भारत-विश्व
द बिग पिक्चर : भारत : भूटान - नई संभावनाएँ
- 03 Jan 2019
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संदर्भ
भारत और भूटान के राजनयिक संबंधों की स्वर्ण-जयंती वर्ष के मौके पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भूटान के प्रधानमंत्री डॉ लोटे शेरिंग ने नई दिल्ली में मुलाकात की। इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने भारत-भूटान द्विपक्षीय संबंधों को आगे ले जाने के संयुक्त प्रयासों पर बात की। अक्तूबर 2018 को भूटान के प्रधानमंत्री का कार्यभार संभालने के बाद तथा औपचारिक राजनयिक संबंधों की स्थापना की स्वर्ण-जयंती वर्ष के अवसर पर यह उनका पहला विदेश दौरा है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूटान के प्रधानमंत्री के साथ व्यापक वार्ता के बाद उनकी 12वीं पंचवर्षीय योजना (2018-23) के लिये 4,500 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की।
पृष्ठभूमि
- भूटान पूर्वी हिमालय में स्थित एक छोटा स्वतंत्र देश है। इसके पश्चिम में भारत का सिक्किम राज्य तथा बंगाल का दार्जिलिंग ज़िला इसे नेपाल से अलग करते हैं।
- इसकी उत्तरी तथा उत्तर-पूर्वी सीमा पर तिब्बत और पूरब तथा दक्षिण में भारत का असम प्रांत है।
- भूटान एक पर्वतीय राज्य है और पर्वतों के बीच घाटियों में बसा हुआ है। इसका क्षेत्रफल 18,000 वर्ग मील और जनसंख्या लगभग 7.08 लाख है। यहाँ अधिकतर भूटिया जाति के लोग रहते हैं। भूटान के लोग बौद्ध धर्मावलंबी हैं।
- भूटान को दुनिया के सबसे कम विकसित देशों में से एक माना जाता है और इसकी 80 प्रतिशत अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है।
भारत और भूटान के रिश्तों के 50 साल
- इन 50 सालों में अन्य देशों की तुलना में भारत और भूटान के संबंध गहरे हुए हैं जो सबसे बड़ी बात है।
- पिछले 50 सालों में भूटान एक राष्ट्र के रूप में उभरा है। एक समय था जब दुनिया के बहुत सारे देश भूटान को स्वाधीन और संप्रभु राष्ट्र नहीं मानते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है।
- भूटान विदेशी संबंधों को हर हाल में बढ़ाना चाहता है और भारत उसके लिये समर्पित है तथा उसे आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
- भूटान में जो सबसे बड़ा बदलाव आया, वह है 1949 की मैत्री संधि। 2007 में भारत और भूटान ने संप्रभुता संपन्न देशों के रूप में इस नई मैत्री संधि पर हस्ताक्षर किये।
- फरवरी 2007 में भूटान सम्राट जिम्मे खेमा नामक्पाल वांगचुक भारत यात्रा पर आए तथा दोनों देशों ने मित्रता और सहयोग संधि को संशोधित करके उसमें नई बात यह जोड़ी कि दोनों देश एक-दूसरे की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करेंगे।
- जब 1950 में चीन ने तिब्बत पर कब्ज़ा जमाने की कोशिश की तो भूटान ने चीन को संभावित खतरे के रूप में देखा। इससे भारत तथा भूटान के बीच द्विपक्षीय संबंध और मज़बूत हुए।
- भूटान और चीन के बीच राजनयिक संबंध नहीं हैं, जबकि भारत-भूटान के बीच काफी गहरे संबंध हैं। वहीँ चीन और भूटान के बीच सीमा विवाद है।
- आज़ादी के तुरंत बाद दोनों देशों के बीच 8 अगस्त, 1949 को दार्जीलिंग में संधि हुई थी। इसके मुताबिक, रक्षा और विदेश मामलों के संबंध में भूटान भारत पर आश्रित था। यह संधि औपनिवेशिक पृष्ठभूमि में की गई थी।
- संधि में दोनों देशों ने अपनी भूमि का इस्तेमाल एक-दूसरे के राष्ट्रीय हितों के विरुद्ध न होने देने की वचनबद्धता दोहराई है। इसे 50 सालों की सबसे बड़ी देन कहा जा सकता है।
- भूटान नरेश के नेतृत्व में पिछले 12 वर्षों में भूटान एक लोकतांत्रिक देश के रूप में परिपक्व हुआ और सर्वांगीण विकास की ओर तेज़ी से आगे बढ़ा है।
- भूटान ने अपनी प्राकृतिक विरासत और सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित करते हुए सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र में काफी परिवर्तन किया है।
भारत-भूटान के बीच सहयोग के क्षेत्र
- टूरिज़्म
- शिक्षा और छात्रवृत्ति
- हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स
- क्षेत्र में स्थिरता तथा आतंकवाद के विरुद्ध कार्रवाई
- BBIN (बांग्लादेश, भूटान, इंडिया तथा नेपाल) परियोजना
- क्षेत्र में चीन के भौगोलिक आकार तथा आर्थिक विस्तार को रोकना
- विकास आधारित खुशहाली
- जलवायु परिवर्तन तथा ग्लोबल वार्मिंग
भूटान में विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित विकास परियोजनाएँ
- भूटान के विकास में हाल के वर्षों में महत्त्वपूर्ण प्रगति देखी गई है और वह ठोस विकास तथा आर्थिक स्थिरता बनाए रखने में सक्षम है।
- 2017 में विश्व बैंक ने भूटान में पाँच विकास परियोजनाओं को मंज़ूरी देकर वित्तपोषित किया।
1. BLSS आर्थिक जनगणना
- BLSS अर्थात् भूटान लिविंग स्टैंडर्ड सर्वे (Bhutan Living Standard Survey) फरवरी 2017 में फिर से शुरू किया गया। यह एक पारिवारिक सर्वेक्षण है, यह सर्वेक्षण राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा किया जाता है।
- यह सर्वेक्षण कई महत्त्वपूर्ण संकेतक प्रदान करता है, जैसे राष्ट्रीय गरीबी रेखा और राष्ट्रीय लेखा आँकड़े।
2. जलवायु में लचीलापन लाने के लिये रणनीतिक कार्यक्रम
- जलवायु परिवर्तन के लिये रणनीतिक कार्यक्रम की शुरुआत फरवरी 2017 में की गई थी तथा यह सितंबर 2019 तक पूरा होगा।
- यह दीर्घकालिक योजना भूटान को राष्ट्रीय जलवायु के लचीलेपन में सुधार करने में मदद के लिये शुरू की गई है।
- यह परियोजना भूटान में चल रही गतिविधियों पर आधारित होगी ताकि विकास योजना में जलवायु से संबंधित मुद्दों को शामिल किया जा सके।
3. खाद्य सुरक्षा और कृषि उत्पादकता परियोजना
- खाद्य सुरक्षा और कृषि उत्पादकता परियोजना अप्रैल 2017 में शुरू की गई थी और यह दिसंबर 2022 तक पूरी हो जाएगी।
- परियोजना का लक्ष्य खाद्य उत्पादन में भूटान की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना तथा स्थानीय कृषि को बढ़ावा देना है।
- चूँकि भूटान मुख्य रूप से एक कृषि प्रधान देश है इससे बेरोज़गारी और गरीबी कम करने में मदद मिलेगी।
4. भूटान युवा रोज़गार और ग्रामीण उद्यमिता परियोजना
- भूटान में युवा रोज़गार और ग्रामीण उद्यमिता परियोजना मई 2017 में शुरू की गई थी। परियोजना का लक्ष्य भूटान में युवाओं के लिये रोज़गार के अवसरों को बढ़ाना है।
- अधिक रोज़गार अवसरों के साथ भूटान की अर्थव्यवस्था इस परियोजना के परिणामस्वरूप बेहतर बनी रहेगी।
5. सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन परियोजना
- सुदृढ़ीकरण सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन परियोजना सितंबर 2017 में शुरू की गई थी और यह जनवरी 2021 में समाप्त होगी।
- परियोजना का लक्ष्य भूटान के लोगों को बजट और सार्वजनिक धन को अधिक कुशलता से प्रबंधित करने में मदद करना है। इससे सार्वजनिक सेवाओं और शासन व्यवस्था को मज़बूत करने में मदद मिलेगी।
- भूटान में इन पाँच विकास परियोजनाओं को मज़ूरी देने के साथ ही विश्व बैंक ने भूटान की रॉयल सरकार को 15 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का ऋण प्रदान किया है।
- भूटान में इन पाँच विकास परियोजनाओं का लक्ष्य रोज़गार के अवसरों को बढ़ाना, राष्ट्रीय गरीबी को कम करना और भूटान की अर्थव्यवस्था को मज़बूती प्रदान करना है।
भारत-भूटान : द्वीपक्षीय व्यापार
- भारत, भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। 2016 में दोनों देशों के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार 8,723 करोड़ रुपए का था। इसमें कुल आयात 5528.5 करोड़ रुपए (भूटान के कुल आयात का 82%) तथा निर्यात 3205.2 करोड़ रुपए (भूटान के कुल निर्यात का 90 प्रतिशत) दर्ज किया गया।
- भारत से भूटान को निर्यात होने वाली प्रमुख वस्तुओं में खनिज उत्पाद, मशीनरी और यांत्रिक उपकरण, बिजली के उपकरण, आधार धातु, वाहन, सब्जी उत्पाद, प्लास्टिक की वस्तुएँ शामिल हैं।
- भूटान से भारत को आयात की जाने वाली प्रमुख वस्तुएँ हैं- बिजली, फेरो-सिलिकॉन, पोर्टलैंड सीमेंट, डोलोमाइट, सिलिकॉन, सीमेंट क्लिंकर, लकड़ी तथा लकड़ी के उत्पाद, आलू, इलायची और फल उत्पाद।
- भारत-भूटान व्यापार और पारगमन समझौता, 1972 (India-Bhutan Trade and Transit Agreement,1972) द्वारा दोनों देशों के बीच व्यापार संचालित होता है जिसे अंतिम बार नवंबर 2016 में नवीनीकृत किया गया था तथा जो जुलाई 2017 में प्रभावी हुआ था।
- इस समझौते ने दोनों देशों के बीच एक मुक्त व्यापार व्यवस्था स्थापित की। समझौते में तीसरे देशों को भूटानी निर्यात के ड्यूटी फ्री ट्रांजिट का भी प्रावधान है।
भारत-भूटान : हाइड्रोपावर कोऑपरेशन
- भूटान में जलविद्युत परियोजनाएँ दोनों देशों के बीच सहयोग के प्रमुख उदाहरण हैं जो भारत को सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा का विश्वसनीय स्रोत प्रदान करती हैं तथा राजस्व अर्जन के साथ-साथ दोनों देशों के बीच आर्थिक एकीकरण को मज़बूती प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- अब तक भारत सरकार ने भूटान में कुल 1416 मेगावाट की तीन पनबिजली परियोजनाओं (HEPs) के निर्माण में सहयोग किया है ये परियोजनाएँ चालू अवस्था में हैं और भारत को विद्युत निर्यात कर रही हैं।
- जलविद्युत निर्यात भूटान के घरेलू राजस्व का 40% और उसके सकल घरेलू उत्पाद का 25% से अधिक राजस्व प्रदान करता है।
- भारत और भूटान के बीच जलविद्युत क्षेत्र में सहयोग 2006 में हुए हाइड्रोपावर क्षेत्र में सहयोग समझौता तथा प्रोटोकॉल (Agreement on Cooperation in Hydropower and Protocol) पर आधारित है जिस पर मार्च 2009 में हस्ताक्षर किये गए थे।
- इस प्रोटोकॉल के तहत भारत सरकार, भूटान सरकार को 2020 तक कम-से-कम 10,000 मेगावाट हाइड्रोपावर के विकास में सहयोग देने तथा भूटान, भारत को अतिरिक्त विद्युत का आयात करने पर सहमत हुए हैं।
भूटान पर चीन की निगाह
- चीन अपने उत्तरी पड़ोसी भूटान के साथ संबंधों को औपचारिक रूप देने के लिये उत्सुक है। चीन एकमात्र ऐसा देश है जिसके साथ भूटान का अभी भी कोई औपचारिक संबंध नहीं है।
- चीन द्वारा तिब्बत को अपने कब्ज़े में लेने के कारण भूटान-भारत औपचारिक संबंधों में मज़बूती आई।
- चीन और भूटान के बीच सीमा विवाद भी है। चीन चाहता है कि सीमा विवाद को सुलझाने में भारत की कोई भूमिका न हो लेकिन भूटान ने साफ कर दिया था कि इस संबंध में जो भी बात होगी वह भारत की मौजूदगी में होगी।
- भारत और भूटान के बीच हुई ऐतिहासिक संधि चीन को हमेशा खटकती रही है। चीन और भूटान के बीच पश्चिम तथा उत्तर में करीब 470 किलोमीटर लंबी सीमा है।
- दूसरी तरफ, भारत और भूटान की सीमा पूर्व पश्चिम तथा दक्षिण में 605 किलोमीटर है। इसमें कोई संदेह नहीं कि भूटान में भारतीय सैनिकों की मौजूदगी रही है और भूटान की सेना को भारत ट्रेनिंग देने के साथ फंड भी मुहैया कराता है।
- भारत, भूटान की सुरक्षा के साथ-साथ अपनी सुरक्षा भी करता है। चीन के इरादे हमेशा से ही अच्छे नहीं रहे हैं। कुछ साल पहले ऐसा माना जाने लगा था कि 1948 में माओ ने जिस तरह तिब्बत को अपने कब्जे में लिया चीन उसी तरह भूटान पर भी कब्ज़ा कर लेगा।
- चीन की सीमा भूटान से लगने के कारण चीन हमेशा भूटान के उपर दबाव डालता है। चीन के साथ 14 देशों की सीमाएँ मिलती हैं। इन 14 देशों में 12 देशों के साथ चीन ने सीमा निर्धारित कर ली है केवल दो देश भारत और भूटान के साथ सीमा निर्धारित नहीं है क्योंकि उसका इरादा है कि मौका मिलते ही इन पर दबाव बनाया जा सके।
भूटान का भू-राजनीतिक महत्त्व
- अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण भूटान दुनिया के बाकी हिस्सों से कटा हुआ था। लेकिन अब भूटान ने दुनिया में अपनी जगह बना ली है।
- हाल के दिनों में भूटान ने एक ओपन डोर पालिसी (open door policy) विकसित की है। दुनिया के अन्य देशों के साथ राजनीतिक संबंधों को भी भूटान द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है।
- दुनिया के 52 देशों और यूरोपीय संघ के साथ भूटान के राजनयिक संबंध हैं। वर्ष 1971 के बाद से ही भूटान संयुक्त राष्ट्र का सदस्य है। हालाँकि भूटान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्यों के साथ औपचारिक संबंध नहीं रखता है।
- भूटान की सबसे अधिक निकटता भारत के साथ है। भारत के साथ भूटान मज़बूत आर्थिक, रणनीतिक और सैन्य संबंध रखता है।
- भूटान सार्क का संस्थापक सदस्य है। यह बिम्सटेक, विश्व बैंक और IMF का भी सदस्य है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली विदेश यात्रा भूटान की थी तथा भूटान के वर्तमान प्रधानमंत्री ने पहली विदेश यात्रा के लिये भारत को चुना। चीन के साथ भौगोलिक निकटता के कारण भूटान भारत के लिये विशेष महत्त्व रखता है। भूटान दुनिया में अकेला ऐसा देश है जो पूरी तरह जैविक हैI भारत भी अपने इस पड़ोसी से सतत् विकास के लिये बहुत कुछ सीख सकता है।
भारत तथा भूटान के बीच आपसी संबंध कई दशकों से मधुर रहे हैं। यहाँ तक कि भूटान और भारत दोनों देशों की सुरक्षा एक-दूसरे के साथ जुड़ी हुई है। भारत ने भूटान की जनता की आकांक्षाओं को समझा है तथा उसे हर संभव मदद देने के लिये तत्पर रहा है। हिमालय की गोद में बैठे इस खूबसूरत देश के लिये यह बड़ी बात है कि चीन की विस्तारवादी नीतियों के खिलाफ भारत भूटान के साथ सदैव खड़ा है। भारत के लिये यह ज़रूरी भी है कि वह अपने सामरिक हितों की रक्षा के लिये भूटान की मदद करता रहे। उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच संबंध और मज़बूत होंगे तथा नई संभावनाओं का आगाज़ होगा।