हिंद महासागरीय द्वीपीय राष्ट्र: कूटनीतिक संबंध | 23 Jun 2020
वैश्विक महामारी के कारण द्वीपीय देशों मॉरीशस और सेशेल्स में पर्यटन में भारी गिरावट के कारण यहाँ की अर्थव्यवस्था प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुई है। इन देशों की अर्थव्यवस्था मुख्यतः पर्यटन पर निर्भर है। दोनों द्वीपीय राष्ट्र भारतीय समुद्री सुरक्षा (India’s maritime security) का एक भाग है अत: फिलहाल भारत को कूटनीतिक रूप से आगे बढ़कर इनकी सहायता करने की ज़रूरत है। हिंद महासागर में चीन की सक्रियता इन द्वीपीय देशों के साथ हमारे संबंधों लिये एक संभावित ख़तरा हो सकता है।
मित्र देशों की सहायता हेतु भारतीय प्रयास
- भारत ने 180 देशों को लगभग 85 मिलियन हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) टेबलेट और करीब 500 मिलियन पारासिटामोल टेबलेट की आपूर्ति की है।
- भारतीय वायु सेना के विशेष वायुयान से मॉरीशस एवं सेशेल्स को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन टेबलेट उपहार के रूप में भेजा गया।
- भारत ने सेशेल्स, कोमोरोस, मेडागास्कर, मॉरीशस एवं मालदीव जैसे हिंद महासागरीय देशों में मेडिकल टीम, दवा इत्यादि की आपूर्ति हेतु नेवी के INS केसरी लैंडिंग जहाज को तैनात किया था।
- दो मेडिकल सहयोगी टीम युद्ध-पोत पर सवार थे जिन्हें कोमोरोस एवं मारीशस में तैनात किया जाएगा।
द्वीप देशों का सामरिक महत्व
- समुद्र के मुख्य लाइन ऑफ कम्युनिकेशन (Sea Lines Of Communication- SLOCs) पर उनकी स्थिति के कारण इन द्वीप राष्ट्रों का सामरिक अत्यधिक महत्त्व है।
- यह द्वीप इसलिये महत्वपूर्ण हैं कि अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्गो के साथ नेवी की निरंतर उपस्थिति की सुविधा प्रदान करते हैं, शांति के समय किसी नेवी को समुद्र के मुख्य लाइन ऑफ कम्युनिकेशन (SLOCs) की सुरक्षा एवं गश्त करने के अनुमति देतें है, तथा संघर्ष के दौरान उनके पास प्रतिकूल संचार को रोकने या बंद करने का विकल्प है।
भारत-श्रीलंका संबंध
- हाल ही में श्रीलंका ने देश में भारतीय सहायता प्राप्त विकास कार्यक्रम एवं भारत के निजी क्षेत्रों के माध्यम से निवेश की संभावनाओं को तेज़ी से बढ़ाने के लिये सहमति प्रदान किया है।
- श्रीलंका के राष्ट्रपति ने भारतीय प्रधानमंत्री को जितनी जल्दी संभव हो कोलंबिया बंदरगाह के पूर्वी टर्मिनल में निवेश करने हेतु बात की।
- भारत सद्भावना दिखाते हुए पिछले कुछ सप्ताह में श्रीलंका को 25 टन से अधिक मेडिकल आपूर्ति एवं आवश्यक जीवन रक्षक दवाओं की चार खेप भेज चुका है।
- हाल ही में श्रीलंका ने भारत से 1.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की करेंसी स्वैप फैसिलिटी प्रदान करने हेतु अनुरोध किया है ताकि कोरोनावायरस वैश्विक महामारी के कारण आर्थिक मंदी के मद्देनजर देश की निकासी विदेशी विनिमय भंडार को बढ़ाया जा सके।
- इसके अतिरिक्त श्रीलंका ने भारत सरकार से साउथ एशियन एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन फ्रेमवर्क (SAARC) के तहत 400 मिलियन USD की भी मांग की है।
Currency Swap Arrangement
करेंसी स्वैप अरेंजमेंट
- "स्वैप" का अर्थ विनिमय है। करेंसी स्वैप दो देशों के बीच पूर्व निर्धारित शर्तों के साथ करेंसी विनिमय के लिए एक संधि या अनुबंध है।
- केंद्रीय बैंक और सरकारें अल्पावधि विदेशी मुद्रा तरलता आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए या भुगतान संतुलन के संकट से बचने के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा को सुनिश्चित करने के लिए विदेशी समकक्षों के साथ करेंसी स्वैप की व्यवस्था करती हैं।
भारत-मॉरीशस संबंध
- हाल ही में दोनों देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए विचार-विमर्श किया है जिसमें वित्तीय क्षेत्र का समर्थन करने हेतु उपाय हैं।
- भारत द्वारा आवश्यक दवा आपूर्ति के खेप को नेवी के जहाज आई एन एस केसरी के माध्यम से मॉरीशस के 'पोर्ट लुईस' भेजा गया था।
- वर्ष 2007 से भारत मॉरीशस का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और यह मॉरीशस के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं का सबसे बड़ा निर्यातक रहा है।
- भारत और मॉरीशस ने द्विपक्षीय संबंधों की कई MoUs पर हस्ताक्षर किये है, जिसमें शामिल हैं:
- आतंकवाद के विरुद्ध सहयोग (2005)
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग (2012)
- MSME क्षेत्र में सहयोग (2013) एवं
- महासागरीय अर्थव्यवस्था में सहयोग (2015)
- वर्ष 2015 में भारतीय प्रधानमंत्री ने अपने मॉरीशस यात्रा के दौरान "सागर विज़न" की शुरुआत की थी।
सागर (सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीज़न)
- वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री के मॉरीशस यात्रा के दौरान इस विज़न की शुरुआत की गई थी जिसका उद्देश्य ब्लू इकॉनमी पर ध्यान केंद्रित करना था।
- यह समुद्री सुरक्षा, साझेदारी एवं सहयोग के महत्त्व में वृद्धि की एक पहचान हैं।
- भारत 'सागर' के माध्यम से अपने समुद्री पड़ोसियों के साथ आर्थिक एवं सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने का प्रयास करता है और उनकी समुद्री सुरक्षा क्षमता को बढ़ाने में सहयोग करता है।
- इसके लिए भारत उनकी क्षमताओं को मजबूत करने, बुनियादी ढाँचा को बेहतर बनाने, तटीय सर्विलांस सूचनाओं को साझा करने पर सहयोग करेगा।
- 'सागर विज़न' की प्रासंगिकता को भारत के अन्य नीतियों के परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है, जैसे -ब्लू अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करना, प्रोजेक्ट मौसम, प्रोजेक्ट सागरमाला ,एक्ट ईस्ट पॉलिसी इत्यादि के साथ भारत एक संपूर्ण सुरक्षा प्रदाता (net security provider) के रूप में सामने आना चाहता है।
ब्लू इकॉनमी- विश्व बैंक के अनुसार, नीली अर्थव्यवस्था एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जिसमें महासागर के पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के साथ आर्थिक वृद्धि, सुधार, आजीविका और रोज़गार के लिए महासागर के संसाधनों का उपयोग उपयुक्त तरीके से किया जाए।
हिंद महासागर में चीन का बढ़ता प्रभुत्व
- हिंद महासागर के उत्तरी भाग में चीनी पनडुब्बियों की तैनाती के साथ चीन की उपस्थिति बढ़ रही है और इस क्षेत्र में जहाज़ों की उपस्थिति भारत के लिए एक चुनौती है।
- चीन ने अन्य देशों की तुलना में जहाज़ निर्माण के क्षेत्र में सबसे अधिक राशि निवेश किया है।
- चीन का जापान के साथ पूर्वी चीन सागर में समुद्री विवाद है और वह दक्षिण चीन सागर के 90 प्रतिशत भाग पर हिस्सेदारी का दावा करता है।
- इसके अतिरिक्त चीन अपने बेल्ट एंड रोड पहल के अंतर्गत श्रीलंका जैसे द्वीपीय देशों में इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के विकास को बढ़ावा दे रहा है।
चीन का बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव
- चीन का 'बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव', जो कभी-कभी "न्यू सिल्क रोड" के रूप में भी जाना किया जाता है, सबसे महत्वाकांक्षी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में से एक है।इस परियोजना में दो भाग हैं:
- सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट: यह भूमि आधारित है एवं यह चीन को पश्चिमी एवं पूर्वी यूरोप तथा मध्य एशिया के साथ जोड़ेगा।
- 21वीं सदी का समुद्री सिल्क रोड: यह समुद्र-आधारित है और चीन के दक्षिणी तट को भूमध्यसागर, अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया एवं मध्य एशिया से जोड़ेगा।
आगे की राह
- भारत उच्च अर्थव्यवस्था वाले 10 देशों की सूची में शामिल है और उन शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाओं का निर्माण वैश्विक समुद्री व्यापार के आधार पर किया जाता है।
- इन समुद्री पड़ोसियों के साथ संगठित होने के लिए संपर्क बढ़ाने की आवश्यकता होती है।
- ये द्वीपीय राष्ट्र कोविड -19 के कारण बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं जहाँ भारत इनकी ज़रूरतों में एक मित्र के रूप में कार्य करना चाहिये:
- उनके बुलावे पर सबसे पहले प्रतिक्रिया देना चाहिये।
- ऐसे देशों को सहयोग एवं सुरक्षा प्रदान करना चाहिये ताकि भविष्य में उनका समर्थन मिल सके।
- चीनी सक्रियता को संतुलित करने हेतु उपाय:
- मजबूती और शक्ति के संदर्भ में चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करने के बदले भारत को कूटनीतिक एवं साख आधारित दृष्टिकोण शुरू करना चाहिये तथा हिन्द महासागर नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश करनी चाहिये।