अंतर्राष्ट्रीय संबंध
पब्लिक फोरम : भारत-रूस सैन्य सहयोग
- 31 Jan 2018
- 21 min read
प्रसारण तिथि 23.01.2018
चर्चा में शामिल मेहमान
डॉ. रघुवंश सिन्हा (वरिष्ठ पत्रकार)
रिटा. ले.ज. एस.के. सक्सेना (पूर्व डायरेक्टर जनरल-आर्मी एंड एयर डिफेंस)
एंकर- अनुराग पुनेठा
सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: शासन व्यवस्था, संविधान, शासन प्रणाली, सामाजिक न्याय तथा अंतरराष्ट्रीय संबंध
(खंड-18 : द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)
संदर्भ व पृष्ठभूमि
कैसी भी परिस्थितियाँ क्यों न रही हों, रूस ने हमेशा से भारत का साथ दिया है; और यह मित्रता है केवल लेन-देन तक सीमित नहीं है। इतिहास साक्षी है कि रूस हर परिस्थिति में भारत के साथ खड़ा रहा है। भारत और रूस के संबंध राजनीतिक व कारोबारी संबंधों से भी बढ़कर हैं और पाकिस्तान के साथ युद्ध के समय हमें रूस का पूरा सहयोग मिला और आज भी हमारी अधिकांश सैन्य साजो-सामान की आपूर्ति रूस से ही होती है।
भारत-रूस सहयोग संधि
9 अगस्त, 1971 को भारत ने रूस के साथ 20 वर्षीय सहयोग संधि पर हस्ताक्षर किये थे। इनमें संप्रभुता के प्रति सम्मान और एक-दूसरे के हितों का ध्यान रखना, अच्छा पड़ोसी बनना और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व कायम करना शामिल है। 1993 में रूस और भारत ने शांति, मैत्री और सहयोग की नई संधि की, लेकिन उसका आधार भी इन्हीं बुनियादी सिद्धांतों को बनाया गया।
एस-400 एंटी मिसाइल रक्षा प्रणाली
- यह एक ऐसी एयर डिफेंस मिसाइल प्रणाली है जो बाहरी मिसाइल हमलों से रक्षा करती है। यह संभावित मिसाइल हमले की तुरंत जानकारी देती है और ज़रूरत पड़ने पर एंटी मिसाइल दागकर दुश्मन की मिसाइल को मार गिराती है।
- इसकी सहायता से 600 किमी. तक की रेंज में ट्रैकिंग की जा सकती है।
- यह डिफेंस सिस्टम एक समय में 400 किमी. की रेंज में 36 लक्ष्यों को निशाना बना सकता है।
- इस प्रणाली में लगे रडार एक साथ 100 से लेकर 300 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकते हैं।
- इस सिस्टम में लगी मिसाइलें 400 किमी. तक मार कर सकती हैं।
- यह अमेरिका के सबसे उन्नत युद्धक विमान एफ-35 को गिराने की क्षमता रखता है।
- इस डिफेंस सिस्टम से एक साथ तीन मिसाइलें दागी जा सकती हैं।
- इसमें मिसाइल से लेकर ड्रोन तक यानी इसकी रेंज में आने वाला कोई भी हवाई आक्रमण ध्वस्त करने की क्षमता है।
- इस डिफेंस सिस्टम से विमानों, क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ-साथ जमीनी ठिकानों को भी निशाना बनाया जा सकता है।
- यह रूस की उस नई वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली का हिस्सा है, जो 2007 में रूसी सेना में तैनात की गई थी।
- चीन के पास पहले से यह डिफेंस सिस्टम मौजूद है, जो उसने रूस से खरीदा था और चीन की सेना इसका इस्तेमाल कर रही है।
वार्षिक शिखर सम्मेलन और सैन्य अभ्यास
- रूस-भारत द्विपक्षीय संबंधों में वार्षिक शिखर बैठक अब एक स्थापित परंपरा बन गई है, जिससे लक्ष्यों को पूरा करने के लिये किये गए प्रयासों पर समयबद्ध तरीके से चर्चा का मौका मिलता है और साथ ही दोनों देशों को दीर्घकालिक लक्ष्यों को तय करने में आसानी होती है। अन्य क्षेत्रों में सहयोग के अलावा दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग भी बढ़ा है। दोनों देशों की थल सेनाएँ और नौसेनाएँ नियमित रूप से संयुक्त अभ्यास में हिस्सा लेती हैं।
रूसी परमाणु पनडुब्बियाँ
विमानवाहक युद्धपोत
(टीम दृष्टि इनपुट) |
सैन्य उपकरण उत्पादन सहयोग
बहुउद्देशीय हथियारों और सैन्य उपकरणों के उत्पादन में दोनों देश सघन सहयोग करते हैं। सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल 'ब्रह्मोस' को मिलकर बनाना दोनों देशों के बीच सैन्य संबंधों में विश्वास का परिचायक है। सैन्य और तकनीकी सहयोग के ढाँचे के भीतर 1960 के बाद से 2016 तक 65 अरब डॉलर से ज़्यादा के कॉन्ट्रैक्ट हो चुके हैं। ऑर्डर भी 2012 से 2016 के बीच 46 अरब डॉलर से अधिक हो गए हैं। अंतरराष्ट्रीय मामलों में रूस और भारत बराबर के सहयोगी हैं। दोनों देश अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बहुध्रुवीय लोकतांत्रिक प्रणाली का समर्थन करते हैं, जिसमें कानून के सिद्धांतों के साथ कड़ाई से पालन हो और संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका हो। हम इसके लिये तैयार हैं कि इक्कीसवीं सदी की चुनौतियों और खतरों का और मिलकर मुकाबला करें, एकजुटता के अजेंडे को बढ़ावा दें और ग्लोबल और क्षेत्रीय सुरक्षा को बनाए रखने में योगदान दें।
पाँचवीं पीढ़ी का युद्धक विमान
भारत और रूस ने 2007 में पाँचवीं पीढ़ी के युद्धक विमान (Fifth Generation Fighter Aircraft-FGFA) को मिलकर बनाने के लिये अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। इस परियोजना पर प्रगति काफी धीमी है क्योंकि यह बेहद जटिल मामला है।
- अरबों डॉलर की इस परियोजना के पीछे रूस का उद्देश्य भारत को अमेरिका, इज़राइल तथा अन्य पश्चिमी देशों से युद्धक विमान खरीदने के बजाय रूस के सहयोग से निर्मित जेट विमान खरीदने के लिये प्रेरित करना है।
- दोनों देश युद्धक विमान के डिज़ाइन पर मिलकर काम कर रहे हैं, जिसमें भारत की हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड और रूस की सुखोई डिजाइन ब्यूरो शामिल हैं।
- इस सह-निर्माण के तहत भारत और रूस अगले 10 साल में 200-300 पाँचवीं पीढ़ी के युद्धक विमान बनाएंगे।
- इस परियोजना के तहत पांचवीं पीढ़ी के युद्धक विमान के परीक्षण रूस में शुरू हो चुके हैं, जो अमेरिका के नवीनतम एफ-22 रैप्टर से प्रतिस्पर्द्धा करेगा।
- ध्वनि से तेज़ रफ्तार से उड़ने वाला पाँचवीं पीढ़ी का पीएके-एफएटी-50 विमान 5500 किमी. तक लगातार उड़ सकता है और इसके इसी वर्ष (2018) रूसी वायुसेना में शामिल करने होने की संभावना है।
- फिलहाल, अमेरिका का एफ-22 पाँचवीं पीढ़ी का दुनिया का एकमात्र युद्धक विमान है और रूसी एफजीएफए अमेरिकी एफ-22 रैप्टर और एफ-35 लाइटनिंग 2 से प्रतिस्पर्द्धा करेगा।
वर्तमान में भारत-रूस संबंध
(टीम दृष्टि इनपुट) |
शीतयुद्ध के बाद भारत-सोवियत रणनीतिक साझेदारी
- चीन के खतरे को देखते हुए ही भारत और रूस एक-दूसरे के निकट आए, लेकिन शीतयुद्ध के अंत के बाद चीन को अब अपनी सुरक्षा के लिये रूस खतरा नहीं मानता।
- रूस द्वारा चीन के साथ सीमा विवाद के निपटारे, आर्थिक और कारोबारी संबंधों में विस्तार और रूसी हथियारों और रक्षा प्रौद्योगिकियों का चीन एक प्रमुख आयातक होने के कारण भारत एवं रूस का चीन के प्रति अलग-अलग दृष्टिकोण है।
- चीन की विस्तारवादी नीतियों और परमाणु शस्त्रागार में गुणात्मक वृद्धि के कारण रूस अभी भी चीन को लेकर बहुत सावधान रहता है। इसके अलावा चीन द्वारा मध्य एशिया और पूर्वी यूरोप में विकसित किये जा रहे चीनी मार्ग पर भी रूस को आपत्ति है, क्योंकि दोनों ही क्षेत्रों का सामरिक महत्त्व है। रूस की चीन के साथ वर्तमान निकटता केवल सामरिक संबंधों के कारण बनी हुई है।
भारत क्या करे?
(टीम दृष्टि इनपुट) |
निष्कर्ष: पूर्व में सोवियत संघ और वर्तमान में रूस के साथ मज़बूत एवं प्रगाढ़ संबध भारत की विदेश नीति का प्रमुख स्तंभ रहा है। भारत-रूस के बीच कई क्षेत्रों में व्यापक सहयोग हुआ है और आपसी संबंधों को विस्तार मिला है। दोनों देश तेज़ी से विकसित हो रहे विश्व भू-राजनीतिक परिदृश्य में यथार्थवादी आधार पर मिलकर कार्य करने पर सहमत हैं। अंतरराष्ट्रीय मामलों में रूस और भारत बराबर सहयोगी हैं और बहुध्रुवीय लोकतांत्रिक प्रणाली का समर्थन करते हैं, जिसमें कानून के सिद्धांतों का कड़ाई से पालन हो और संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका हो।
दोनों देश 21वीं सदी की चुनौतियों और खतरों का मिलकर मुकाबला करने और वैश्विक तथा क्षेत्रीय सुरक्षा को बनाए रखने में योगदान करने पर भी एकमत हैं। फिलहाल दोनों देशों के संबंध, वैश्विक भू-राजनीतिक परिस्थितियों में हुए परिवर्तनों के बावजूद स्थिर बने हुए हैं। इतिहास गवाह रहा है कि संकट का समय रहा हो या सुविधा का कालखंड, यदि कोई एक देश बिना लाग-लपेट हमारे साथ खड़ा रहा तो वह रूस ही है। भारत के साथ सदा-सर्वदा एक शक्ति के रूप में रूस खड़ा रहा है और यह शक्ति दोनों देशों की मित्रता की शक्ति है।