शासन व्यवस्था
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण
- 16 Aug 2021
- 10 min read
Last Updated: July 2022
परिचय
वैधानिक संस्था: भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India- TRAI) की स्थापना 20 फरवरी, 1997 को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 द्वारा की गई थी।
उद्देश्य:
- TRAI का मिशन देश में दूरसंचार के विकास के लिये अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण करना एवं इसे बेहतर बनाना है।
- TRAI दूरसंचार सेवाओं के लिये टैरिफ के निर्धारण/संशोधन सहित दूरसंचार सेवाओं को नियंत्रित करता है जो पहले केंद्र सरकार के क्षेत्राधिकार में आता था।
- इसका उद्देश्य एक स्वच्छ और पारदर्शी वातावरण प्रदान करना है जिससे कंपनियों के मध्य निष्पक्ष और स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा हो सकें।
- मुख्यालय: भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
TRAI की संरचना
- सदस्य: TRAI में एक अध्यक्ष, दो पूर्णकालिक सदस्य और दो अंशकालिक सदस्य होते हैं, जिनकी नियुक्ति भारत सरकार द्वारा की जाती है।
- सदस्यों का कार्यकाल: अध्यक्ष और अन्य सदस्य तीन वर्ष की अवधि के लिये या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, तक अपने पद पर बने रहेंगे।
- अध्यक्ष: अध्यक्ष के पास सामान्य अधीक्षण की शक्तियाँ होती हैं।
- वह TRAI की बैठकों की अध्यक्षता करता है।
- उपाध्यक्ष: केंद्र सरकार प्राधिकरण के सदस्यों में से एक को TRAI के उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त कर सकती है।
- उपाध्यक्ष अपनी अनुपस्थिति में अध्यक्ष की शक्तियों और कार्यों का प्रयोग और निर्वहन करता है।
- सदस्यों को हटाने की प्रक्रिया: केंद्र सरकार को TRAI के किसी भी सदस्य को हटाने का अधिकार है, यदि वह:
- दिवालिया घोषित किया गया है।
- एक ऐसे अपराध के लिये दोषी ठहराया गया है, जिसमें नैतिक अधमता शामिल है।
- सदस्य के रूप में कार्य करने में शारीरिक या मानसिक तौर पर अक्षम हो गया है।
- अपने पद का दुरुपयोग किया है तथा उनके पद पर बने रहने से जनहित पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
TRAI की बैठकें:
- सभापति को समय-समय पर बैठकें आयोजित करने का अधिकार होता है। वह बैठकों की अध्यक्षता करता है।
- अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष बैठक की अध्यक्षता करता है।
- उपाध्यक्ष की अनुपस्थिति में किसी भी सदस्य को बैठक की अध्यक्षता करने के लिये प्राधिकरण से चुना जा सकता है।
- बैठकों में निर्णय उपस्थित सदस्यों के बहुमत से लिये जाते हैं।
- मतों की समानता की स्थिति में अध्यक्ष (या बैठक की अध्यक्षता करने वाला सदस्य) दूसरा मत या निर्णायक मत देता है।
TRAI के कार्य
- सिफारिशें करना: TRAI का कार्य निम्नलिखित मामलों पर सिफारिशें करना है:
- नए सेवा प्रदाता की शुरुआत की आवश्यकता।
- लाइसेंस के नियमों और शर्तों का पालन न करने पर लाइसेंस का निरसन।
- प्रतिस्पर्द्धा को निष्पक्ष बनाने के उपाय और दूरसंचार सेवाओं के संचालन में दक्षता को बढ़ावा देना ताकि उनके विकास को सुगम बनाया जा सके।
- सेवा प्रदाताओं द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं में तकनीकी सुधार।
- ज़िम्मेदारियों का निर्वहन: TRAI निम्नलिखित कार्यों के निर्वहन के लिये ज़िम्मेदार है:
- लाइसेंस के नियमों और शर्तों का अनुपालन सुनिश्चित करना।
- विभिन्न सेवा प्रदाताओं के बीच तकनीकी अनुकूलता और प्रभावी अंतर्संबंध सुनिश्चित करना।
- सेवा प्रदाताओं द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवा की गुणवत्ता के मानकों को निर्धारित करना।
- सेवा की गुणवत्ता सुनिश्चित करना और ऐसी सेवाओं का आवधिक सर्वेक्षण करना।
- समय पर आधिकारिक तौर पर उन दरों को अधिसूचित करना जिन पर भारत और भारत के बाहर दूरसंचार सेवाएँ TRAI अधिनियम, 1997 के तहत प्रदान की जाएंगी।
- गैर-बाध्यकारी सिफारिशें: TRAI की सिफारिशें केंद्र सरकार के लिये बाध्यकारी नहीं हैं।
- यदि केंद्र सरकार TRAI की किसी भी सिफारिश को स्वीकार नहीं करती है या सिफारिशों में संशोधन की आवश्यकता है तो इसे पुनर्विचार के लिये प्राधिकरण को वापस भेजती है।
- TRAI 15 दिनों के भीतर सरकार द्वारा किये गए उस संशोधन पर विचार करने के बाद केंद्र सरकार को अपनी सिफारिश भेजता है।
TRAI की शक्तियाँ
- सूचना प्रस्तुत करने का आदेश: यह किसी भी सेवा प्रदाता को अपने मामलों से संबंधित सूचना या स्पष्टीकरण लिखित रूप में प्रस्तुत करने के लिये कह सकता है जैसी प्राधिकरण की आवश्यकता हो सकती है।
- जाँच के लिये नियुक्तियाँ: प्राधिकरण किसी भी सेवा प्रदाता के मामलों में जाँच करने के लिये एक या अधिक व्यक्तियों को नियुक्त कर सकता है।
- निरीक्षण के लिये आदेश: इसे अपने किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को किसी भी सेवा प्रदाता के खातों या अन्य दस्तावेज़ों का निरीक्षण करने का निर्देश देने का अधिकार है।
- सेवा प्रदाताओं को निर्देश जारी करना: प्राधिकरण के पास सेवा प्रदाताओं को ऐसे निर्देश जारी करने की शक्ति होगी जिसे सेवा प्रदाताओं द्वारा कार्य करने के लिये वह उचित एवं आवश्यक समझे।
दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण
TRAI अधिनियम, 1997 में संशोधन: TRAI अधिनियम में वर्ष 2000 में संशोधन किया गया जिसने TRAI के न्यायिक और विवाद कार्यों को संभालने के लिये एक दूरसंचार विवाद निपटान एवं अपीलीय न्यायाधिकरण (TDSAT) की स्थापना की।
- उद्देश्य: TDSAT की स्थापना निम्नलिखित व्यक्ति/समूह/कंपनियों के बीच किसी भी विवाद को सुलझाने के लिये की गई थी:
- लाइसेंस जरीकर्त्ता और लाइसेंसधारी।
- दो या दो से अधिक सेवा प्रदाता।
- सेवा प्रदाता और उपभोक्ताओं का एक समूह।
- TRAI के किसी भी निर्देश, निर्णय या आदेश के खिलाफ अपीलों को सुनने और निपटाने के लिये भी इसकी स्थापना की गई थी।
- संरचना: TDSAT में एक अध्यक्ष और दो अन्य सदस्य होते हैं, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- सदस्यों का चयन भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है।
- पात्रता:
- अध्यक्ष: कोई व्यक्ति अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के लिये तब तक योग्य नहीं होगा जब तक कि वह सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश या उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश न हो या रहा हो।
- अन्य सदस्य: उन्होंने भारत सरकार के सचिव का पद या केंद्र/राज्य सरकार में किसी समकक्ष पद पर कार्य किया हो।
- पद की अवधि: TDSAT का अध्यक्ष और अन्य सदस्य अधिकतम चार वर्ष या 70 वर्ष (अध्यक्ष के लिये), जो भी पहले हो, की अवधि के लिये पद धारण करेंगे।
- अध्यक्ष के अलावा अन्य सदस्यों के मामले में अधिकतम आयु 65 वर्ष है।
- सदस्यों को हटाना: ट्रिब्यूनल के किसी भी सदस्य को हटाने की शर्तें वही हैं जो TRAI की हैं।
- TDSAT का अधिकार क्षेत्र: दीवानी अदालतों के पास ऐसे किसी भी मामले पर सुनवाई करने का अधिकार नहीं है, जिसकी सुनवाई करने का अधिकार TDSAT को है।
- TDSAT द्वारा पारित एक आदेश दीवानी न्यायालय के डिक्री के रूप में निष्पादन योग्य है; ट्रिब्यूनल के पास सिविल कोर्ट की सभी शक्तियाँ हैं।
- यह नागरिक प्रक्रिया संहिता द्वारा निर्धारित प्रक्रिया से बाध्य नहीं है बल्कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित है।
- ट्रिब्यूनल के पास अपनी प्रक्रिया को विनियमित करने की शक्तियाँ हैं।
- दंड: टीडीसैट के अधिकार क्षेत्र में आने वाले अपराधों के लिये दंड TRAI के समान ही हैं।