सुरक्षा
द बिग पिक्चर - NIA : सुरक्षित होता भारत
- 05 Jan 2019
- 10 min read
संदर्भ
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (National Investigation Agency-NIA) ने 26 दिसंबर को दिल्ली और उत्तर प्रदेश के 17 विभिन्न स्थानों पर छापे मारे। करीब पाँच महीने पहले ISIS से प्रेरित होकर आतंकी संगठन बने ‘हरकत उल हर्ब-ए-इस्लाम’ के खिलाफ यह कार्रवाई की गई। साथ ही संगठन से जुड़े 10 संदिग्धों को गिरफ्तार कर लिया गया। यह संगठन उत्तर भारत में भीड़-भाड़ वाले इलाकों में फिदायीन हमलों की साजिश रच रहा था। दिल्ली का आरएसएस मुख्यालय, दिल्ली पुलिस मुख्यालय, कई नेता और प्रमुख हस्तियाँ उसके निशाने पर थीं। संदिग्धों के पास से एक रॉकेट लॉन्चर, 12 पिस्तौल, 100 मोबाइल फोन, 135 सिम कार्ड और 25 किलोग्राम विस्फोटक बरामद किया गया है।
NIA अस्तित्व में कैसे आया?
- भारत पिछले कई वर्षों से बड़े पैमाने पर सीमा-पार से प्रायोजित आतंकवाद का शिकार हुआ है।
- आतंकवादी हमले न केवल उग्रवाद तथा वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में हुए हैं बल्कि आदिवासी इलाकों और प्रमुख शहरों के विभिन्न हिस्सों में भी आतंकवादी हमलों की असंख्य घटनाएँ घटी हैं।
- बड़ी संख्या में ऐसी घटनाओं के अलावा अन्य गतिविधियों जैसे-हथियारों और ड्रग्स की तस्करी, नकली भारतीय मुद्रा का संचलन तथा सीमा-पार से घुसपैठ आदि में अंतर्राज्यीय और अंतर्राष्ट्रीय संबंध पाए गए हैं।
- इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए यह महसूस किया गया कि आतंकवाद और कुछ अन्य अधिनियमों से संबंधित अपराधों की जाँच के लिये केंद्रीय स्तर पर एक एजेंसी की स्थापना की जानी चाहिये, जिसकी देश भर में शाखाएँ हों।
- प्रशासनिक सुधार आयोग सहित कई समितियों और विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट में इस तरह की एजेंसी की स्थापना के लिये सिफारिशें की थीं।
- सरकार ने इसमें शामिल मुद्दों पर उचित विचार और परीक्षण के बाद समवर्ती क्षेत्राधिकार ढाँचे में एक राष्ट्रीय जाँच एजेंसी की स्थापना के लिये प्रावधान करने हेतु कानून बनाने का प्रस्ताव दिया, जिसमें जाँच के लिये विशिष्ट अधिनियमों के तहत विशिष्ट मामलों को लेने का प्रावधान शामिल है।
- तदनुसार, एनआईए अधिनियम (NIA Act) 31 दिसंबर, 2008 को अधिनियमित किया गया और राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (National Investigation Agency-NIA) का जन्म हुआ।
- वर्तमान में NIA भारत में सेंट्रल काउंटर टेररिज्म लॉ एनफोर्समेंट एजेंसी (Central Counter Terrorism Law Enforcement Agency) के रूप में कार्य कर रही है।
- NIA ने अब तक 183 मामलों को दर्ज किया है और उनकी जाँच की है। आरोप पत्र प्रस्तुत करने के बाद 37 मामलों का पूर्ण या आंशिक रूप से परीक्षण कर उन्हें हल किया गया है।
- इनमें से 35 मामले दोषसिद्ध हुए हैं, इस प्रकार NIA को 94.4% मामलों में सज़ा दिलाने में सफलता हासिल हुई है।
NIA का उद्देश्य
- राष्ट्रीय जाँच एजेंसी का उद्देश्य एक बेहतर पेशेवर जाँच एजेंसी के रूप में खुद को स्थापित करना है जो उच्च स्तरीय अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर आधारित हो।
- NIA का लक्ष्य उच्च स्तर पर प्रशिक्षित, साझेदारी उन्मुख कार्यबल के रूप में विकसित होकर राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद और अन्य राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी जाँच में उत्कृष्टता के मानकों को स्थापित करना है।
- NIA का उद्देश्य मौजूदा और संभावित आतंकवादी समूहों/व्यक्तियों का निरोध करना है।
- इसका उद्देश्य आतंकवाद से संबंधित सभी सूचनाओं पर त्वरित कार्रवाई करना है।
NIA का कार्य तथा क्षेत्राधिकार
- सौंपे गए सभी मामलों की जाँच में नवीनतम वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करते हुए ऐसे मानकों को स्थापित करना जिन्हें सूचीबद्ध अपराधों (Scheduled Crime) की गहराई से जाँच करने के लिये अपनाए जाते हैं।
- प्रभावी और शीघ्र सुनवाई सुनिश्चित करना।
- एक संपूर्ण पेशेवर, परिणामोन्मुखी संगठन के रूप में विकसित करना, मानवाधिकारों तथा व्यक्ति की गरिमा की रक्षा करते हुए भारत के संविधान तथा कानून की मर्यादा को कायम रखना।
- नियमित अभ्यास, सर्वोत्तम प्रथाओं और प्रक्रियाओं के माध्यम से एक पेशेवर कार्य बल विकसित करना।
- सौंपे गए कर्त्तव्यों का निर्वहन करते हुए वैज्ञानिक और प्रगतिशील भावना प्रदर्शित करना।
- एजेंसी की गतिविधियों के हर क्षेत्र में आधुनिक तरीकों और नवीनतम तकनीक को शामिल करना
- एनआईए अधिनियम के कानूनी प्रावधानों के अनुपालन में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों तथा अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ पेशेवर और सौहार्द्रपूर्ण संबंध बनाए रखना।
- आतंकवादी मामलों की जाँच में सभी राज्यों और अन्य जाँच एजेंसियों की सहायता करना।
- सभी आतंकवाद से संबंधित सूचनाओं पर एक डेटाबेस बनाना और राज्यों तथा अन्य एजेंसियों के साथ उपलब्ध डेटाबेस को साझा करना।
- अन्य देशों में आतंकवाद से संबंधित कानूनों का अध्ययन तथा विश्लेषण करना और नियमित रूप से भारत में मौजूदा कानूनों की पर्याप्तता का मूल्यांकन और आवश्यक होने पर परिवर्तनों का प्रस्ताव करना।
- निःस्वार्थ और निडर प्रयासों के माध्यम से भारत के नागरिकों का विश्वास जीतना।
NIA की हालिया सफलता
- वर्ष 2012 में इंटरपोल और सऊदी खुफिया एजेंसियों की सहायता से NIA ने अबू जुंदाल उर्फ अबू हमजा, (पाकिस्तानी नागरिक), फसीह मोहम्मद और यासीन भटकल (इंडियन मुजाहिदीन) जैसे आतंकवादियों को सफलतापूर्वक गिरफ्तार किया।
- 29 अगस्त 2013 को NIA ने बिहार में इंडो नेपाल सीमा से इंडियन मुजाहिदीन के दो वरिष्ठ सदस्यों, अर्थात् अहमद सिद्दीबप्पा जरार उर्फ यासीन भटकल और असदुल्ला अख्तर उर्फ हेड्डी को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की।
- ये दोनों पिछले कई वर्षों से देश में हो रहे कई आतंकवादी हमलों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे, ये हमले एक आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के बैनर तले किये गए थे।
- 2014 में NIA के जाँचकर्त्ताओं ने बांग्लादेश में जमात-उल-मुजाहिदीन (JMB) की साजिश की जाँच शुरू की जो पश्चिम बंगाल, असम और झारखंड के भारतीय राज्यों में अपना आतंकी नेटवर्क फैलाने की साजिश रच रहा था।
- NIA सक्रिय रूप से बांग्लादेश सरकार और वहाँ के कानून प्रवर्तन एजेंसियों से जाँच किये जा रहे मामलों में सहयोग प्राप्त कर रही है।
- NIA जम्मू-कश्मीर में आतंक के विरुद्ध कार्रवाई में सक्रिय रूप से अपनी भूमिका निभा रहा है।
- 18 जनवरी, 2018 को NIA ने लश्कर-ए-तैयबा आतंकी समूह के प्रमुख हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन समेत 12 आतंकियों के विरुद्ध आरोप पत्र दायर किया।
- यह चार्जशीट भारत के छह राज्यों में आठ महीनों में किये गए जाँच के बाद दायर की गई थी, इस दौरान 300 से अधिक गवाहों की जाँच की गई तथा 950 "असंगत दस्तावेज़ों" और 600 इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब्त किया गया।
- जाँच के दौरान NIA ने पहली बार कश्मीरी फोटो जर्नलिस्ट कामरान यूसुफ सहित पत्थरबाज़ी की घटनाओं में शामिल लोगों को गिरफ्तार किया है।
निष्कर्ष
NIA ने इस खतरनाक आतंकी गुट का पर्दाफाश कर देश को एक बड़े खतरे से बचाने का काम तो किया ही है साथ ही यह भी जाहिर किया है कि आतंकवाद का खतरा अभी टला नहीं है और उससे सतर्क रहने की आवश्यकता पहले जैसी ही बनी हुई है। वर्तमान परिदृश्य में जहाँ आतंकवाद देश के सामने सबसे बड़ी सुरक्षा चुनौतियों में से एक है वहीँ दूसरी तरफ, NIA आतंकी मंसूबों को नेस्तनाबूत करने में सफलता हासिल कर रही है। सबसे पहले यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि संकीर्ण राजनीतिक हितों के लिये इसका दुरुपयोग न किया जाए। इसी के साथ इस सवाल का भी जवाब खोजना होगा कि आतंकवाद की राह पकड़ने वाले लोग मजहब की आड़ लेने में कैसे सफल हो जा रहे हैं?