा सके तथा शारीरिक गतिविधि एवं फिटनेस को प्रोत्साहित किया जा सके।
- खेल के माध्यम से समावेशिता को बढ़ावा देना: सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि खेल समाज के सभी वर्गों, विशेष रूप से लड़कियों, महिलाओं, विकलांग व्यक्तियों, अल्पसंख्यकों तथा हाशिये के समूहों हेतु सस्ती एवं सुलभ हो।
- सरकार द्वारा इन समूहों के बीच भागीदारी एवं उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करने हेतु विशेष प्रोत्साहन, आरक्षण, कोटा तथा पुरस्कार भी प्रदान किया जाना चाहिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न 1. खेल पुरस्कारों के संबंध में निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2023)
उपर्युक्त में से कितने युग्म सही सुमेलित हैं? (a) केवल एक उत्तर: (d) प्रश्न 2. 44वें शतरंज ओलिम्पियाड, 2022 के बारे में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2023)
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं? (a) केवल एक उत्तर: (c) प्रश्न 3. 32वें ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) प्रश्न 4. वर्ष 2000 में प्रारंभ किये गए लॉरियस विश्व खेल पुरस्कार (लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवार्ड) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: C |