अंतर्राष्ट्रीय संबंध
ब्रिक्स: आतंकवाद पर विशेष ध्यान
- 14 Dec 2019
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हाल ही में संपन्न ब्रिक्स (BRICS) शिखर सम्मेलन में सदस्य राष्ट्रों ने संयुक्त राष्ट्र के ढाँचे के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार आतंकवाद से मुकाबला करने के लिये ठोस प्रयास किये जाने का आग्रह किया है।
- ब्रिक्स के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि आतंकवाद ने विश्व की अर्थव्यवस्था को लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर की क्षति पहुँचाई है और एक दशक में लगभग 2.25 लाख लोग आतंकी घटनाओ के कारण अपनी जान गँवा चुके हैं। इससे विकासशील देशों के आर्थिक विकास में भी 1.5% की कमी आई है।
- क्या है ब्रिक्स (BRICS)?
ब्रिक्स (BRICS) दुनिया की अग्रणी उभरती अर्थव्यवस्थाओं- ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के समूह के लिये प्रयोग होने वाला एक संक्षिप्त रूप है, जिसमें B-Brazil, R-Russia, I-India, C-China और S-South Africa से संबंधित है। - शुरुआती दौर में दक्षिण अफ्रीका इस समूह का हिस्सा नहीं था और यह केवल 4 देशों का समूह था जिसे ब्रिक (BRIC) कहा जाता था, उल्लेखनीय है कि पहला ब्रिक शिखर सम्मेलन वर्ष 2009 में रूस में आयोजित किया गया था।
- दिसंबर 2010 में दक्षिण अफ्रीका को ब्रिक (BRIC) में शामिल होने के लिये आमंत्रित किया गया, जिसके बाद दक्षिण अफ्रीका ने चीन में आयोजित तीसरे शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया और समूह ने संक्षिप्त रूप ब्रिक्स (BRICS) को अपनाया।
ब्रासीलिया घोषणा पत्र (Brasilia Declaration)
- 11वाँ ब्रिक्स शिखर सम्मेलन ब्राज़ील की राजधानी ब्रासीलिया में आयोजित किया गया था। इस अवसर पर जारी संयुक्त घोषणापत्र में आतंकवाद के सभी रूपों व अभिव्यक्तियों की निंदा की गई और इस बात पर प्रकाश डाला गया कि इसे किसी भी धर्म, राष्ट्रीयता या सभ्यता के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिये।
- सम्मलेन में आतंकी घटनाओं को उनके प्रेरक कारकों पर ध्यान दिये बिना आपराधिक और अन्यायपूर्ण कृत्य के रूप में चिन्हित किया गया।
- ब्रासीलिया घोषणापत्र ने आतंकवादी गतिविधियों के लिये सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के दुरुपयोग और आतंकवादी नेटवर्क तथा आतंकी कार्रवाइयों के अवैध वित्तपोषण से निपटने की आवश्यकता पर बल दिया।
- इसने आतंकी वित्तपोषण पर नियंत्रण के लिये वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (Financial Action Task Force- FATF) के महत्त्व पर भी बल दिया।
- हाल में ही आयोजित ब्रिक्स आतंकवाद-विरोधी संयुक्त कार्य समूह (BRICS Counter-Terrorism Joint Working Group) की चौथी बैठक में सदस्य देशों ने निम्नलिखित पाँच विषयों पर पाँच उप-कार्य समूहों (sub-working groups) के गठन का भी निर्णय लिया है:
- आतंकवादी वित्तपोषण
- आतंकवादी उद्देश्यों के लिये इंटरनेट का उपयोग
- कट्टरपंथ के प्रसार का प्रतिकार
- विदेशी आतंकवादी लड़ाकों का मुद्दा; और
- क्षमता निर्माण
- भारत ने सितंबर 2016 में नई दिल्ली में ब्रिक्स आतंकवाद-विरोधी संयुक्त कार्य समूह की पहली बैठक की मेज़बानी की थी।
घोषणापत्र का महत्त्व
- आतंकवाद का प्रसार मूल रूप से विचारधारा और वित्तपोषण जैसे दो प्रमुख आधारों के माध्यम से होता है। ब्रासीलिया घोषणापत्र में इन दोनों पहलुओं से निपटने की गंभीर प्रतिबद्धता शामिल है।
- आतंकी वित्तपोषण: ब्रासीलिया घोषणापत्र धन शोधन पर रोक/ आतंकी वित्तपोषण से मुकाबले (Anti-Money Laundering/Countering the Financing of Terrorism- AML/CFT) जैसे प्रमुख मुद्दों पर ब्रिक्स देशों को संवाद के लिये प्रोत्साहित करता है और इसने एएमएल/सीएफटी पर ब्रिक्स परिषद (AML/CFT BRICS council) की स्थापना का प्रस्ताव किया है।
- इसमें FATF के उद्देश्यों को बनाए रखने एवं उनका समर्थन करने तथा FATF मानकों को लागू करने एवं उनमें सुधार के लिये सहयोग को बढ़ाने पर भी बल दिया गया है।
- ICT: घोषणापत्र में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (Information and Communication Technology- ICT) के उपयोग में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये ब्रिक्स सदस्य देशों के बीच सहयोग हेतु कानूनी ढाँचे की स्थापना के महत्त्व की पुष्टि की गई है।
- सोशल मीडिया के माध्यम से ऑनलाइन कट्टरता का प्रसार नवीन परिघटना है। आतंकवादी बिना किसी भौतिक उपस्थिति के अपनी विचारधारा को सुदूर क्षेत्रों तक फैला रहे हैं जो पूरी दुनिया के लिये सुरक्षा के दृष्टिकोण से घातक है।
- इस संबंध में, घोषणापत्र ने ICT के माध्यम से कट्टरता के प्रसार पर रोक के लिये सदस्य देशों से गंभीर प्रतिबद्धताएँ जताने का आह्वान किया है।
- संदेश: घोषणा पत्र आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को एक स्पष्ट संदेश देता है कि ब्रिक्स राष्ट्रों ने प्रस्तावों/प्रतिबद्धताओं की एक श्रेणी पर हस्ताक्षर किये हैं जिसमें कहा गया है कि सीमा पार आतंकवाद के प्रसार के किसी भी साधन को वे वैधता प्रदान नहीं करते।
- पाकिस्तान के साथ चीन की घनिष्ठता के परिप्रेक्ष्य में इस घोषणा के साथ चीन की सम्मति भारत के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्त्वपूर्ण और अनुकूल है।
- राज्य का उत्तरदायित्व: घोषणापत्र आतंकवाद पर नियंत्रण, धन शोधन (Money Laundering) पर रोक और आतंकवाद के प्रसार में ICT के उपयोग पर अंकुश के लिये सदस्य देशों को उत्तरदायी बनाता है।
- आर्थिक पहलू: ब्रिक्स देश संयुक्त रूप से विश्व की आबादी के 42%, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 23% और वैश्विक व्यापार के लगभग 17% की हिस्सेदारी रखते हैं।
- भारत ने इस तथ्य को उजागर किया है कि आतंकवाद के कारण विश्व अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ है।
- ब्रिक्स देश इस हानि के सर्वाधिक शिकार हुए हैं क्योंकि इसने विकासशील देशों की आर्थिक वृद्धि को 1.5% तक धीमा कर दिया है।
- इस प्रकार आतंकवाद के कारण हो रही आर्थिक क्षति से निपटने में ब्रासीलिया घोषणा पत्र अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
- संयुक्त राष्ट्र की भूमिका: घोषणापत्र आतंक से संबंधित सभी पहलुओं को संयुक्त राष्ट्र के ढाँचे के अंदर लाने का प्रस्ताव करता है, जिससे संयुक्त राष्ट्र के अन्य सदस्य देशों की ओर से भी समावेशी कार्रवाई का अवसर प्राप्त होगा।
आतंकवाद का ब्रिक्स देशों पर प्रभाव
- ब्राज़ील: सामान्यतः ब्राज़ील में आतंकवाद की समस्या नहीं है और लैटिन अमेरिका क्षेत्र में इस्लामी गतिविधियाँ भी बेहद सीमित रही हैं। मुख्यतः संगठित अपराध ब्राज़ील के लिये एक समस्या है जो फिलहाल ब्रिक्स के दायरे में नहीं आता है।
- दक्षिण अफ्रीका: दक्षिण अफ्रीका में भी आतंकवाद कोई बड़ी समस्या नहीं है। वहाँ कुछ छोटे इस्लामी समूह सक्रिय हैं लेकिन उनका कोई उल्लेखनीय प्रभाव नहीं है। बोको-हरम, अल-शबाब जैसे बड़े अफ्रीकी आतंकवादी समूह दक्षिण अफ्रीका में सक्रिय नहीं हैं।
- रूस: रूस का प्रमुख ध्यान चेचन्या क्षेत्र से उभर रहे आतंकवाद पर है क्योंकि यह क्षेत्र इस्लामिक स्टेट (ISIS) आतंकवादी समूह में सर्वाधिक विदेशी लड़ाकों का योगदान करता है।
- रूस अपने पड़ोसी मध्य एशियाई देशों में तालिबान की ओर से पेश आतंकवाद की समस्या को लेकर भी चिंतित है।
- चीन: चीन का शिनजियांग (Xinjiang) स्वायत्त क्षेत्र आतंकवाद की समस्या से ग्रस्त है। स्थानीय मुस्लिम अल्पसंख्यक उइघुर (Uyghur/Uighur) क्षेत्रीय स्वतंत्रता की मांग रखते हैं।
- उइघुर मुसलमानों की उग्रवादी गतिविधियों पर रोक के लिये चीन सरकार ने चरम कदम उठाए हैं, जिसके अंतर्गत उन्हें शिविरों में नजरबंद किया गया है और इस क्षेत्र की पूरी जनसांख्यिकी को परिवर्तित किया जा रहा है।
- भारत: ब्रिक्स देशों में भारत आतंकवाद से सबसे अधिक पीड़ित है। राज्य प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद भारत के लिये सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है। अब ISIS के कारण एक नए खतरे का उभार भी हो रहा है जिसकी पुष्टि दक्षिण भारत में कट्टरता के प्रसार और युवाओं के ISIS से जुड़ने के कई मामलों से हुई है।
आगे की राह
- ब्रिक्स राष्ट्रों में आतंकवाद की समस्या का प्रत्येक देश में कुछ-न-कुछ भिन्न परिप्रेक्ष्य विद्यमान है और यही कारण है कि आतंकी वित्तपोषण तथा ICT के दुरुपयोग पर रोक वह अभिसरण क्षेत्र है जहाँ सभी देशों के सहयोग की आवश्यकता है। ये विषय प्रत्येक देश के लिये साझा चिंता के तत्व हैं।
- इसलिये, ब्रिक्स देशों को आतंकी वित्तपोषण नेटवर्क पर अंकुश लगाने और कट्टरपंथ के प्रसार के लिये ICT के उपयोग पर नियंत्रण हेतु एक 'साझा कार्य योजना' (common action plan) का निर्माण करना चाहिये।
- ब्रिक्स देशों को समानांतर वित्तीय अवसंरचना के निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिये जिसमें अवैध वित्तपोषण पर रोक के लिये आतंक-विरोधी अधिदेश शामिल हो।
- ब्रिक्स आतंकवाद के खतरे के विरुद्ध समाज के एक अत्यंत वृहत खंड को संवेदनशील बनाने के लिये एक मंच प्रदान करता है। यह विश्व समुदाय को एक व्यापक संदेश देता है कि आज आतंकवाद भले उनके लिये कोई समस्या नहीं हो, लेकिन भविष्य में निश्चय ही उन पर भी इसका असर पड़ेगा। इसलिये विश्व समुदाय के सहयोग और एकीकृत प्रयासों की आवश्यकता है।
प्रश्न: आतंकवाद को नियंत्रित करने में ब्रासीलिया घोषणा पत्र कितना सहायक है? स्पष्ट कीजिये।