दूरसंचार क्षेत्र: चुनौतियाँ एवं आगे की राह | 04 Dec 2019
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं से लगभग 92,000 करोड़ रुपए के समायोजित सकल राजस्व (Adjusted Gross Revenue- AGR) वसूलने की केंद्र सरकार की याचिका को अनुमति प्रदान की है।
- न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों वाली पीठ ने दूरसंचार विभाग द्वारा तय की गई एजीआर की परिभाषा को सही ठहराया।
- पीठ ने स्पष्ट किया कि इस मुद्दे पर आगे कोई मुकदमा नहीं दर्ज होगा तथा यह दूरसंचार कंपनियों द्वारा बकाया राशि की गणना एवं भुगतान के लिये एक समय-सीमा तय करेगा।
- जुलाई में केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया था कि भारती एयरटेल, वोडाफोन जैसी प्रमुख निजी दूरसंचार फर्मों तथा राज्य के स्वामित्व वाली MTNL एवं BSNL पर अब तक 92,000 करोड़ रुपए से अधिक का लाइसेंस शुल्क बकाया है।
- सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI ने दूरसंचार उद्योग की वित्तीय असफलता पर चिंता व्यक्त की है, जो कि पहले से ऋणग्रस्त है।
समायोजित सकल राजस्व
(Adjusted Gross Revenue- AGR)
- यह उपयोग और लाइसेंस शुल्क है जो दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunications- DoT) द्वारा दूरसंचार ऑपरेटरों पर लगाया जाता है। विभाग द्वारा इसकी दर 3.5%-8% के मध्य निर्धारित की गई है।
स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क
(Spectrum Usage Charge- SUC)
- यह वह शुल्क है जिसे मोबाइल एक्सेस सेवा प्रदान करने वाले लाइसेंसधारकों द्वारा अपने AGR के प्रतिशत के रूप में भुगतान किया जाना आवश्यक होता है। इसी के लिये सरकार द्वारा समय-समय पर दरें अधिसूचित की जाती हैं।
यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड
Universal Service Obligation Fund (USOF)
- यह ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों में लोगों के लिये वहन योग्य कीमतों पर गैर-भेदभावपूर्ण व गुणवत्तापूर्ण सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (Information and Communication Technology- ICT) सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित करता है।
- वर्तमान में इसकी दर 5% है जिसे इस क्षेत्र की कंपनियों द्वारा घटाकर 3% करने की मांग की जा रही है।
- इसका गठन वर्ष 2002 में दूरसंचार विभाग के तहत किया गया था।
- इस फंड के लिये संसदीय अनुमोदन की आवश्यकता होती है और इसे भारतीय टेलीग्राफ (संशोधन) अधिनियम, 2003 के तहत वैधानिक समर्थन प्राप्त है।
सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया
(Cellular Operators Association of India)
- इसका गठन वर्ष 1995 में एक पंजीकृत, गैर-सरकारी संस्थान के रूप में किया गया था।
- यह विश्वस्तरीय मोबाइल बुनियादी ढाँचा, उत्पादों और सेवाओं की स्थापना द्वारा भारत के लोगों को नवीनतम एवं सस्ती मोबाइल संचार सेवाओं का लाभ प्रदान करने के उद्देश्य से आधुनिक संचार क्षेत्र की उन्नति के लिये समर्पित है।
- भारती एयरटेल लिमिटेड, वोडाफोन इंडिया लिमिटेड, रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड इसके कुछ प्रमुख सदस्य हैं।
प्रमुख बिंदु
- कुछ साल पहले तक डेटा की कीमतें बहुत अधिक थीं। डेटा की कीमतों में पर्याप्त कमी लाने के लिये डेटा तथा रोमिंग शुल्क की भारी लागत में कटौती की गई।
- अब भारत टैरिफ शुल्क में विश्व के सबसे सस्ते देशों में से एक है, विशेषकर डेटा की कीमतों के मामले में और साथ ही कॉल भी निःशुल्क हैं।
- जब दूरसंचार उद्योग अर्जन मोड पर चल रहा था तब दूरसंचार घनत्व में भारत की संख्या कम थी, परंतु वर्तमान में लगभग 88% भारतीय जनसंख्या नेटवर्क के दायरे में है।
- वैश्विक स्तर पर औसत राजस्व प्रति उपयोगकर्त्ता (एआरपीयू) में लगभग 8-9 अमेरिकी डॉलर का उतार-चढ़ाव होता है, जबकि भारत में यह 1.2 अमेरिकी डॉलर के आसपास है।
- हाल ही में जियो ने पूंजीगत व्यय में निवेश करना बंद कर दिया है, लेकिन भारत को अभी भी बेहतर निवेश सुगमता के लिये कम-से-कम 7 लाख करोड़ रुपए के निवेश की आवश्यकता है।
- वर्तमान स्थिति यह सिद्ध करती है कि निजी क्षेत्र सेवाएँ प्रदान करने में सरकारी क्षेत्रों से बेहतर नहीं है।
- यद्यपि सरकारी सेवा प्रदाताओं (BSNL, MTNL) तथा निजी सेवा प्रदाताओं (जियो, वोडाफोन-आइडिया, भारती) के पास संपत्ति, ऋण और ईक्विटी की राशि बराबर है, जो पूर्व की तुलना में बहुत अधिक है।
पूंजीगत व्यय (Capital Expenditures) एक कंपनी द्वारा संपत्ति, भवन, एक औद्योगिक संयंत्र, प्रौद्योगिकी या उपकरण जैसी भौतिक संपत्ति को प्राप्त करने, अपग्रेड करने तथा बनाए रखने के लिये प्रयोग की जाने वाली निधि है।
चुनौतियाँ
- अनुचित प्रतिस्पर्द्धा: अधिक उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिये दूरसंचार कंपनियां एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्द्धा के चलते कम टैरिफ की पेशकश कर रही हैं, जो ज़्यादा राजस्व उत्पन्न नहीं करती हैं। यह या तो 'कोई प्रतिस्पर्द्धा नहीं की स्थिति' या किसी 'एक कंपनी के एकाधिकार की स्थिति' उत्पन्न कर सकती है।
- आधारभूत संरचना: दूरसंचार क्षेत्र को 5G स्पेक्ट्रम प्राप्त करना है तथा इसके लिये इंफ्रास्ट्रक्चर, एक्सपेंशन, टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन आदि में निवेश करना पड़ेगा, इसलिये यह अतिरिक्त बोझ इंडस्ट्री के लिये बड़ा झटका है।
- टैरिफ की वर्तमान प्रणाली: प्रमुख दूरसंचार ऑपरेटर घाटे तथा वित्तीय तनाव की रिपोर्ट कर रहे हैं। इससे ज्ञात होता है कि वर्तमान टैरिफ प्रणाली दूरसंचार के लिये आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं है।
समाधान
- दूरसंचार उद्योग: दूरसंचार उद्योग को टैरिफ दरों को विश्व में सबसे सस्ता बनाने के प्रयास के स्थान पर इन्हें निरंतर उच्च बनाए रखना चाहिये।
- निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा: यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि कोई गुटबंदी नहीं हो तथा कोई आंतरिक (दूसरों के मुकाबले में अपेक्षाकृत कम दाम पर बेचना) कटौती न हो। कंपनियों के मध्य निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
- परिणाम उन्मुख निवेश: सरकार के आदेश के बाद इस क्षेत्र हेतु आने वाली सभी राशि केवल दूरसंचार क्षेत्र में निवेश की जानी चाहिये ताकि उपभोक्ताओं को अधिक भुगतान करने की आवश्यकता न पड़े और राजस्व स्थिर हो।
- प्रौद्योगिकी: भारत को उत्पादों के स्थान पर प्रौद्योगिकी में निवेश करना चाहिये:
- भारत हर साल मुख्य रूप से मोबाइल फोन के लिये 40 बिलियन डॉलर के दूरसंचार उत्पादों का आयात कर रहा है, जो भविष्य के लिये स्थायी विकल्प नहीं है क्योंकि हमारे पास विदेशी मुद्रा भंडार बहुत ही सीमित है।
- प्रौद्योगिकी खरीदने पर एक बार अधिक खर्च होगा लेकिन समय के साथ विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
- दूरसंचार क्षेत्र को सेवा उन्मुख निवेश नीतियों से शिफ्ट होकर विनिर्माण उन्मुख नीतियों में परिवर्तित होना है।
- दूरसंचार क्षेत्र को टैरिफ शुल्क बढ़ाने के अलावा शिक्षा, चिकित्सा तथा मनोरंजन क्षेत्रों के सेवा प्रदाताओं के साथ जुड़कर मूल्यवर्द्धन करने की आवश्यकता है।
- सरकार:
- BSNL तथा MTNL को पुनर्जीवित करने के लिये सरकार ने उन्हें विलय करने और फिर विलय की गई इकाई को धन प्रदान करने का निर्णय लिया है। अन्य निजी सेवा प्रदाताओं के लिये भी यही दृष्टिकोण लागू किया जाना चाहिये।
- दूरसंचार उद्योग को वित्तीय तनाव से बाहर लाने के लिये सरकार को ब्याज संग्रह हेतु इन्हें पर्याप्त समय दिया जाना चाहिये।
- सरकार इनके जुर्माने तथा ब्याज को माफ कर सकती है या इसे कम भी कर सकती है।#
- सरकार को दूरसंचार उद्योग के लिये पूंजी निवेश में जुर्माने तथा ब्याज का पैसा लगाना चाहिये, उपकरणों और प्रौद्योगिकियों के लिये समान पहुँच के आधार पर उपलब्धता प्रदान की जानी चाहिये।
- सरकार को राजस्व सृजन के अधिक मार्गों की तलाश करनी चाहिये तथा इस संपूर्ण क्षेत्र को व्यवहार्य बनाने के लिये समान रूप से ज़िम्मेदार होना चाहिये।
- सरकार को विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये दूरसंचार उद्योग में मेक इन इंडिया को शामिल करना चाहिये।
- उपभोक्ता:
- दूरसंचार क्षेत्र की समस्या एक उभरती हुई समस्या है जिसका समाधान उपभोक्ताओं की उपलब्धता तथा भुगतान करने की उनकी क्षमता को विकसित करना है।
- निःशुल्क डेटा को कुछ सीमा तक कम कर दिया जाना चाहिये।
- जो उपभोक्ता भुगतान करने को तैयार हैं, उनसे उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार लाभ के लिये शुल्क लिया जाना चाहिये।
- उपभोक्ताओं के लिये विभिन्न क्षेत्रों हेतु स्लैब और प्राथमिकताओं को ग्राहक केंद्रित रूप में निर्धारित किया जाना चाहिये और आवश्यकता विशिष्ट योजनाओं तथा निजीकरण की सुविधा होनी चाहिये।
विदेशी मॉडलों से क्या सीखा जा सकता है?
- अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में डेटा को बहुत तर्कसंगत रूप से योजनाबद्ध किया गया है तथा लोगों की विभिन्न एवं विशिष्ट आवश्यकताओं के लिये उपयुक्त विभिन्न योजनाएँ हैं।
- दूरसंचार कंपनियाँ ऑपरेटरों के अलावा हैंडसेट कंपनी जैसी कई अन्य कंपनियों के साथ जुड़ी होती हैं।
- भारत में वाई-फाई ज़ोन या सार्वजनिक वाई-फाई ज़ोन को इस्तेमाल करना पूरी तरह से निःशुल्क नहीं होना चाहिये, इसके स्थान पर भारत को अमीरात, सिंगापुर से सीख लेनी चाहिये जहाँ एयरलाइनों द्वारा डेटा की निर्धारित सीमा के प्रयोग के बाद वे ग्राहकों से डेटा के लिये शुल्क लिया जाता है।
आगे की राह
- दूरसंचार क्षेत्र के अंतर्गत ही बहुत सारे विकल्प उपलब्ध हैं जो भारत में वैश्विक स्तर की प्रौद्योगिकी, नवाचार तथा रोज़गार बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
- इस उद्योग को धारणीय बनाने और अनुचित व्यापार प्रथाओं एवं अनुचित प्रतियोगिताओं को रोकने के लिये स्वयं इस उद्योग, उपभोक्ताओं तथा सरकार को एक साथ मिलकर प्रयास करना होगा।
- ग्राहकों हेतु सुविधाओं के लिये इस क्षेत्र को अभिसरण के साथ समग्र दृष्टिकोण की तलाश करनी होगी।
- यह हमारी विकसित होती अर्थव्यवस्था में एक बहुत मज़बूत घटक है तथा विभिन्न संबद्ध क्षेत्रों के साथ व्यवस्था में गहराई से निहित है। संपत्ति अनुकूलन तथा राजस्व उत्पत्ति के लिये नवीन एवं बेहतर तरीके खोजे जाने चाहिये।
प्रश्न: दूरसंचार कंपनियों को वित्तीय संकट से उबारने हेतु समायोजित सकल राजस्व में छूट एकमात्र उपाय है। विश्लेषण कीजिये।