यूरोपियन यूनियन | 21 Oct 2020
Last Updated: July 2022
यूरोपियन यूनियन 27 देशों का एक समूह है जो एक संसक्त आर्थिक और राजनीतिक ब्लॉक के रूप में कार्य करता है।
इसके 19 सदस्य देश अपनी आधिकारिक मुद्रा के तौर पर 'यूरो' का उपयोग करते हैं, जबकि 8 सदस्य देश (बुल्गारिया, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, हंगरी, पोलैंड, रोमानिया, स्वीडन) यूरो का उपयोग नहीं करते हैं।
यूरोपीय देशों के मध्य सदियों से चली आ रही लड़ाई को समाप्त करने के लिये यूरोपीय संघ के रूप में एक एकल यूरोपीय राजनीतिक इकाई बनाने की इच्छा विकसित हुई जिसका द्वितीय विश्व युद्ध के साथ समापन हुआ और इस महाद्वीप का अधिकांश भाग समाप्त हो गया।
EU ने कानूनों की मानकीकृत प्रणाली के माध्यम से एक आंतरिक एकल बाज़ार (Internal Single Market) विकसित किया है जो सभी सदस्य राज्यों के मामलों में लागू होता है और सभी सदस्य देशों की इस पर एक राय होती है।
लक्ष्य
- EU के सभी नागरिकों के लिये शांति, मूल्य एवं कल्याण को प्रोत्साहित करना।
- आंतरिक सीमाओं के बिना स्वतंत्रता, सुरक्षा एवं न्याय प्रदान करना।
- यह सतत् विकास, संतुलित आर्थिक वृद्धि एवं मूल्य स्थिरता, पूर्ण रोज़गार और सामाजिक प्रगति के साथ एक अत्यधिक प्रतिस्पर्धी बाज़ार अर्थव्यवस्था और पर्यावरणीय सुरक्षा पर आधारित है।
- सामाजिक बहिष्कार और भेदभाव का निराकरण।
- वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देना।
- EU देशों के मध्य आर्थिक, सामाजिक और क्षेत्रीय एकजुटता एवं समन्वय को बढ़ावा देना।
- इसकी समृद्ध सांस्कृतिक और भाषायी विविधता का सम्मान करना
- एक आर्थिक और मौद्रिक यूनियन की स्थापना करना जिसकी मुद्रा यूरो है।
इतिहास
- यूरोपीय एकीकरण को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अत्यधिक राष्ट्रवाद को नियंत्रित करने के रूप में देखा गया था जिसने महाद्वीप को लगभग तबाह कर दिया था।
- वर्ष 1946 में जुरिच विश्वविद्यालय, स्विट्ज़रलैंड में विंस्टन चर्चिल ने आगे बढ़कर यूनाइटेड स्टेट ऑफ यूरोप के उद्भव की वकालत की।
- वर्ष 1952 में 6 देशों (बेल्जियम, फ्राँस , जर्मनी, इटली, लक्जमबर्ग और नीदरलैंड) द्वारा अपने कोयला और इस्पात उत्पादन को एक आम बाज़ार में रखकर, उनकी संप्रभुता के हिस्से को खत्म करने हेतु पेरिस संधि के तहत यूरोपीय कोल एवं स्टील कम्युनिटी (European Coal and Steel Community - ECSC) की स्थापना की गई थी।
- वर्ष 1952 में पेरिस संधि के तहत यूरोपीय न्यायालय ( वर्ष 2009 तक इसे यूरोपीय समुदायों के न्याय के लिये न्यायालय कहा जाता था ) की स्थापना भी की गई थी।
- यूरोपीय परमाणु ऊर्जा समुदाय (EAEC या Euratom) यूरोप में परमाणु ऊर्जा हेतु एक विशेषज्ञ बाज़ार बनाने के मूल उद्देश्य के साथ यूरेटोम संधि (1957) द्वारा स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। इसके अलावा इसका उद्देश्य परमाणु ऊर्जा विकसित करके अपने सदस्य राज्यों में इसे वितरित करना और अधिशेष को गैर-सदस्य राज्यों को बेचना है।
- इसके सदस्यों के संख्या यूरोपियन यूनियन के समान ही है जिसका शासन यूरोपीय आयोग एवं परिषद द्वारा किया जाता है तथा इसका संचालन यूरोपीय न्यायालय के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत होता है।
- यूरोपीय आर्थिक समुदाय (European Economic Community - EEC) की स्थापना रोम संधि(1957) के अनुसार की गई थी। समुदाय का प्रारंभिक उद्देश्य संस्थापक सदस्यों (छः) के मध्य एक साझा बाज़ार एवं सीमा शुल्क संघ शामिल करते हुए आर्थिक एकीकरण स्थापित करना था।
- इसका अस्तित्व लिस्बन संधि-2007 द्वारा समाप्त हो गया एवं इसकी गतिविधियों को EU में शामिल कर लिया गया था।
- विलय संधि ( Merger Treaty) (1965, ब्रुसेल्स) में हुए एक समझौते के अनुसार तीन समुदायों (ECSC, EAEC और EEC) का विलय कर यूरोपीय समुदाय की स्थापना की गई।
- EEC के आयोग एवं परिषद को अन्य संगठनों में अपने समकक्षों (ECSC, EAEC) की ज़िम्मेदारियों लेनी थीं।
- ECs का प्रारंभिक तौर पर विस्तार वर्ष 1973 में तब हुआ जब डेनमार्क, आयरलैंड, यूनाइटेड किंगडम इसके सदस्य बने थे। इसके बाद वर्ष 1981 में ग्रीस तथा वर्ष 1986 में पुर्तगाल और स्पेन इसमें शामिल हुए।
- शेंगेन समझौता (Schengen Agreement-1985) में अधिकांश सदस्य राज्यों के मध्य बिना पासपोर्ट नियंत्रण के(without pasport controls) खुली सीमाओं के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया गया। यह वर्ष 1995 में प्रभावी था।
- सिंगल यूरोपीय अधिनियम (1986): इस अधिनियम को यूरोपीय समुदाय द्वारा अधिनियमित किया गया। इसने अपने सदस्य देशों को उनके आर्थिक विलय हेतु एक समय सारिणी बनाने के लिये प्रतिबद्ध किया और एक अलग यूरोपीय मुद्रा एवं साझा विदेशी तथा घरेलू नीतियों को स्थापित किया।
- मास्ट्रिच संधि-1992: (इसे यूरोपीय संघ की संधि भी कहा जाता है) इस संधि को नीदरलैंड के मास्ट्रिच में यूरोपीय समुदाय के सदस्यों द्वारा 7 फरवरी, 1992 को हस्ताक्षरित किया गया था ताकि यूरोपीय एकीकरण को आगे बढ़ाया जा सके। इसे शीत युद्ध की समाप्ति के बाद अधिक प्रोत्साहन/बढ़ावा मिला।
- यूरोपीय समुदाय (ECSC, EAEC और EEC) को यूरोपीय संघ के रूप में शामिल किया गया।
- यूरोपीय नागरिकता बनाई गई, जिससे नागरिकों को सदस्य राज्यों के मध्य स्वतंत्र रूप से रहने और स्थानांतरित करने की अनुमति मिली।
- एक साझा विदेशी एवं सुरक्षा नीति की स्थापना की गई थी।
- पुलिस और न्यायपालिका के मध्य आपराधिक मामलों में आपसी सहयोग पर सहमति बनी।
- इसने एक अलग यूरोपीय मुद्रा 'यूरो' के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया । यह यूरोप में बढ़ते आर्थिक सहयोग पर कई दशकों की बहस की परिणाम था।
- इसने यूरोपीय केंद्रीय बैंक (ECB) की स्थापना की।
- इसने यूरोपीय संघ के देशों में रहने वाले लोगों को स्थानीय कार्यालयों और यूरोपीय संसद के चुनावों हेतु सक्षम बनाया।
- वर्ष 1999 में एक मौद्रिक संघ की स्थापना की गई थी जिसे वर्ष 2002 में पूर्णरूप से प्रभाव में लाया गया तथा यह यूरो मुद्रा का प्रयोग करने वाले 19 यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों से बना है। ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, साइप्रस, एस्टोनिया, फिनलैंड, फ्राँस, जर्मनी, ग्रीस, आयरलैंड, इटली, लातविया, लिथुआनिया, लक्जमबर्ग, माल्टा, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया एवं स्पेन इसके सदस्य देश हैं।
- वर्ष 2002 में पेरिस संधि (1951) समाप्त हो गई और ECSC का अस्तित्व भी समाप्त हो गया एवं इसकी सभी गतिविधियों या कार्यों को यूरोपीय समुदाय द्वारा अधिग्रहीत कर लिया गया।
- वर्ष 2007 की लिस्बन संधि :
- लिस्बन की संधि (इसे प्रारंभ में सुधार संधि के रूप में जाना जाता है) एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जो दो संधियों में संशोधन करता है तथा यह EU के संवैधानिक आधार का गठन करती है।
- EAEC केवल एक ऐसा सामुदायिक संगठन है जो कानूनी तौर पर यूरोपीय संघ से पृथक है परंतु इनकी सदस्यता एक समान है और इनका शासन यूरोपीय संघ के विभिन्न संस्थानों द्वारा किया जाता है।
- यूरो संकट: यूरोपीय संघ और यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ECB) ने वर्ष 2008 के वैश्विक वित्तीय बाज़ार के पतन के बाद से पुर्तगाल, आयरलैंड, ग्रीस और स्पेन में उच्च संप्रभु ऋण और कम होते विकास के साथ संघर्ष किया है। वर्ष 2009 में ग्रीस एवं आयरलैंड को इस समुदाय से वित्तीय सहयोग प्राप्त हुआ जो राजकोषीय मितव्ययिता का रूप था। वर्ष 2011 में पुर्तगाल ने द्वितीय ग्रीक राहत पैकेज (Second Greek bailout) का अनुसरण किया।
- ब्याज दरों में की गई कटौती और आर्थिक प्रोत्साहन इन समस्याओं का समाधान करने में असफल हो रहे।
- जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम एवं नीदरलैंड जैसे उत्तरी देशों ने दक्षिण से हुए वित्तीय पलायन पर नाराज़गी जताई।
- वर्ष 2012 में यूरोप में मानव अधिकारों, लोकतंत्र और शांति एवं मेल-मिलाप की उन्नति में योगदान के लिये EU को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- ब्रेक्ज़िट (Brexit): वर्ष 2016 में यू.के. सरकार द्वारा एक जनमत संग्रह का आयोजन किया गया और राष्ट्रों ने EU को त्यागने के पक्ष में मतदान किया। वर्तमान में EU से औपचारिक रूप से बाहर निकलने के लिये यूनाइटेड किंगडम के अंतर्गत एक प्रक्रिया है।
- अब यूरोपीय संघ से औपचारिक रूप से बाहर आने की प्रक्रिया ब्रिटेन की संसद के अधीन है।
शासन
- यूरोपीय परिषद
- यह एक सामूहिक निकाय है जो यूरोपीय संघ की सभी राजनीतिक दिशाओं एवं प्राथमिकताओं को परिभाषित करता है।
- इसमें यूरोपीय परिषद एवं यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष के साथ साथ राज्यों के प्रमुख या EU सदस्य राज्यों की सरकारें शामिल हैं।
- सुरक्षा नीतियों एवं विदेशी मामलों के लिये संघ के उच्च प्रतिनिधि भी सम्मेलनों में भाग लेते हैं।
- वर्ष 1975 में इसे एक अनौपचारिक सम्मेलन के रूप में स्थापित किया गया था। लिस्बन संधि की शक्तियों को प्राप्त करने के बाद वर्ष 2009 में यूरोपीय परिषद को एक औपचारिक संस्था के तौर पर स्थापित किया गया था
- इस सम्मेलन के निर्णयों को सर्वसम्मति से अपनाया गया था।
- यूरोपीय संसद : यह यूरोपीय संघ (EU) का एकमात्र संसदीय संस्थान है। यह यूरोपीय संघ की परिषद (इसे 'परिषद' के रूप में भी जाना जाता है) के सहयोग से यूरोपीय संघ के विधायी कार्यों (legislative function) को देखता है।
- यूरोपीय संसद के पास उतनी अधिक विधायी शक्तियाँ नहीं हैं जितनी कि इसके सदस्य देशों की संसद के पास हैं।
- यूरोपीय संघ की परिषद: यह अनिवार्य रूप से द्विसदनीय यूरोपीय संघ के विधानमंडल (Bicameral EU legislature) का एक भाग है (यूरोपीय संसद के रूप में अन्य विधायी निकाय) और यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों की कार्यकारी सरकारों (मंत्री) का प्रतिनिधित्व करती है।
- परिषद में यूरोपीय संघ के प्रत्येक देश की सरकार के मंत्री चर्चा करने, संशोधन करने, कानूनों को अपनाने और नीतियों के समन्वय के लिये मिलते हैं। बैठक में सहमत कार्यों को करने के लिये मंत्रियों के पास अपनी सरकारों को प्रतिबद्ध करने काअधिकार है।
- यूरोपीय आयोग (EC): यह यूरोपीय संघ का एक कार्यकारी निकाय है। यह विधायी प्रक्रियाओं के प्रति उत्तरदायी है। यह विधानों को प्रस्तावित करने, निर्णयों को लागू करने, यूरोपीय संघ की संधियों को बरकरार रखने और यूरोपीय संघ के दिन-प्रतिदिन के कार्यों के प्रबंधन के लिये ज़िम्मेदार है।
- आयोग 27 सदस्य देशों के साथ एक कैबिनेट सरकार के रूप में कार्य करता है। प्रति सदस्य देश से एक सदस्य आयोग में शामिल होता है। इन सदस्यों का प्रस्ताव सदस्य देशों द्वारा ही दिया जाता है जिसे यूरोपीय संसद द्वारा अंतिम स्वीकृति दी जाती है।
- 27 सदस्य देशों में से एक को यूरोपीय परिषद द्वारा अध्यक्ष पद हेतु प्रस्तावित और यूरोपीय संसद द्वारा निर्वाचित किया जाता है।
- संघ के विदेशी मामलों और सुरक्षा नीति के लिये उच्च प्रतिनिधि की नियुक्ति यूरोपीय परिषद द्वारा मतदान द्वारा की जाती है और इस निर्णय के लिये यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष की सहमति आवश्यक होती है। उच्च प्रतिनिधि यूरोपीय संघ के विदेशी मामलों, सुरक्षा एवं रक्षा नीतियों के क्रियान्वयन के लिये ज़िम्मेदार होता है।
- यूरोपीय न्यायालय का लेखा-परीक्षक (ECA): यह सदस्य देशों को यूरोपीय संघ की संस्थाओं और यूरोपीय संघ द्वारा किये गए वित्तपोषण के उचित प्रबंधन की जाँच करता है।
- यह किसी भी कथित अनियमितताओं पर मध्यस्थता करने के लिये
- अनसुलझी समस्याओं को यूरोपीय न्यायालय को संदर्भित कर सकता है।
- ECA के सदस्यों की नियुक्ति 6 वर्षों के लिये परिषद द्वारा संसद से परामर्श के बाद की जाती है।
- यूरोपीय संघ का न्यायालय (CJEU): यह सुनिश्चित करने के लिये कि यह सभी यूरोपीय संघ के देशों में समान रूप से लागू होता है, यूरोपीय संघ के कानून की व्याख्या करता है और राष्ट्रीय सरकारों तथा यूरोपीय संघ के संस्थानों के मध्य कानूनी विवादों का समाधान करता है।
- EU संस्थान के प्रति कार्रवाई करने के लिये यह व्यक्तियों, कंपनियों या संगठनों के माध्यम से भी संपर्क कर सकता है यदि वे महसूस करते हैं कि EU प्रणाली के अंतर्गत उनके अधिकारों का उल्लंघन किया गया है।
- प्रत्येक न्यायाधीश और महाधिवक्ता को राष्ट्रीय सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से नियुक्त किया जाता है।
- यह लक्जमबर्ग में अवस्थित है।
- यूरोपीय केंद्रीय बैंक (ECB): यह यूरो के लिये केंद्रीय बैंक है और यूरो क्षेत्र के भीतर मौद्रिक नीति का संचालन करता है जिसमें यूरोपीय संघ के 19 सदस्य राज्य शामिल हैं।
- शासन परिषद: यह ECB का एक निर्णय लेने वाला निकाय है। यह यूरो क्षेत्र के देशों के राष्ट्रीय बैंकों के गवर्नर और कार्यकारी बोर्ड से मिलकर बना है।
- कार्यकारी बोर्ड: यह ECB के प्रतिदिन के कार्यों को नियंत्रित करता है। इसमें ECB अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष और 4 अन्य सदस्य शामिल हैं जिनकी नियुक्ति यूरो क्षेत्र के देशों के राष्ट्रीय गवर्नर द्वारा की जाती है।
- यहउन ब्याज दरों को निर्धारित करता है जिस पर यह यूरो क्षेत्र के व्यावसायिक बैंकों को ऋण देता है, इस प्रकार यह मुद्रास्फीति एवं मुद्रा आपूर्ति को नियंत्रित करता है।
- यह यूरो क्षेत्र के देशों द्वारा जारी यूरो बैंक नोट को अधिकृत करता है।
- यूरोपीय बैंकिंग प्रणाली की सुदृढ़ता एवं सुरक्षा को सुनिश्चित करता है।
- यह जर्मनी के फ्रैंकफर्ट मे अवस्थित है।
- वित्तीय पर्यवेक्षण की यूरोपीय प्रणाली (ESFS): इसकी स्थापना वर्ष 2010 में हुई थी। इसमें शामिल हैं:
- यूरोपियन सिस्टेमेटिक रिस्क बोर्ड (ESRB)
- 3 यूरोपीय पर्यवेक्षी प्राधिकरण (ESAs)
- यूरोपीय बैंकिंग प्राधिकरण (EBA)
- यूरोपीय सुरक्षा एवं बाज़ार प्राधिकरण (ESMA)
- यूरोपीय बीमा और व्यावसायिक पेंशन प्राधिकरण (EIOPA)
कार्य
- यूरोपीय संघ का कानून और विनियमन अपने सदस्य देशों की एक संसक्त आर्थिक इकाई बनाने के लिये है ताकि माल को सदस्य राष्ट्रों की सीमाओं तक बिना शुल्क के एक ही मुद्रा में और एक बढ़े हुए श्रम समुच्चय के निर्माण से स्वतंत्र रूप से पहुँचाया जा सके, जो अधिक कुशल वितरण और श्रम का उपयोग सुनिश्चित करता है।
- यह वित्तीय संसाधनों का एक संयोजन है ताकि सदस्य राष्ट्र निवेश करने के लिये 'बेल आउट' या पैसा उधार ले सकें।
- सदस्य देशों के लिये संघ की अपेक्षाएँ मानव अधिकार एवं पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में राजनीतिक निहितार्थ हैं। संघ अपने सदस्य देशों को सहायता देने की शर्तों के रूप में मितव्ययी बजट (Austerity Budget) और विभिन्न कटौतियों जैसे भारी राजनीतिक लागतों को आरोपित कर सकता है।
- व्यापार
a. इसके सदस्यों के मध्य मुक्त व्यापार यूरोपीय संघ के संस्थापक सिद्धांतों में से एक था जिसका श्रेय एकल बाज़ार को जाता है। इसकी सीमाओं से परे यूरोपीय संघ विश्व व्यापार के उदारीकरण के लिये भी प्रतिबद्ध है।
b. यूरोपीय संघ विश्व में सबसे बड़ा व्यापारिक ब्लॉक है। यह विश्व में निर्मित वस्तुओं एवं सेवाओं का सबसे बड़ा आयातक है और 100 से अधिक देशों के लिये निर्यात हेतु सबसे बड़ा बाज़ार है। - मानवीय सहयोग
a. यूरोपीय संघ विश्व भर में कृत्रिम और प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों के सहयोग के लिये प्रतिबद्ध है एवं प्रतिवर्ष 120 मिलियन से अधिक लोगों को सहयोग प्रदान करता है।
b. EU और उसके घटक देश मानवीय सहायता प्रदान करने वाले दुनिया के प्रमुख दाता देश हैं। - कूटनीति और सुरक्षा
a. EU कूटनीति के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है और स्थिरता, सुरक्षा तथा समृद्धि, लोकतंत्र आधारभूत स्वतंत्रता एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विधि के नियमों को बढ़ावा देने के लिये कार्य करता है।
यूरोपीय संघ की हिंद-प्रशांत रणनीति:
- यूरोपीय संघ (ईयू) ने इंडो-पैसिफिक में घनिष्ठ संबंध और मज़बूत उपस्थिति को आगे बढ़ाने के लिये अक्बतूर 2021 में इंडो-पैसिफिक में सहयोग हेतु अपनी रणनीति जारी की। रणनीति की प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं:
- संवहनीय आपूर्ति शृंखला: हिंद-प्रशांत भागीदारों के साथ इस संलग्नता का प्राथमिक उद्देश्य अधिक प्रत्यास्थी और संवहनीय वैश्विक मूल्य शृंखलाओं का निर्माण करना है।
- समान विचारधारा वाले देशों के साथ साझेदारी: ऐसा प्रतीत होता है कि यूरोपीय संघ की रणनीति वर्तमान में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पहले से स्थापित साझेदारियों को और सुदृढ़ करने तथा समान विचारधारा वाले देशों के साथ नई साझेदारियाँ विकसित करने पर अधिक केंद्रित है, ताकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसकी भूमिका और बढ़ती उपस्थिति सुनिश्चित हो सके।
- ‘क्वाड’ (Quad) सदस्यों के साथ सहयोग की इच्छा: यूरोपीय संघ ‘क्वाड’ सदस्य देशों के साथ जलवायु परिवर्तन, प्रौद्योगिकी और वैक्सीन जैसे विषयों में सहयोग की इच्छा रखता है।
- पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में चीन की विस्तारवादी प्रवृत्तियों और हिंद महासागर में इसके बढ़ते पदचिह्नों को देखते हुए, यूरोपीय संघ इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में क्वाड देशों के साथ काम करने को तैयार है।
- साथ ही, चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिये यूरोपीय संघ ने "ग्लोबल गेटवे" योजना शुरू की।
चुनौतियाँ और सुधार
- वर्तमान में यह स्पष्ट नहीं है कि सभी पुराने सदस्य राज्य संघ में रहेंगे। लिस्बन संधि के बाद से सदस्यों को यूरोपीय संघ से बाहर होने का अधिकार मिल गया है। वित्तीय संकट ने ग्रीस को बुरी तरह से प्रभावित किया है। यह आशंका जताई जा रही है कि यह देश संघ से बाहर निकल जाएगा।
- उन देशों में जहाँ श्रम सस्ता है, रोज़गार हेतु पलायन, छँटनी एवं रिक्तता यूरोपीय नागरिकों के दैनिक जीवन को प्रभावित करता है। EU आर्थिक समस्याओं एवं रोज़गार के समाधान के लिये अपेक्षित है।
- रोज़गार एवं कार्य करने की शर्तों पर मानक श्रम समझौतों की मांग भी की जा रही है जो पूरे यूरोप और यहाँ तक कि विश्व भर में लागू होंगे। विश्व व्यापार संगठन के सदस्य के रूप में यूरोपीय संघ एक ऐसी स्थिति में है कि वह वैश्विक विकास को प्रभावित कर सकता है।
- EU प्रमुख सक्षम प्रौद्योगिकियों ( Key Enabling Technologies - KETs) के विकास में एक वैश्विक नेतृत्वकर्त्ता की भूमिका निभाता है। यूरोपीय संघ में प्रमुख सक्षम प्रौद्योगिकियों (KETs) से संबंधित निर्माण कम हो रहा है और यूरोपीय संघ से बाहर पेटेंट का तेज़ी से दोहन हो रहा है।
- यूरोपीय नेताओं को अब डर है कि पारगमन सुरक्षा गारंटी गठबंधन और सामान्य हितों पर नहीं बल्कि अमेरिकी प्रौद्योगिकी और मेटिरियल की खरीद पर केंद्रित होगी।
- यूनाइटेड स्टेट्स की तरह यूरोपीय संघ ने यूरोपीय सुरक्षा और स्थिरता के निहितार्थ मुखर रूस के साथ अपने संबंधों पर पुनर्विचार करने के लिये दबाव डाला है। यूरोपीय संघ ने यूक्रेन के राजनीतिक संक्रमण काल में सहयोग करने की बात की है। मार्च 2014 में रूस के क्रीमिया राज्य-हरन की निंदा की और दृढ़तापूर्वक रूस से आग्रह किया कि वह यूक्रेन के पूर्व क्षेत्र में अलगाववादी ताकतों का समर्थन करना बंद करे।
- ब्रेक्जिट: यूरोपीय संघ ने व्यापार पर कई नियमों को आरोपित किया है और बदले में प्रतिवर्ष सदस्यता शुल्क के तौर पर बिलियन पाउंड शुल्क वसूला।
- वर्ष 2004 में यूरोपीय संघ ने आठ पूर्वी यूरोपीय देशों को जोड़ा, जिससे आव्रजन की लहर शुरू हो गई और इसने सार्वजानिक सेवाओं को तनाव की स्थिति में ला दिया। इंग्लैंड और वेल्स में विदेशी मूल के निवासियों की हिस्सेदारी 2011 तक 13.4 प्रतिशत थी, जो 1991 से लगभग दोगुनी थी।
- ब्रेक्जिट समर्थक चाहते थे कि ब्रिटेन अपनी सीमाओं का पूर्ण नियंत्रण वापस ले और यहाँ रहने या काम करने के लिये आने वाले लोगों की संख्या को कम करे।
- उन्होंने तर्क दिया कि EU एक सुपर स्टेट में रूपांतरित हो रहा है जिसने राष्ट्रीय संप्रभुता को प्रभावित किया है। उनका मानना है कि ब्रिटेन बिना किसी गुट के वैश्विक ताकत है और वह स्वयं बेहतर व्यापार संधियों पर बातचीत कर सकता है।
- यूरोपीय संघ से बाहर होने की प्रक्रिया को EU की संधि के अनुच्छेद 50 द्वारा शासित किया जाता है।
- ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के मध्य एक समझौता जो इसे आप्रवासन पर नियंत्रण की शक्ति देता है और 500 मिलियन लोगों को यूरोपीय संघ के टैरिफ-मुक्त एकल बाज़ार तक तरजीही पहुँच प्रदान करता है। विश्व के सबसे बड़े व्यापार ब्लॉक की आर्थिक मज़बूती को जर्मनी एवं अन्य EU नेताओं द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया है।
EU और भारत
- EU देश भर में शांति स्थापना, रोज़गार सृजन, आर्थिक विकास को बढ़ाने एवं सतत् विकास को प्रोत्साहित करने के लिये भारत के साथ निकटता से कार्य करता है।
- जैसा कि भारत ने निम्न से मध्यम आय वाले देश की श्रेणी में प्रवेश किया (OECD वर्ष 2014), भारत-EU सहयोग भी साझा प्राथमिकताओं पर केंद्रित होकर पारंपरिक वित्तीय सहायता से साझेदारी की ओर अग्रसर हुआ है।
- वर्ष 2017 में EU-भारत शिखर सम्मेलन में नेताओं ने सतत् विकास के लिये एजेंडा 2030 के क्रियान्वयन पर सहयोग को मज़बूती प्रदान करने के लिये अपने इरादे को दोहराया और भारत-EU विकास संवाद के विस्तार के अन्वेषण हेतु सहमत हुए।
- यूरोपीय संघ वस्तु व्यापार में 2019-20 में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था, चीन और अमेरिका से आगे कुल व्यापार 90 बिलियन अमेरिकी डॉलर के करीब था।
- EU भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है, वर्ष 2017 में दोनों के बीच वस्तुओं का कुल व्यापार € 85 बिलियन (95 बिलियन USD) या कुल भारतीय व्यापार का 13.1% है जो चीन (11.4%) और USA (9.5%) से अधिक है।
- भारत - EU द्विपक्षीय व्यापार और निवेश समझौता (BTIA): यह भारत और EU के मध्य मुक्त व्यापार समझौता है जिसकी शुरुआत वर्ष 2007 में की गई थी।
- हाल ही में, भारत और यूरोपीय संघ ने नई दिल्ली में भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और निवेश समझौतों के लिये पहले दौर की वार्ता संपन्न की।
- दूसरे दौर की वार्ता सितंबर 2022 में ब्रुसेल्स में होने वाली है।
- BTIA पर हस्ताक्षर के साथ, भारत और यूरोपीय संघ अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार और निवेश में बाधाओं को दूर करके द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने की उम्मीद करते हैं।
- हाल ही में, भारत और यूरोपीय संघ ने नई दिल्ली में भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और निवेश समझौतों के लिये पहले दौर की वार्ता संपन्न की।
निष्कर्ष
EU के विकास का आधार विभाजित यूरोप के एकीकरण में है जिसका कारण लंबे समय से मौजूद राष्ट्रवाद तथा दो विश्व युद्ध भी हैं। समूह ने कमज़ोर सदस्य देशों के लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने और आर्थिक परिस्थितियों में सुधार लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।