विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
इनसाइट : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और समावेशी विकास
- 06 Dec 2018
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संदर्भ
प्रधानमंत्री हाल ही में नीति आयोग की चौथी परिचर्चा में सीधे तौर पर शामिल हुए जिसका विषय था ‘समावेशी विकास के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’। इस परिचर्चा के मुख्य आकर्षण अमेरिका की तकनीकी कंपनी तथा मीडिया कारपोरेशन के प्रेसिडेंट और सह संस्थापक जेसन हांग थे।। परिचर्चा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इसके भविष्य तथा इस पर होने वाले निवेश समेत अनेक मुद्दों पर बातचीत हुई। इसे समावेशी विकास के साथ जोड़कर कैसे देखा जा सकता है या इसके ज़रिये समावेशी विकास कैसे हासिल किया जा सकता है, इन सभी बिंदुओं पर भी चर्चा की गई।
पृष्ठभूमि
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का आरंभ 1950 के दशक में ही हो गया था, लेकिन इसकी महत्ता को 1970 के दशक में पहचान मिली।
- सबसे पहले जापान ने इस ओर पहल की और 1981 में फिफ्थ जेनरेशन नामक योजना की शुरुआत की थी। इसमें सुपर-कंप्यूटर के विकास के लिये 10-वर्षीय कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की गई थी।
- इसके बाद अन्य देशों ने भी इस ओर ध्यान दिया। ब्रिटेन ने इसके लिये 'एल्वी' नाम का एक प्रोजेक्ट बनाया। यूरोपीय संघ के देशों ने भी 'एस्प्रिट' नाम से एक कार्यक्रम की शुरुआत की थी।
- इसके बाद 1983 में कुछ निजी संस्थाओं ने मिलकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर लागू होने वाली उन्नत तकनीकों, जैसे-Very Large Scale Integrated सर्किट का विकास करने के लिये एक संघ ‘माइक्रो-इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कंप्यूटर टेक्नोलॉजी’ की स्थापना की।
क्या है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस?
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का अर्थ है मशीन या कंप्यूटर को इंटेलीजेंट (बुद्धिमान) बनाना। उदाहरण के लिये मैथ के ज़रिये विभिन्न परिस्थितियों में बेहतर ढंग से सोच-समझकर अपने काम को कर पाने की क्षमता मशीन को देना ही AI है।
- यह कार्य किसी भी रूप में हो सकता है जैसे- अपनी भाषा समझने, दृश्य देखने, मूवी देखने, फेसबुक पर किसकी पोस्ट देखनी है या किसकी नहीं आदि। यह शतरंज खेलने या एक गाड़ी को अपने आप चलाने की परिस्थिति में हो सकता है।
- किसी भी परिस्थिति में ऐसी मशीन जो वह काम करे जिससे हम उसे बुद्धिमान कह सकें AI है।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अर्थ है बनावटी (कृत्रिम) तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता।
- हाल के दिनों में AI का इस्तेमाल बढ़ा है और कहा जा रहा है कि भविष्य में इसके द्वारा उन सभी कार्यों को किया जा सकेगा जो एक इंसान करता है।
- इसके ज़रिये कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने का प्रयास किया जाता है जिसके आधार पर मानव मस्तिष्क काम करता है।
भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का आर्थिक प्रभाव
- एआई उत्पादन के नए कारक को बढ़ाने के साथ उत्पादन के परंपरागत कारकों जैसे- श्रम, पूंजी और नवाचार में तकनीकी परिवर्तन लाकर उत्पादकता में वृद्धि को बढ़ावा दे रहा है।
- एआई में पूंजी और श्रम की शारीरिक दखल को दूर करने की क्षमता के साथ मूल्यों और विकास के नए स्रोतों को प्राप्त करने की क्षमता है।
- आर्थिक प्रभाव के परिप्रेक्ष्य में अगर निम्नलिखित क्षेत्रों को सक्षम तथा सुदृढ़ बना दिया जाए तो इसमें विकास को गति देने की क्षमता है:
(a) इंटेलीजेंट ऑटोमेशन यानी जटिल शारीरिक कार्यों को स्वचालित प्रक्रिया द्वारा करने की क्षमता जिसके लिये उद्योगों में अनुकूलता और दक्षता की आवश्यकता होती है।
(b) श्रम और पूंजीगत वृद्धि
(c) नवाचारों का प्रसार अर्थात् नवाचारों को बढ़ावा देना क्योंकि यह अर्थव्यवस्था के माध्यम से फैलता है।
- एक क्षेत्र में AI नवाचारों के दूसरे क्षेत्र में भी सकारात्मक परिणाम प्रदर्शित होंगे क्योंकि उद्योग क्षेत्र वैल्यू चेन के आधार पर परस्पर निर्भर हैं।
- एक्सेंचर ने हाल ही में AI रिसर्च रिपोर्ट में G-20 के कुछ चनिंदा देशों के लिये AI के आर्थिक प्रभाव का मूल्यांकन करने हेतु एक ढाँचा प्रदान किया है और AI के माध्यम से भारत की वार्षिक वृद्धि दर को 2035 तक 1.3 प्रतिशत अंक तक बढ़ने का अनुमान लगाया है।
AI तथा समावेशी विकास
- AI के माध्यम से गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुँच बढ़ी है (स्थानीय पहुँच की बाधाओं को संबोधित करने सहित)।
- आबादी के एक बड़े वर्ग के समावेशी वित्तीय विकास में AI महत्त्वपूर्ण साबित हो रहा है जिसे अब तक औपचारिक वित्तीय उत्पादों से बाहर रखा गया है।
- किसानों को सही समय पर सलाह प्रदान करने और बढ़ती उत्पादकता की दिशा में अप्रत्याशित कारकों को संबोधित करने में AI सहायक सिद्ध हो रहा है।
- तेज़ी से शहरीकरण और बढ़ती आबादी की मांगों को पूरा करने के लिये स्मार्ट और कुशल शहरों तथा बुनियादी ढाँचे का निर्माण ऐसे कुछ उदाहरण हैं जिन्हें गैर-वृद्धिशील फायदों के माध्यम से सबसे अधिक प्रभावी ढंग से हल किया जा सकता है, जो कि AI जैसी तकनीक प्रदान कर सकती है।
- ई-कॉमर्स कंपनियाँ भी अब ग्राहक या उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करने लगी हैं।
रीस्किलिंग की होगी ज़रूरत
- क्या बुद्धिमान मशीनें बेरोज़गारी बढ़ा देंगी या मनुष्य को और निपुण बनाएंगी? इस सवाल का जवाब वर्तमान परिस्थितियों में दे पाना संभव नहीं है।
- जब इनका प्रयोग होने लगेगा तब यह समझना कि कैसे किसी कार्य क्षेत्र में बुद्धिमान मशीनों का कुशलता से उपयोग हो सकता है, सफलता के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाएगा।
- एक कुशल शिल्पकार, कलाकार, लेखक, संगीतकार, अध्यापक या डॉक्टर को बुद्धिमान मशीनों के युग में रोज़गार तो मिलेगा, पर बुद्धिमान मशीनों का व्यवसाय में दक्षता से प्रयोग उनके कौशल को और निखारेगा। सबसे ज़्यादा सफल तो वे होंगे जो एकदम नए उत्पाद, सेवाओं और उद्योगों की कल्पना करने में सक्षम होंगे।
- दरअसल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक जटिल विषय है, अतः सबसे पहले इसके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रभावों के संबंध में एक समग्र अध्ययन करना होगा।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर सरकार को सतर्क रहना होगा। मशीनीकरण के माध्यम से आए परिवर्तनों से सर्वाधिक प्रभावित वे समूह होते हैं जो अपनी कौशल क्षमता में निश्चित समय-सीमा के भीतर वांछनीय सुधार लाने में असमर्थ होते हैं।
- अतः सरकार को चाहिये कि ऐसे लोगों को पर्याप्त प्रशिक्षण देने के लिये समय के साथ-साथ संसाधन भी उपलब्ध कराए। तकनीकों के इस बदलते दौर में ज़रूरत इस बात की है कि विशेषज्ञतापूर्ण कार्यों के लिये लोगों को कौशल प्रशिक्षण दिया जाए और इसके लिये अवसंरचना का भी विकास किया जाए।
टीम दृष्टि इनपुट
AI का उपयोग तथा संभावनाएँ
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में वैश्विक स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक वृद्धिशील मूल्य प्रदान करने की क्षमता है और इसमें प्रतिस्पर्द्धी लाभ हासिल होने की संभावना है। निम्नलिखित क्षेत्रों में AI का उपयोग किया जा सकता है-
1. हेल्थकेयर
- हेल्थकेयर में AI के अनुप्रयोग से स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं तक पहुँच बनाने में उत्पन्न बाधाओं को हल करने में मदद मिल सकती है, खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में जहाँ कनेक्टिविटी की समस्या तथा स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में प्रशिक्षित कर्मियों की कमी है।
- AI के प्रयोग से डायग्नोस्टिक्स, व्यक्तिगत उपचार, संभावित महामारी की प्रारंभिक पहचान और इमेजिंग डायग्नोस्टिक्स को सरल बनाया जा सकता है।
- रोबोट अब गॉल ब्लैडर की सर्जरी तक करने लगे हैं। AI अनुप्रयोग के माध्यम से एक्स-रे और किसी बीमारी का पता लगाया जा सकता है।
2. कृषि
- AI में खाद्य क्रांति लाने और भोजन की बढ़ती मांग को पूरा करने की क्षमता है। 2050 तक 50% अधिक भोजन का उत्पादन करने और 2 अरब अतिरिक्त लोगों की खाद्य आवश्यकता पूरा करने की ज़रूरत होगी।
- इसमें अपर्याप्त मांग, सिंचाई की कमी और कीटनाशकों तथा उर्वरकों के दुरुपयोग जैसी चुनौतियों का समाधान करने की क्षमता भी है।
3. स्मार्ट मोबिलिटी, ट्रांसपोर्ट तथा लोजिस्टिक्स
- AI के संभावित उपयोग में स्वचालित फ्लीट, स्वचालित ड्राइवर तथा मशीनों की निगरानी और रखरखाव, ऑटोनोमस ट्रैकिंग एंड डिलीवरी तथा बेहतर यातायात प्रबंधन शामिल हैं।
4. रिटेल
- खुदरा क्षेत्र में AI का उपयोग व्यक्तिगत सुझाव, वरीयता-आधारित ब्राउज़िंग और इमेज आधारित उत्पाद की खोज करने में किया जा सकता है।
- अन्य उपयोग में ग्राहक की मांग, बेहतर इन्वेंटरी प्रबंधन तथा कुशल वितरण प्रबंधन शामिल हैं।
5. मैन्युफैक्चरिंग
- विनिर्माण उद्योग में बड़े लाभ प्राप्त करने के लिये AI में बड़ी संभावनाएँ दिखाई देती है। इसके प्रभाव क्षेत्र में इंजीनियरिंग (आर एंड डी प्रयासों के लिये AI), आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन (मांग पूर्वानुमान), उत्पादन (AI लागत में कमी और दक्षता में वृद्धि कर सकते हैं), रखरखाव, गुणवत्ता की गारंटी (जैसे उत्पाद में दोष और विचलन की पहचान करने के लिये मशीन लर्निंग एल्गोरिदम के साथ दृष्टि प्रणाली) और इन-प्लांट लॉजिस्टिक और वेयरहाउसिंग शामिल हैं।
- AI तकनीक के महत्त्व को देखते हुए आज दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियाँ भी इनकी मदद लेने को तैयार हैं।
6. ऊर्जा
- ऊर्जा क्षेत्र में इसके संभावित उपयोग के मामले में अस्थिरता को कम करने तथा बिजली संतुलन एवं उपयोग में दक्षता में वृद्धि शामिल है।
- नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों में AI स्मार्ट मीटर द्वारा सक्षम इंटेलीजेंट ग्रिड के माध्यम से ऊर्जा का भंडारण करने में सक्षम हो सकता है साथ ही फोटोवोल्टिक ऊर्जा की विश्वसनीयता और वहनीयता (affordability) में भी सुधार ला सकता है।
- विनिर्माण क्षेत्र की तरह AI को ग्रिड इंफ्रास्ट्रक्चर के पूर्वानुमानित रख-रखाव के लिये भी तैनात किया जा सकता है।
7. स्मार्ट शहर
- नए विकसित स्मार्ट शहरों और बुनियादी ढाँचे में AI का एकीकरण तेज़ी से शहरीकरण के कारण बढ़ती आबादी की मांगों को पूरा करने में मदद कर सकता है और उन्हें जीवन की गुणवत्ता प्रदान कर सकता है।
- इसका उपयोग भीड़ को कम करने, बेहतर भीड़ प्रबंधन के माध्यम से सुरक्षा हेतु यातायात को नियंत्रित करने में किया जा सकता है।
8. खेल
- खेलों में भी AI का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसकी मदद से छवियों को कैप्चर करने तथा सही रणनीति बनाने में मदद मिलती है।
9. अंतरिक्ष से जुड़ी खोज
- अंतरिक्ष से जुड़ी खोजों में भी AI का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसका इस्तेमाल अनेक तरह के खतरों से लड़ने के लिये भी किया जा रहा है। साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में धोखाधड़ी का पता लगाने, वित्तीय लेन-देन में होने वाली अनियमितता, ट्रेडिंग पैटर्न पर निगरानी जैसे मामलों में AI का इस्तेमाल किया जाता है।
क्यों ज़रूरी है सावधानी बरतना?
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से हमारे रहने और कार्य करने के तरीकों में व्यापक बदलाव आएगा। रोबोटिक्स और वर्चुअल रियलिटी जैसी तकनीकों से उत्पादन और निर्माण के तरीकों में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिलेगा।
- ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में बताया गया है कि केवल अमेरिका में अगले दो दशकों में डेढ़ लाख रोज़गार खत्म हो जाएंगे।
- आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस युक्त मशीनों के जितने फायदे हैं, उतने ही खतरे भी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सोचने-समझने वाले रोबोट अगर किसी कारण या परिस्थिति में मनुष्य को अपना दुश्मन मानने लगें, तो मानवता के लिये खतरा पैदा हो सकता है। सभी मशीनें और हथियार बगावत कर सकते हैं। ऐसी स्थिति की कल्पना हॉलीवुड की 'टर्मिनेटर' फिल्म में की गई है।
टीम दृष्टि इनपुट
भारत में AI को अपनाने से जुड़ी कुछ चुनौतियाँ
- विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोगपूर्ण प्रयास न किया जाना।
- प्रासंगिक डेटा अनुपलब्ध है, जबकि सुदृढ़ ओपन क्लिनिकल डेटा सेट की अनुपस्थिति है।
- डेटा की जानकारी के चलते औपचारिक विनियमन की कमी सहित गोपनीयता और डेटा की सुरक्षा संबंधी चिंताएँ।
- डेटा इकोसिस्टम को सक्षम करने संबंधी चुनौतियाँ।
- AI अनुसंधान में कमी।
- AI विशेषज्ञता, मैनपावर और स्किलिंग के अवसरों की अपर्याप्त उपलब्धता।
- व्यवसाय प्रक्रियाओं में AI को अपनाने के लिये उच्च संसाधन लागत और जागरूकता की कमी
- गोपनीयता, सुरक्षा और नैतिकता से संबंधित नियमों की अस्पष्टता।
- AI के क्षेत्र में अनुसंधान तथा उसे अपनाने के लिये बौद्धिक संपदा की अपर्याप्त व्यवस्था।
निष्कर्ष
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विगत कई दशकों से चर्चा के केंद्र में रहा एक ज्वलंत विषय है। वैज्ञानिक इसके अच्छे और बुरे परिणामों को लेकर समय-समय पर विचार-विमर्श करते रहते हैं। आज दुनिया तकनीक के माध्यम से तेज़ी से बदल रही है। विकास को गति देने और लोगों को बेहतर सुख-सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिये प्रत्येक क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। बढ़ते औद्योगीकरण, शहरीकरण और भूमंडलीकरण ने जहाँ विकास की गति को तेज़ किया है, वहीं इसने कई नई समस्याओं को भी जन्म दिया है, जिनका समाधान करने के लिये नित नए प्रस्ताव सामने आते रहते हैं। जहाँ वैज्ञानिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनेकानेक लाभ गिनाते हैं, वहीं वे यह भी मानते हैं कि इसके आने से सबसे बड़ा नुकसान मनुष्यों को ही होगा, क्योंकि उनका काम मशीनों से लिया जाएगा, जो स्वयं ही निर्णय लेने लगेंगी और अगर उन पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो वे मानव सभ्यता के लिये हानिकारक हो सकते हैं। ऐसे में इनके इस्तेमाल से पहले लाभ और हानि दोनों के संतुलन की आवश्यकता होगी।