देश-देशांतर/पॉलिसी वाच: राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति-2018 | 08 May 2018
संदर्भ एवं पृष्ठभूमि
हाल ही में भारत सरकार के दूरसंचार विभाग ने नई दूरसंचार नीति का मसौदा सार्वजनिक विमर्श के लिये जारी किया। इस नई नीति को राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति-2018 नाम दिया गया है।
- दूरसंचार के क्षेत्र में फिलहाल 2012 में बनाई गई राष्ट्रीय दूरसंचार नीति चलन में है। इससे पहले 1994 और 1999 में दूरसंचार नीतियाँ बनाई गई थीं।
- भारत में टेलीफोन सेवा सर्वप्रथम कोलकाता में 1881-82 में शुरू की गई थी। इससे मात्र छह साल पहले टेलीफोन का आविष्कार हुआ था।
- प्रथम स्वचालित टेलीफोन एक्सचेंज शिमला में 1913-14 में आरंभ किया गया था, जिसकी क्षमता 700 लाइनों की थी।
- स्वतंत्र नियामक के रूप में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई-TRAI) की स्थापना 1997 में की गई।
क्या खास है इस नीति में?
- 2020 तक सभी नागरिकों को 50 mbps की ब्रॉडबैंड सेवा उपलब्ध कराना।
- 2020 तक देश की सभी ग्राम पंचायतों को 1 gbps स्पीड वाले ब्रॉडबैंड से जोड़ना।
- इस कनेक्टिविटी को 2022 तक 10 gbps स्पीड वाले ब्रॉडबैंड में बदलना।
- नई पीढ़ी की प्रौद्योगिकी के लिये दूरसंचार क्षेत्र में 2022 तक 100 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित करना।
- मोबाइल सब्सक्राइबर घनत्व (Unique Mobile Subscriber Density) को 55 तथा 2022 तक 65 तक बढ़ाना।
- इस नीति में भारत नेट, नगर नेट, ग्राम नेट और जन वाई-फाई की चर्चा भी की गई है कि किस प्रकार देशभर में इंटरनेट का प्रसार किया जाएगा।
- इसके अलावा इस नीति में नेशनल फाइबर अथॉरिटी के गठन के प्रस्ताव के साथ वर्चुअल नेटवर्क ऑपरेटर्स पर भी चर्चा की गई है।
- इस नीति में राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड अभियान (National Broadband Mission) की स्थापना की बात कही गई है, जो USOF और सार्वजनिक-निजी भागीदारी के वित्त पोषण माध्यम से ब्रॉडबैंड की सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करेगा।
- इसके साथ ही नई नीति के तहत, भारत में सैटेलाइट कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (Satellite Communication Technology) को मज़बूत करने का भी उल्लेख किया गया है।
- 50 प्रतिशत घरों तक लैंडलाइन ब्रॉडबैंड की पहुँच सुनिश्चित करना तथा लैंडलाइन पोर्टेबिलिटी सेवाएँ प्रारंभ करना।
- डिजिटल संचार के लिये टिकाऊ और किफायती पहुँच सुनिश्चित करने हेतु स्पेक्ट्रम के इष्टतम मूल्य निर्धारण (Optimal Pricing of Spectrum) की नीति अपनाई जाएगी।
- अगली पीढ़ी के नेटवर्क के लिये मिड बैंड स्पेक्ट्रम, विशेष तौर पर 3 GHz से 24 GHz रेंज को पहचानने का प्रस्ताव किया गया है।
- बढ़ती मांग को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय प्रचलन के अनुसार E (71-76/81-86 GHz) और V (57-64 MHz) बैंड में मोबाइल टावरों के बीच संकेतों को प्रेषित करने के लिये उच्चतम रोडमैप का रेखांकन किया गया है।
- ऋण के बोझ से दबे दूरसंचार क्षेत्र को उबारने की बात भी इस मसौदे में कही गई है। इसके लिये दूरसंचार कंपनियों की लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम शुल्क की समीक्षा करने का प्रस्ताव है, क्योंकि इन सभी शुल्कों के कारण दूरसंचार सेवा की लागत बढ़ती है।
- डिजिटल संचार उपकरण, बुनियादी ढाँचे और सेवाओं पर कर तथा लेवी को तर्कसंगत बनाने का प्रस्ताव भी किया गया है।
- निवेश, नवाचार और उपभोक्ता हित को प्रभावित करने वाले विनियामक बाधाओं और नियामिकीय बोझ को कम करना।
- देश के सकल घरेलू उत्पाद में डिजिटल संचार क्षेत्र के योगदान को 8% तक बढ़ाना, जो 2017 में 6% से कम था।
- कानूनी और नियामिकीय व्यवस्था को सुसंगत बनाकर गोपनीयता और डेटा संरक्षण संबंधी प्रावधानों को शामिल करना।
- संचार नेटवर्क और सेवाओं पर लागू होने वाले वैश्विक मानकों के साथ क्रिप्टोग्राफी से संबंधित एन्क्रिप्शन और डेटा प्रतिधारण (Data Retention) पर नीति तैयार करना।
भारतनेट क्या है?
(टीम दृष्टि इनपुट) |
हवाई जहाज़ में भी मिलेगा मोबाइल और इंटरनेट
- हाल ही में दूरसंचार आयोग ने भारतीय हवाई क्षेत्र में यात्रा के दौरान मोबाइल तथा इंटरनेट कनेक्टिविटी की अनुमति देने का निर्णय किया है। इससे हवाई यात्रा के दौरान यात्रियों को इंटरनेट सुविधा मिल सकेगी।
- अभी हवाई जहाज़ में यात्रा करते समय फोन को फ्लाइट मोड पर रखना पड़ता है।
- अभी यात्री देश में अपने फोन का इस्तेमाल उसी समय तक कर सकते हैं जब तक विमान हवाई अड्डे पर खड़ा है, क्योंकि इस तरह की सेवाएं भारतीय वायु क्षेत्र में उपलब्ध नहीं हैं।
- इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी पर जारी अपनी सिफारिशों में ट्राई ने कहा कि अब एयरलाइनें कुछ शर्तों के साथ अपने यात्रियों को कुछ इंटरनेट व वाई-फाई सेवाएं प्रदान कर सकेंगी।
- कंप्यूटर व इंटरनेट सेवाएं विमान के उड़ान भरते ही शुरू की जा सकेंगी, परंतु मोबाइल सेवाओं के लिये विमान के 3000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर पहुँचने का इंतज़ार करना होगा।
- चूँकि मोबाइल का इस्तेमाल विमान परिचालन और संचार में बाधक हो सकता है, इसीलिये मोबाइल के इस्तेमाल के लिये 3000 मीटर ऊंचाई की न्यूनतम सीमा रखी गई है।
- ट्राई ने भारतीय एयरस्पेस में इन-फ्लाइट सेवाओं के लिये आईएफसी सर्विस प्रोवाइडर के रूप में एक नई श्रेणी प्रारंभ करने का सुझाव दिया है।
- आईएफसी सर्विस प्रोवाइडर को दूरसंचार विभाग में स्वयं को पंजीकृत कराना होगा।
- हालांकि उसके लिये भारतीय कंपनी होना जरूरी नहीं होगा और भारतीय तथा विदेशी दोनों प्रोवाइडर्स के लिये एक जैसे नियम होंगे।
- विदेशी कंपनियों को भारत में कानूनी रूप से ऐसी सेवाएं शुरू करने के लिये सैटेलाइट गेटवे स्थापित करना होगा जो इन-केबिन इंटरनेट यातायात को इंटरसेप्ट कर उन्हें मॉनीटर करेगा।
- इस सेवा के लिये भारतीय तथा विदेशी सैटेलाइटों का इस्तेमाल किया जा सकेगा।
- इसके अलावा दूरसंचार संबंधी शिकायतों से निपटने के लिये दूरसंचार लोकपाल का पद सृजित करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है।
- प्रस्तावित लोकपाल दूरसंचार नियामक ट्राई के अधीन आएगा और इसके लिये ट्राई कानून में संशोधन करना होगा।
- विदित हो कि दूरसंचार विभाग के लिये निर्णय लेने वाली शीर्ष संस्था है दूरसंचार आयोग।
अभी क्यों नहीं है अनुमति?
फिलहाल भारत के वायु क्षेत्र में उड़ान के दौरान मोबाइल फोन का उपयोग नहीं करने को कहा जाता है, क्योंकि इसकी वज़ह से मोबाइल के सिग्नल विमान के संचार तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं। इससे पायलट को नियंत्रण कक्ष से मिलने वाले संदेशों में बाधा पहुँच सकती है।
मोबाइल कम्युनिकेशन सर्विस ऑन बोर्ड एयरक्राफ्ट
हाल ही में मोबाइल कम्युनिकेशन सर्विस ऑन बोर्ड एयरक्राफ्ट की एक विशेष तकनीक से अब उड़ान के दौरान मोबाइल से कॉल करना या डाटा का इस्तेमाल करना संभव हो गया है। इसके आने के बाद विश्व की लगभग सभी प्रमुख एयरलाइंस कंपनियां यात्रियों को विमान में कॉल और इंटरनेट की सुविधा देने लगी हैं।
राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति-2018 को सफल बनाने हेतु कुछ महत्त्वपूर्ण सुझाव
(टीम दृष्टि इनपुट) |
स्पेक्ट्रम का मुद्दा
सरकार ने दूरसंचार ऑपरेटरों को राहत देने के लिये वर्ष 2015 में केंद्र सरकार ने स्पेक्ट्रम ट्रेडिंग की अनुमति दे दी थी। इसके तहत दूरसंचार ऑपरेटर एक-दूसरे से अपनी आवश्यकतानुसार स्पेक्ट्रम की खरीद-बिक्री कर सकती हैं और अपनी सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार ला सकती हैं। इससे महंगे स्पेक्ट्रम का अधिकतम उपयोग हो सकता है और कॉल ड्रॉप की समस्या भी कम हो सकती है। इससे पहले तक लीकॉम कंपनियां केवल नीलामी के जरिये ही स्पेक्ट्रम हासिल कर सकती थीं।
स्पेक्ट्रम क्या है?
मोबाइल फोन आने से पहले देश में पहले 'स्पेक्ट्रम' शब्द का इस्तेमाल इंद्रधनुष के रंगों के लिये ही किया जाता था। स्पेक्ट्रम से हमारा सामना प्रतिदिन होता है, फिर चाहे वह टीवी का रिमोट हो या माइक्रोवेव अवन या फिर धूप।
आखिर यह स्पेक्ट्रम है क्या? और कैसे इस वैज्ञानिक अवधारणा को लेकर सरकारी और कारोबारी फैसले से हमारे और आपके जीवन, जनोपयोगी सेवाओं और लागत पर असर पड़ता है?
- स्पेक्ट्रम, 'इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम' का लघु रूप है। स्पेक्ट्रम उस विकिरण ऊर्जा को कहते हैं, जो पृथ्वी को घेरे रहती है।
- इस इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन (Electro Magnetic Radiation-EMR) का मुख्य स्रोत सूर्य है। साथ ही, यह ऊर्जा तारों और आकाशगंगाओं से तथा पृथ्वी के नीचे दबे रेडियोएक्टिव तत्वों से भी मिलती है।
- EMR का एक रूप दिखाई देने वाली रोशनी है, जबकि दूसरा रूप रेडियो फ्रीक्वेंसी (Radio Frequency-RF) स्पेक्ट्रम होता है।
क्या है 2जी, 3जी,4जी, 5जी?
देश में 2017 में 4जी मोबाइल फोन और नेटवर्क तकनीक आने के साथ ही अब 2जी और 3जी मोबाइल और नेटवर्क लगभग समाप्ति की ओर अग्रसर हैं। फिलहाल भारत में 5जी तकनीक को लेकर अभी कोई मानक तय नहीं हैं, लेकिन माना जा रहा है यह सबसे तेज़ होगी। अनुमान है कि 5जी नेटवर्क तकनीक में न्यूनतम स्पीड 100 mbps हो सकती है तथा 4जी की तुलना में इसकी कनेक्टिविटी भी बेहतर होगी। (टीम दृष्टि इनपुट) |
निष्कर्ष: विभिन्न सेवाओं की आपूर्ति के लिये दूरसंचार आज सबसे महत्त्वपूर्ण घटक है। संचार क्षेत्र के लिये एक व्यवस्थित बाज़ार और स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धात्मक माहौल का होना अति आवश्यक है। विश्व में चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा दूरसंचार उपभोक्ता बाज़ार है और इसमें दुनिया का सबसे सफलतम दूरसंचार बाज़ार बनने की क्षमता है। इसके लिये विभिन्न मंत्रालयों के बीच समन्वय कायम करने के अलावा सरकार को इस नीति के सुचारु क्रियान्वयन के उपाय भी करने होंगे। दरअसल, अवसंरचना को मज़बूत बनाना देश की तात्कालिक आवश्यकता है। ऐसे में ब्रॉडबैंड सबसे त्वरित गति से और सर्वाधिक प्रतिफल प्रदान कर सकता है। इसके लिये ऐसी नीतियाँ अपनानी होंगी जो थोपे गए प्रशासनिक प्रतिबंधों के बजाय मौजूदा संसाधनों को उचित पहुँच दे पाएँ। पिछले कुछ वर्षों में संचार उद्योग की क्षमता बुरी तरह प्रभावित हुई है, जबकि देश को बेहतर प्रदर्शन और पहुँच की आवश्यकता है।