राज्यसभा
विशेष: सड़कों को सुरक्षित कैसे बनाया जाए? (First Indian Highway Capacity Manual)
- 20 Feb 2018
- 25 min read
संदर्भ एवं पृष्ठभूमि
सड़कों के महत्त्व को समझते हुए और वैज्ञानिक तरीके से इनके निर्माण को लेकर हाल ही में देश की पहली राजमार्ग क्षमता नियम पुस्तिका (First Indian Highway Capacity Manual) जारी की गई। इस मैनुअल का नाम इंडो-एचसीएम है। अमेरिका, चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया, ताइवान जैसे विकसित देशों में राजमार्ग क्षमता नियम पुस्तिका का बहुत पहले से ही उपयोग किया जा रहा है, लेकिन भारत में पहली बार इस पुस्तिका को विकसित किया गया है।
किसने तैयार किया?
- इसे केंद्रीय सड़क शोध संस्थान (सीआरआरआई) ने विज्ञान और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के साथ मिलकर तैयार किया है।इस अध्ययन में 7 शैक्षणिक संस्थान शामिल थे–आईआईटी रुड़की, मुम्बई और गुवाहाटी; स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, नई दिल्ली; इंडियन इस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी, शिबपुर; सरदार वल्लभभाई पटेल नेशनल इस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, सूरत तथा अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई।
- देश में काफी लंबे समय से इस प्रकार के मैनुअल की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। अमेरिका में ऐसा मैनुअल 1950 में तैयार हुआ था और इंडोनेशिया में यह 1996 में तैयार हुआ था। इसके अलावा चीन, ताइवान और मलेशिया में भी ऐसे मैनुअल तैयार किये जा चुके हैं।
- माना जा रहा है कि इस मैनुअल से सड़कों के निर्माण में एकरूपता तो आएगी ही, साथ ही इससे सड़क निर्माण की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
- सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिये ऐसा ही एक अन्य मैनुअल सड़क सुरक्षा के लिये भी लाने की दिशा में सरकार प्रयास कर रही है।
वैल्यू इंजीनियरिंग कार्यक्रम (टीम दृष्टि इनपुट) |
क्या खास है इस मैनुअल में?
- इस व्यापक शोध को सड़क यातायात की राष्ट्रव्यापी विशेषताओं का अध्ययन करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।
- मैनुअल में विभिन्न प्रकार की सड़कों तथा चौराहों का विस्तार व संचालन करने से संबंधित दिशा-निर्देश दिये गए हैं।
- मैनुअल सड़क निर्माण में लगे इंजीनियरों तथा नीति निर्माताओं को मार्गदर्शन प्रदान करेगा।
- मैनुअल को तैयार करने में भारतीय सड़कों पर ट्रैफिक की विविधता को ध्यान में रखा गया है।
- इसे तैयार करने के लिये सड़क नेटवर्क अर्थात् आंतरिक सड़कों (एक लेन, दो लेन और बहु-लेन), शहरी सड़कों तथा एक्सप्रेस-वे पर ट्रैफिक क्वालिटी का देशस्तर पर विस्तृत अध्ययन किया गया।
- इस मैनुअल में नियंत्रित व अनियंत्रित चौराहों, सिग्नल व्यवस्था, शहरी पैदल यात्रियों की सुविधाओं की क्षमता तथा सेवा के स्तर का अध्ययन कर भारतीय यातायात के लक्षण जानने का प्रयास किया गया है।
- इससे यह जानकारी प्राप्त करने में आसानी रहेगी कि कौन-सी सड़क का विस्तार और चौड़ीकरण कब करना ठीक रहेगा।
- इस मैनुअल में सड़कों का विस्तार कैसे किया जाए, किस तरह के प्रतिबंध लगाए जाएँ, पैदल यात्री सुविधाओं का विकास कैसे किया जाए जैसे मुद्दों की पड़ताल की गई है।
- इस मैनुअल में उन अधिकांश सवालों का जवाब खोजने का प्रयास किया गया है जो भविष्य में सड़कों का विस्तार करते समय सामने आ सकते हैं।
- इसके अलावा, इसमें उन सभी मुद्दों को शामिल किया गया है जो सड़कों के विकास, ट्रैफिक ज़रूरतों तथा सड़कों से जुड़ी योजनाओं को तैयार करने से संबंध रखते हैं।
- अन्य देशों में तैयार मैनुअल को भारत में इसलिये लागू नहीं किया जा सका क्योंकि हमारे यहाँ सड़कों का स्वरूप और उस पर चलने वाले वाहन अन्य देशों से कुछ अलग हैं।
- इस मैनुअल में बताया गया है कि सड़कों का विस्तार कब किया जाए, किन चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल लगाए जाएँ, कहाँ पर गोल चक्कर बनाया जाए, कहाँ चौराहे-अंडरपास या फ्लाईओवर बनाए जाएँ।
- भारत में इसे तैयार करने से पहले की क्षमता और सेवा के स्तर का अध्ययन किया गया तथा अलग-अलग सड़कों पर यातायात की गति और घनत्व को मापा गया।
- सड़कों का इंजीनियरिंग सुविधाओं के आधार पर अध्ययन किया गया जिसमें सड़कों की चौड़ाई, उनके पुश्ते, सड़क की सतह, ढलान, मोड़, सड़क के किनारे अवरोध, आवागमन मात्रा, संरचना, ट्रैफिक का दिशात्मक वितरण, पैदल चलने वालों का प्रभाव, ट्रैफिक विनियमन तथा मौसम, गति सीमा, भूमि उपयोग और पर्यावरण जैसे नियंत्रण उपायों को भी इस मैनुअल में स्थान दिया गया है।
- इस मैनुअल में ट्रैफिक सिग्नल, ट्रैफिक नियंत्रण के नियम, कितनी सड़कें जोड़ी जाएँ, एप्रोच रोड की चौड़ाई, किस जगह मोड़ दिया जाए, कितनी दूरी से मोड़ दिखाई दे, ट्रैफिक फैक्टर, ट्रैफिक की मात्रा, व्यस्त समय में ट्रैफिक का भार, पार्किंग सुविधा, गति सीमा, ओवरटेक करने की अनुमति और ट्रैफिक नियंत्रण की उपलब्ध सुविधाओं का भी विवरण है।
- इस मैनुअल में यह भी जानकारी दी गई है कि पैदल यात्रियों के लिये क्या प्रावधान होने चाहिये, औसत यात्रा समय कितना होना चाहिये और पैदल पथ के लिये कितना स्थान छोड़ा जाए।
- पैदल यात्रियों के लिये सड़क पार करने के प्रावधान क्या हों और उन्हें इसके लिये कितना समय दिया जाए, इसकी जानकारी भी इस मैनुअल में दी गई है।
- इसमें यह भी बताया गया है कि चौराहों और मुख्य मार्गों पर बस-स्टॉप कितनी दूरी पर होने चाहिये और इन पर बस को कितनी देर रुकना चाहिये।
- इस मैनुअल में ट्रैफिक निर्धारण, सड़क निर्माण और परिवहन व्यवस्था से जुड़ी शब्दावली, परिभाषाएँ, वैज्ञानिक नियम आदि भी दिये गए हैं।
- सड़क पर ट्रैफिक का प्रवाह कितना हो इसे बताने के लिये वैज्ञानिक फार्मूले और गणना करने के तरीके भी इस मैनुअल में बताए गए हैं।
रोड इंजीनियरिंग क्या है? (टीम दृष्टि इनपुट) |
भारत में सड़क दुर्घटनाओं की स्थिति
- अंतरराष्ट्रीय सड़क संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में 12.5 लाख लोग प्रतिवर्ष सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं और इसमें भारत की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से ज्यादा है।
- देश के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा प्रतिवर्ष भारत में सड़क दुर्घटनाएँ रिपोर्ट जारी की जाती है।
- भारत में वर्ष 2017 में हुई लगभग 4 लाख 60 हज़ार सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 1 लाख 46 हज़ार लोग मारे गए, जो विश्व में किसी भी देश के मानव संसाधन का सर्वाधिक नुकसान है।
- इन दुर्घटनाओं में मारे जाने वालों में सबसे बड़ी संख्या दोपहिया वाहन चालकों की होती है, जिनमें से अधिकांश बिना हेलमेट के होते हैं।
- गंभीर सड़क दुर्घटनाओं के अधिकांश शिकार 18-45 वर्ष आयु के लोग होते हैं।
केंद्रीय सड़क निधि (टीम दृष्टि इनपुट) |
सड़क सुरक्षा कार्रवाई दशक (2011-2020)
- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2011-2020 को सड़क सुरक्षा कार्रवाई दशक के रूप में अपनाया है और सड़क दुर्घटनाओं से वैश्विक स्तर पर पड़ने वाले गंभीर प्रभावों की पहचान करने के साथ-साथ इस अवधि के दौरान सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में 50 प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
- दुनियाभर में प्रतिवर्ष सड़क दुर्घटनाओं की वज़ह से लगभग 12 लाख लोग मारे जाते हैं और लगभग 50 लाख लोग इससे सीधे प्रभावित होते हैं।
- इन दुर्घटनाओं में लगभग 12 लाख करोड़ डॉलर की संपत्ति नष्ट हो जाती है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यदि सड़क दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने के उपाय नहीं किये गए तो वर्ष 2030 तक हर पाँचवीं मौत सड़क दुर्घटना की वज़ह से होगी यानी लोगों के मरने का पाँचवां सबसे बड़ा कारण।
- यदि सड़क दुर्घटनाओं की यही रफ़्तार बनी रही तो वर्ष 2020 तक प्रतिवर्ष 19 लाख लोगों की मौत का कारण ये दुर्घटनाएँ होंगी।
राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति (टीम दृष्टि इनपुट) |
सड़क सुरक्षा से जुड़े 5 प्रमुख जोखिम
- शराब पीकर गाड़ी चलाना अर्थात् ड्रंकन ड्राइविंग
- गति सीमा का उल्लंघन अर्थात् ओवर-स्पीडिंग
- दोपहिया वाहन चलाते/बैठते समय हेलमेट न पहनना
- चौपहिया वाहन चलाते समय सीट-बेल्ट नहीं बाँधना
- किशोर बच्चों को वाहन चलाने की अनुमति देना
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के आँकड़ों के अनुसार विश्व में होने वाली कुल सड़क दुर्घटनाओं में से 77.8 प्रतिशत वाहन चालकों की गलती से होती हैं।
- इसके प्रमुख कारणों में नशे की हालत में ड्राइविंग, वाहन चलाते समय मोबाइल फोन पर बात करना, भारी वाहनों में ओवरलोडिंग, यात्री वाहनों में क्षमता से अधिक सवारियाँ भरना, तय गति से तेज़ ड्राइविंग करना तथा थकान की हालत में गाड़ी चलाना शामिल है।
- सड़क हादसों में कमी लाने के लिये बहुआयामी प्रयासों की आवश्यकता है, जैसे-वाहन सुरक्षा मानकों को सुदृढ़ करना, सड़क संरचना को बेहतर बनाना, जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना, कार्यान्वयन को मजबूत करना तथा आकस्मिक आघात देखभाल कार्यक्रम को सुसंगत बनाना।
- संयुक राष्ट्र ने भी वाहन दुर्घटनाओं में कमी लाने हेतु सड़कों पर ट्रैफिक का बोझ कम करने के लिये वाहनों में सुरक्षा उपकरण लगाने के साथ ही अन्य तकनीक का इस्तेमाल करने को कहा है।
- अभी स्थिति यह कि विश्व में केवल 28 देशों में सड़क दुर्घटनाओं को लेकर समग्र कानून लागू किये गए हैं और विश्व की कुल जनसंख्या का केवल 7 प्रतिशत हिस्सा इनके दायरे में आता है।
सड़क सुरक्षा विधेयक, 2016 क्या खास है इस विधेयक में?
(टीम दृष्टि इनपुट) |
निष्कर्ष: बढ़ते शहरीकरण और बढ़ते सड़क यातायात के बीच आज दुनिया में होने वाली कुल सड़क दुर्घटनाओं में भारत में सबसे अधिक लोग मारे जाते हैं और इस कारण यह मुद्दा और भी गंभीर बन गया है। इसीलिये सड़कों को लेकर सुरक्षा के मुद्दे और इनके समाधानों पर गंभीरता से विचार हो रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने रेडियो संदेश 'मन की बात’ में देश में सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या पर चिंता जता चुके हैं, लेकिन देश के हालात में कोई विशेष बदलाव नहीं आया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 12.5 लाख लोगों की मौत होती है और मरने वालों में विशेष रूप से गरीब देशों के गरीब लोगों की संख्या अधिक है। इससे स्पष्ट है कि सड़क दुर्घटनाओं और उनमें मरने वालों की संख्या को देखते हुए सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के मामले में देश में अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है। यह मैनुअल देश में सड़क अवसंरचना के विकास तथा योजना निर्माण में सहायता प्रदान करेगा। अवसंरचना विकास में भारत को विश्व की सबसे आधुनिक तकनीक अपनाने की आवश्यकता है, ताकि ऐसी विश्वस्तरीय सड़क अवसंरचना का विकास किया जा सके जो सुरक्षित, सस्ती व पर्यावरण अनुकूल हो।