शासन व्यवस्था
न्यू वर्ल्ड टेक ऑर्डर
- 29 Dec 2020
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संदर्भ
हाल ही में आईआईटी-2020 वैश्विक शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि री-लर्निंग (नए सिरे से सीखना), रि-थिंकिंग (नए सिरे से सोचना), रि-इनोवेटिंग (नए सिरे से प्रयोग करना) और रिइंवेंटिंग (नए सिरे से आविष्कार करना), कोविड-19 के बाद की व्यवस्था होगी।
- प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत “रिफॉर्म (सुधार), परफॉर्म (प्रदर्शन), ट्रांसफॉर्म (परिवर्तन)” के सिद्धांत के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
- वर्ष 2022 में भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगाँठ की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने पैन IIT आंदोलन से “गिविंग बैक टू इंडिया” मुहिम को लेकर एक ऊँचा मानदंड स्थापित करने का आग्रह किया।
प्रौद्योगिकी परिदृश्य
- कृत्रिम बुद्धिमता ( Artificial Intelligence- AI) की बढ़ती भूमिका के साथ विश्व ग्रोबोटाइज़ेशन (ग्लोबल +रोबोटाइज़ेशन) की ओर अग्रसर है।
- हालाँकि इससे संबंधित एक मुद्दा रोज़गार का भी है कि यदि मशीनों पर निर्भरता बढती है तो इसके परिणामस्वरूप रोज़गार में कमी होगी या नहीं।
- निजी क्षेत्र पूरी तरह से मानव-केंद्रित न होकर लाभार्जन पर आधारित होता है।
- प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सर्वाधिक योगदान केवल अमेरिकी और चीन द्वारा किया गया है।
भारतीय परिदृश्य
- प्रौद्योगिकी में उन्नति: देश में स्वदेशी उत्पादों और प्रौद्योगिकी के प्रति लोगों की निम्न या हीन मानसिकता में तेज़ी से बदलाव आ रहा है।
- सहायता पर निर्भरता: भले ही भारत ने प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पूर्व की तुलना में बहुत अधिक विकास किया है लेकिन विभिन्न प्रकार की तकनीकी सहायताओं के लिये यह अब भी अन्य देशों पर निर्भर है।
- भारत में मोबाइल कनेक्शनों की संख्या लगभग 1.5 बिलियन है लेकिन अभी भी पूर्ण क्षमता के साथ मोबाइल फोन के निर्माण से संबंधित पूर्ण जानकारी का अभाव है।
- चिकित्सा विशेषज्ञता के लिये भारत विश्व विख्यात है फिर भी अधिकांश चिकित्सा उपकरण दूसरे देशों से आयात किये जाते हैं।
- संसाधनों की कमी: भारत में अभी भी उस तंत्र का अभाव है जहाँ नवोन्मेषी विचारों के साथ आगे आने वाली युवा प्रतिभा को हमेशा संरक्षण या प्रोत्साहन मिल सके अथवा उसे सीड मनी (उद्यम स्थापित करने हेतु आर्थिक सहायता) उपलब्ध कराई जा सके।
- भारत और अनुसंधान एवं विकास: भारत में अनुसंधान एवं विकास पर कुल जीडीपी का 1% खर्च किया जाता है और उसमें से भी अधिकांश हिस्सेदारी सरकार की होती है। अनुसंधान एवं विकास पर खर्च की गई यह राशि दक्षिण कोरिया जैसे अन्य देशों की तुलना में काफी कम है जहाँ देश के सकल घरेलू उत्पाद का 3.4% इस पर पर खर्च किया जाता है। इसमें से 70% खर्च निजी क्षेत्र द्वारा किया जाता है।
प्रवासी भारतीयों की भूमिका:
- 90 के दशक में भारत में सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति के दौरान आईआईटी में पढ़े अधिकांश भारतीय प्रवासी सिलिकॉन वैली में बस गए थे।
- उन्होंने भारतीय कौशल, मानव संसाधन तथा अमेरिकी प्रौद्योगिकी आवश्यकताओं के मध्य सेतु के रूप में कार्य करके एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- प्रवासी भारतीय विशेष रूप से आईआईटी, बिट्स या एनआईटी के पूर्व छात्र, युवा प्रतिभाओं के संरक्षक के रूप में कार्य करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं क्योंकि उनके पास पहले से ही अनुभव है और वे यह अच्छी तरह से जानते हैं कि उन्नत तकनीक और अन्य विकसित देशों की क्या आवश्यकताएँ हैं?
प्रौद्योगिकी एवं शिक्षा
- राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के साथ शिक्षा प्रणाली भौतिक मोड से ऑनलाइन मोड में तब्दील हो गई।
- मुफ्त शिक्षा प्रदान करने पर भी भारत की लगभग 60% आबादी पूर्णकालिक उच्च शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ है।
- कुछ छात्र इंजीनियरिंग के क्षेत्र को पसंद नहीं करते हैं क्योंकि मुख्य रूप से वे पूर्णकालिक आधार पर उच्च शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ हैं।
- स्थायी आधार पर छात्रों के लिये ऑनलाइन शिक्षण सुविधा उपलब्ध कराने से उन्हें घर से अध्ययन करने में मदद मिल सकती है।
- इसके अलावा भारत को प्रौद्योगिकी क्षेत्र में विश्व स्तर पर सक्षम बनाने हेतु गुणवत्ता प्रौद्योगिकी नामांकन में आनुपातिक रूप से वृद्धि करने की आवश्यकता है।
आगे की राह
- मानव-केंद्रित दृष्टिकोण: सभी नई तकनीकों को मानव-केंद्रित होना चाहिये, व्यक्तिगत हितों को संरक्षित किया जाना चाहिये। आगामी प्रौद्योगिकियों का ज़ोर रोज़गार छीनने के बजाय अधिक रोज़गार प्रदान करने पर होना चाहिये।
- शिक्षा का सम्मिश्रण: यह सही समय है जब भारत को मिश्रित शिक्षा के बारे में सोचना चाहिये अर्थात् प्रशिक्षण के साथ-साथ ऑनलाइन अध्ययन।
- केवल थोड़े समय के लिये कॉलेज में उपस्थित होना और सैद्धांतिक कौशल के साथ अपने कौशल को बढ़ाने तथा अनुभव प्राप्त करने पर अधिक ध्यान केंद्रित करना।
- सरकार पर कम निर्भरता: निजी क्षेत्र अनुसंधान एवं विकास में निवेश करने को उत्सुक नहीं है।
- सभी प्रकार के तकनीकी विकास के लिये केवल सरकार पर निर्भर होना सही दृष्टिकोण नहीं है। निजी क्षेत्रों को आगे आकर अनुसंधान एवं विकास में निवेश करना होगा और इसके लिये लंबे समय तक काम करना होगा तथा सरकार बुनियादी ढाँचा, स्वास्थ्य सेवा आदि मुहैया कराने का कार्य जारी रखे।
निष्कर्ष
- जहाँ तक प्रौद्योगिकी की बात है भारत पहले के कुछ वर्षों की तुलना में वर्तमान में बेहतर स्थिति में है।
- भारतीय उत्पादों एवं प्रौद्योगिकी के संबंध में हमें अपनी मानसिकता में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है।
- भारत को आगे बढ़ने हेतु बेहतर प्रशिक्षण प्रदान करने की आवश्यकता है और सेवाओं के साथ-साथ उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है जिससे अनुसंधान एवं विकास में निवेश को बढाया जा सके।
- इसके अतिरिक्त निज़ी क्षेत्र को भी अपनी कमर कसने एवं इस क्षेत्र में सरकार के साथ सहयोग करने की आवश्यकता है।