द बिग पिक्चर/देश-देशांतर/स्पेशल प्रोग्राम : और मजबूत होते भारत-इज़राइल संबंध | 16 Jan 2018
संदर्भ व पृष्ठभूमि
भारत और इज़राइल के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने पर इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की हालिया भारत यात्रा। गौरतलब है कि लगभग दो वर्षों की अवधि में दोनों ही देशों के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति एक-दूसरे देश की यात्राएँ कर चुके हैं। पिछले वर्ष जुलाई में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इज़राइल की यात्रा पर गए थे तो ऐसा करने वाले वे पहले भारतीय प्रधानमंत्री थे। उनसे पहले तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 2015 में इज़राइल की यात्रा पर गए थे।
निरंतर बढ़ रहा है सहयोग
दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग समय के साथ बराबर बढ़ता जा रहा है। राजनीतिक समझ, सुरक्षा सहयोग और प्रौद्योगिकी साझेदारी भारत और इज़राइल के बीच रणनीतिक संबंधों के मुख्य स्तंभ हैं। इसके अलावा दोनों देश अंतरिक्ष, साइबर सुरक्षा एवं नवोन्मेष (स्टार्ट-अप) जैसे नए क्षेत्रों में संभावनाओं की तलाश में हैं।
संयुक्त वक्तव्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने संयुक्त वक्तव्य में साझा हितों, आपसी सहयोग एवं सद्भाव को बढ़ावा देने की बात कही। संयुक्त वक्तव्य में पाकिस्तान समर्थित आंतकवाद का कोई उल्लेख नहीं किया गया। इज़राइली प्रधानमंत्री ने आतंकवाद की लड़ाई में सहयोग को रेखांकित करते हुए कहा कि दोनों देशों को बढ़ते आंतकवाद का सामना करना पड़ा है लेकिन हम मिलकर उसका मुकाबला करेंगे। दोनों नेताओं ने पिछले कुछ वर्षों में भारत-इज़राइल द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूती के लिये एक-दूसरे के द्वारा किये गए योगदान की भी चर्चा की।
इन क्षेत्रों में हुए 9 समझौते
- साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग
- तेल एवं गैस क्षेत्र में सहयोग
- हवाई परिवहन समझौते में संशोधनों पर प्रोटोकॉल
- फिल्म-सह-उत्पादन पर समझौता
- होम्योपैथिक औषधियों से जुड़े अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग
- अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग
- इन्वेस्ट इंडिया और इन्वेस्ट इन इज़राइल के बीच समझौता
- मेटल-एयर बैटरियों के क्षेत्र में सहयोग
- संकेंद्रित सौर तापीय प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में सहयोग
इन समझौतों में उल्लेखनीय यह है कि ये सभी सैन्य क्षेत्र से अलग हटकर हैं, जो दोनों देशों के बीच अन्य मुद्दों पर बढ़ते सहयोग का परिचायक हैं|
रक्षा क्षेत्र में इज़राइल के लिये हैं अपार अवसर
भारत ने इज़राइल की रक्षा कंपनियों को 'मेक इन इंडिया' में संयुक्त उत्पादन के लिये आमंत्रित किया, क्योंकि भारत में रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में इज़राइल के लिये निवेश के अच्छे अवसर हैं। इज़राइल यदि रक्षा उत्पादन क्षेत्र में निवेश करता है तो इससे भारत को अरबों डॉलर की बचत होगी, जो इज़राइल से हथियारों के आयात पर खर्च होता है। विदित हो कि रूस के बाद इज़राइल भारत का दूसरा सबसे बड़ा हथियारों का आपूर्तिकर्त्ता है। रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में निवेश होने से घरेलू विनिर्माण को लाभ होगा, नौकरशाही के माध्यम से संचालित राज्य के स्वामित्व वाली आयुध कारखानों पर निर्भरता कम होगी तथा नई तकनीक भी प्राप्त होगी। भारत ने इज़राइली कंपनियों को रक्षा क्षेत्र में भारत की उदार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति का लाभ उठाने के लिये संयुक्त उत्पादन करने का प्रस्ताव दिया।
द्विपक्षीय निवेश संधि की आवश्यकता दोनों देशों ने द्विपक्षीय निवेश संधि को जल्दी-से-जल्दी पूरा करने पर भी सहमति जताई। उल्लेखनीय है कि भारत और इज़राइल के बीच 1996 में द्विपक्षीय निवेश संधि पर समझौता हुआ था, परंतु कुछ समय पूर्व भारत द्वारा 58 द्विपक्षीय निवेश संधियों को रद्द करने के दौरान इसे भी रद्द कर दिया गया।
(टीम दृष्टि इनपुट) |
सहयोग के अन्य मुद्दे
- कारोबारी संभावनाओं की तलाश करने के लिये इज़राइली प्रधानमंत्री के साथ वहाँ की 102 कंपनियों के 130 प्रतिनिधि भी भारत आए।
- नौ समझौतों के अलावा नैसकॉम और इज़राइल के मासचैलेंज ने भारत के 10 स्टार्ट-अप को प्रत्येक को 5,000 डॉलर की मदद देने पर प्रतिबद्धता जताई है।
- भारत, अमेरिका और इज़राइल के बीच उद्यमशीलता और त्रिस्तरीय बिज़नेस संभावनाओं को बढ़ाने के लिये 5 करोड़ डॉलर का एक फंड भी बनाया गया है।
- इज़राइल नवाचार के मामले में अग्रणी है और तकनीक के मामले में वैश्विक ताकत है, जबकि भारत रचनात्मक प्रतिभाओं विशेषकर वैज्ञानिकों आदि के मामले में धनी है।
- भारत और इज़राइल के बीच साइबर सुरक्षा और सीमा पर निगरानी तंत्र में भी सहयोग की संभावनाएँ हैं।
- भारत बुनियादी ढाँचा विकास और स्मार्ट सिटी परियोजनाओं में भी इज़राइली विशेषज्ञता की मदद ले सकता है।
- इज़राइल को ‘स्टार्ट-अप’ हब के रूप में भी जाना जाता है जो भारत की नई आईटी कंपनियों के आगे बढ़ने और बाज़ार में बने में सहायता कर सकता है।
- इज़राइल की निकटता से भारत को अमेरिका से विशेष लाभ भी मिल सकता है क्योंकि इज़राइल और अमेरिका के घनिष्ठ संबंध जगजाहिर हैं।
कृषि में सहयोग
- भारत के कृषि मंत्री की पिछले वर्ष हुई इज़राइल यात्रा के दौरान दोनों देशों ने कृषि क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने का निर्णय लिया था।
- दोनों देशों के बीच कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में सहयोग को और अधिक बढ़ाने की प्रतिबद्धता के मद्देनज़र बागवानी के क्षेत्र में 2015 से एक कार्यक्रम क्रियान्वित किया जा रहा है।
- इस कार्यक्रम के तहत विभिन्न फलों एवं सब्जियों की खेती के लिये 21 राज्यों में 27 उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किये जा रहे हैं, जिनमें से अधिकांश की स्थापना का काम पूरा हो चुका है।
- इज़राइल में पानी की कमी के कारण सिंचाई के लिये ड्रिप इरिगेशन पद्धति का उपयोग होता है।
- बागवानी, खेती, बागान प्रबंधन, नर्सरी प्रबंधन, सूक्ष्म सिंचाई और सिंचाई पश्चात् प्रबंधन क्षेत्र में इज़राइली प्रौद्योगिकी से भारत को काफी लाभ मिला है।
- इसका हरियाणा और महाराष्ट्र में काफी उपयोग किया गया है।
अरब देशों से संबंधों पर प्रभाव नहीं इस सहयोग का एक उल्लेखनीय पहलू यह भी है कि अरब मुल्कों के साथ इज़राइल की चिर शत्रुता के बावजूद इज़राइल-भारत के संबंधों से भारत का कारोबार इन देशों के साथ प्रभावित नहीं हुआ और यह 151 मिलियन डॉलर तक पहुँच गया। इन देशों में लगभग 75-80 लाख भारतीय काम करते हैं और देश के विदेशी मुद्रा भंडार में योगदान करते हैं। इसे भारत का कूटनीतिक कौशल ही कहा जाएगा, लेकिन फिर भी भारत को इस मामले में संभल कर कदम उठाने होंगे, क्योंकि इज़राइल के साथ संबंध बढाने की स्थिति में अरब देशों की नाराज़गी का खतरा बराबर बना रहता है। लेकिन कूटनीतिक जानकार मानते हैं कि इज़राइल से संबंधों की मज़बूती से अरब देशों के साथ संबंध प्रभावित नहीं होंगे, क्योंकि भारत के उनके साथ स्वतंत्र तौर पर बेहतर संबंध हैं। (टीम दृष्टि इनपुट) |
जल संसाधन प्रबंधन
- इज़राइल की तुलना में भारत में जल की पर्याप्त उपलब्धता है, लेकिन वहाँ का जल प्रबंधन हमसे कहीं बेहतर है।
- पानी की कम उपलब्धता के चलते इज़राइल ने अवजल प्रसंस्करण और खारे पानी को मीठा बनाने की पद्धति में दक्षता प्राप्त कर ली है।
- इज़राइल की कंपनी आईडीई ने भारत में खारे पानी को पीने योग्य बनाने के कई संयंत्र स्थापित किये हैं।
- इज़राइल में कृषि, उद्योग, सिंचाई आदि कार्यों में पुनर्चक्रित पानी का उपयोग अधिक होता है, इसीलिये वहाँ के लोगों को पानी की किल्लत का सामना नहीं करना पड़ता।
- भारत जैसे विकासशील देश में 80 प्रतिशत आबादी की पानी की ज़रूरत भूजल से पूरी होती है और यह भी सच है कि उपयोग में लाया जा रहा भूजल प्रदूषित होता है।
- नवंबर 2016 में भारत और इज़राइल के बीच एक समझौता हुआ था, जिसमें जल संसाधन प्रबंधन और विकास के क्षेत्र में राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तरों पर सहयोग करने पर सहमति जताई गई थी।
- इसके अलावा आपसी सहमति के क्षेत्रों के साथ-साथ अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग, अलवणीकरण, जल संरक्षण के तरीकों व जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्रों में अनुभवों और विशेषज्ञता को साझा करने की ज़रूरत भी बताई गई थी।
- कुछ समय पूर्व दोनों देशों के बीच सहयोग के क्षेत्रों का पता लगाने के लिये एक संयुक्त कार्यसमूह का गठन करने पर भी सहमति बनी थी।
मुक्त व्यापार समझौता चाहता है इज़राइल
- भारत के मध्यम वर्ग को इज़राइल अपना निर्यात बढ़ाने के अवसर के रूप में देखता है। इज़राइल के लिये भारत एक बड़ा निर्यात बाज़ार है।
- इज़राइल का मानना है कि भारत के साथ मज़बूत होते संबंध रक्षा उत्पादों के निर्यात से आगे बढ़कर वस्तु एवं सेवाओं के व्यापार में वृद्धि की दिशा में बढ़ेंगे।
- भारतीय अर्थव्यवस्था इज़राइल निर्यात के लिये प्रमुख गंतव्य बनती जा रही है।
- भारत के 1.3 अरब उपभोक्ताओं में लगभग 30 करोड़ नागरिक मध्यम और उच्च मध्यम वर्ग में हैं।
- इनकी खरीद क्षमता पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं के समान है और ये इज़राइल के लिये काफी महत्त्वपूर्ण हैं।
- मुक्त व्यापार समझौते की बातचीत में बाधाओं के बने रहने से लंबे समय से इसको लेकर संशय बना हुआ है।
- दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते के मुद्दे पर बातचीत सात साल पहले शुरू हुई थी, जब इसका पहला दौर मई 2010 में हुआ था।
- लंबे समय से लटके पड़े इस समझौते के बारे में इज़राइल का यह मानना है कि भारत इस बारे में फिर से मूल्यांकन कर रहा है।
- जब तक यह नहीं होता तब तक दोनों देशों के बीच उनकी आर्थिक क्षमताओं का लाभ उठाने के लिये अन्य प्रयास किये जा रहे हैं।
- इज़राइल के आर्थिक एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार दोनों देशों के बीच व्यापार 1992 के 20 करोड़ डॉलर से बढ़कर हीरा व्यापार सहित 2016 में 4.13 अरब डॉलर पर पहुँच गया।
फिलिस्तीन के मुद्दे पर भारत का रुख जस-का-तस (टीम दृष्टि इनपुट) |
सामरिक भागीदारी
भारत के प्रधानमंत्री की इज़राइल यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच सामरिक भागीदारी स्थापित करने पर सहमति बनी थी। दोनों देशों ने एक-दूसरे के रणनीतिक हितों की रक्षा करने की बात यह कहते हुए की थी कि भारत और इज़राइल एक ऐसे जटिल भौगोलिक क्षेत्र में रहते हैं, जहाँ दोनों के समक्ष क्षेत्रीय शांति एवं स्थायित्व को लेकर सदैव खतरा बना रहता है। ऐसे में दोनों देशों को उनके सामरिक हितों की रक्षा के लिये बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। इसी के मद्देनज़र दोनों देशों ने साइबर स्पेस के साथ-साथ आतंकवाद और कट्टरपंथ के खिलाफ साझा जंग का ऐलान किया। इज़राइल ने कहा था कि उसकी तरह भारत भी आतंकवाद के खतरे और हिंसा का सामना कर रहा है।
तीन मूर्ति हाइफा चौक (टीम दृष्टि इनपुट) |
रायसीना संवाद का तीसरा दौर
इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने 16 जनवरी को नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित भू-राजनीतिक सम्मेलन 'रायसीना संवाद' के तीसरे तीन दिवसीय संस्करण का उद्घाटन किया, जिसके उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी शामिल हुए। इस कार्यक्रम में 90 देशों के 150 से ज़्यादा वक्ता और 550 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
निष्कर्ष: भारत ने 1950 में इज़राइल को मान्यता दी थी और दोनों देशों के बीच पूर्ण कूटनीतिक संबंध 1992 में स्थापित हुए थे। इज़राइल ने भारत में कृषि, सिंचाई और अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश किया है और भारत में विनिर्माण के क्षेत्र में निवेश की संभावनाएँ तलाश रहा है। भारत और इज़राइल के संबंध अगर रक्षा क्षेत्रों से इतर तेज़ी से आगे बढ़ाने हैं तो इसके लिये दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौता होना चाहिये, जिसके ज़रिये भारत की कई कंपनियाँ इज़राइल की साझेदारी में वैश्विक स्तर पर पहचान बनाने की कोशिश कर सकती हैं। इज़राइल ने Reform, Perform & Transform की माँग की थी, जिसे भारत ने काफी हद तक पूरा करने का प्रयास किया है। वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों में दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाएँ एक-दूसरे की पूरक बन सकती हैं, लेकिन दोनों देशों को द्विपक्षीय संभावनाओं तथा कारोबार और निवेश का दोहन करने के लिये और कदम उठाने की ज़रूरत है।