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महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना

  • 04 Dec 2024
  • 14 min read

प्रमुख बिंदु

  • लॉन्च: 2005 
  • योजना का प्रकार: केंद्र प्रायोजित योजना
  • नोडल मंत्रालय: ग्रामीण विकास मंत्रालय
  • उद्देश्य: अकुशल शारीरिक श्रम करने वाले ग्रामीण परिवारों को कम-से-कम 100 दिन का गारंटीकृत मज़दूरी सहित रोज़गार उपलब्ध कराना तथा आजीविका सुरक्षा बढ़ाना।
  • लक्ष्य समूह: पंजीकृत ग्रामीण परिवारों के वयस्क सदस्य (18+ वर्ष) जो अकुशल शारीरिक श्रम करने के इच्छुक हों।

मनरेगा योजना के बारे में

  • काम करने का वैधानिक अधिकार: मनरेगा अधिनियम (2005) ग्रामीण परिवारों के लिये 100 दिनों के मज़दूरी सहित रोज़गार की गारंटी देता है, अकुशल शारीरिक श्रम को कानूनी अधिकार के रूप में सुनिश्चित करता है और आजीविका सुरक्षा को बढ़ावा देता है। 
    • यह सूखा या आपदा प्रभावित क्षेत्रों में अतिरिक्त 50 दिनों का रोज़गार भी प्रदान करता है तथा सार्वजनिक कार्यों के माध्यम से ग्रामीण विकास को बढ़ावा देता है।
  • विस्तार: यह योजना पूरे देश में लागू है, जिसमें 100% शहरी आबादी वाले ज़िले शामिल नहीं हैं, इस प्रकार स्थायी आजीविका के अवसर पैदा करने के लिये केवल ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है ।
  • मांग-आधारित ढाँचा: इस योजना के तहत मांग के आधार पर रोज़गार उपलब्ध कराया जाता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि ग्रामीण परिवार स्वयं काम का चयन कर सकें। 
    • यदि अनुरोध के 15 दिनों के भीतर रोज़गार नहीं दिया जाता है, तो लाभार्थी बेरोज़गारी भत्ते के हकदार होंगे।
    • बेरोज़गारी भत्ता पहले 30 दिनों के लिये न्यूनतम मज़दूरी का एक-चौथाई और उसके बाद न्यूनतम मज़दूरी का आधा दिया जाता है।
  • विकेंद्रीकृत योजना: यह योजना पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) को महत्त्वपूर्ण भूमिका देकर ज़मीनी स्तर की योजना पर ज़ोर देती है । 
    • योजना के अंतर्गत कम-से-कम 50% कार्य ग्रामसभा की सिफारिशों के आधार पर ग्राम पंचायतों द्वारा निष्पादित किये जाने चाहिये

मनरेगा योजना की अन्य प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?

  • निधि साझाकरण: केंद्र सरकार अकुशल श्रम लागत का 100% तथा सामग्री लागत का 75% वित्तपोषित करती है।
    • राज्य सरकारें सामग्री लागत का 25% योगदान देती हैं, जिससे योजना कार्यान्वयन के लिये सहकारी संघवाद सुनिश्चित होता है।
  • मज़दूरी भुगतान तंत्र: मज़दूरी का निर्धारण किये गए कार्य की गुणवत्ता के आधार पर किया जाता है और न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम, 1948 के तहत राज्य द्वारा निर्दिष्ट दरों से जुड़ा होता है ।
    • पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये भुगतान सीधे श्रमिकों के बैंक खातों या आधार से जुड़े खातों में किया जाता है।
    • व्यक्तियों को देरी से भुगतान के लिये प्रतिदिन अवैतनिक मज़दूरी का 0.05% की दर से मुआवज़ा प्राप्त करने का अधिकार है, जो मस्टर रोल (श्रमिकों की सूची) बंद होने के 16वें दिन से शुरू होगा।
  • दुर्घटना मुआवज़ा: कार्य के दौरान घायल हुए लाभार्थी मुआवज़े के लिये पात्र हैं तथा कार्यस्थल पर दुर्घटना के कारण मृत्यु या स्थायी विकलांगता की स्थिति में, परिवारों को अनुग्रह राशि का भुगतान किया जाता है।
  • महिला सशक्तीकरण: मनरेगा के अंतर्गत लाभार्थियों में न्यूनतम एक तिहाई महिलाएँ होनी चाहिये।
    • यह प्रावधान महिलाओं को वेतन और कार्य के अवसरों तक समान पहुँच प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाता है।
  • कमज़ोर समूहों के लिये विशेष प्रावधान:
    • वन क्षेत्रों में, वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 के तहत भूमि अधिकारों के अलावा निजी संपत्ति के बिना आदिवासी परिवार अतिरिक्त रोज़गार लाभ के लिये पात्र हैं।
    • राज्य सरकारें राज्य निधि का उपयोग करके गारंटीकृत अवधि से आगे कार्य-दिवस बढ़ा सकती हैं।

मनरेगा योजना के घटक क्या हैं?

योजना घटक:

  • प्रोजेक्ट उन्नति: इसका उद्देश्य मनरेगा लाभार्थियों को कुशल बनाना, उन्हें आंशिक से पूर्णकालिक रोज़गार में बदलने में मदद करना और योजना पर उनकी निर्भरता कम करना है।
    • इस परियोजना के तहत प्रत्येक परिवार (18-45 वर्ष) से ​​एक वयस्क को 100 दिनों के लिये मनरेगा कार्य का प्रशिक्षण दिया जाता है तथा 100 दिनों तक के लिये वजीफा भी प्रदान किया जाता है, जिसका पूर्ण वित्तपोषण केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है
  • क्लस्टर सुविधा परियोजना (CFP): सीएफपी का उद्देश्य आकांक्षी और पिछड़े ज़िलों में मनरेगा के तहत ग्रामीण आजीविका प्रदान करना है, जिसके अंतर्गत 117 आकांक्षी जिलों के 250 ब्लॉकों तथा अन्य पिछड़े क्षेत्रों के 50 ब्लॉकों को लक्षित किया गया है। 
    • यह परियोजना सरकारी कार्यक्रमों के साथ तालमेल बिठाकर तथा जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) के नेतृत्व में सीएसआर, परोपकारी संगठनों और थिंक टैंकों का लाभ उठाकर गरीबी उन्मूलन पर केंद्रित है ।
  • बेयरफुट टेक्नीशियन (BFT): वित्त वर्ष 2015-16 में शुरू की गई बीएफटी परियोजना, 20 राज्यों में स्थानीय मनरेगा श्रमिकों या पर्यवेक्षकों को मनरेगा के तहत कार्यों की पहचान, आकलन और माप के लिये सिविल इंजीनियरिंग कौशल में प्रशिक्षित करती है। 
    • 90 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण में अंग्रेज़ी और हिंदी में मॉड्यूल का उपयोग किया जाएगा, जिसमें मनरेगा की विशेषताएँ, ग्रामीण सड़कों का निर्माण, माप तकनीक एवं प्रासंगिक दस्तावेज़ जैसे विषयों को शामिल किया जाएगा ।
  • लोकपाल: मनरेगा अधिनियम 2005 के अनुसार, शिकायतों को निपटाने, जाँच करने और निर्णय जारी करने के लिये प्रत्येक ज़िले में एक लोकपाल नियुक्त किया जाता है ।
    • राज्यों को यह सुनिश्चित करना होगा कि शिकायतें इलेक्ट्रॉनिक और भौतिक दोनों रूपों में प्राप्त की जाएँ तथा शिकायतकर्त्ता को रसीदें उपलब्ध कराई जाएँ। 
    • जागरूकता उपायों में नागरिक सूचना बोर्डों पर लोकपाल का संपर्क विवरण प्रदर्शित करना और सामाजिक लेखा परीक्षा सार्वजनिक सुनवाई में उनकी भागीदारी शामिल है, ताकि लोगों को उनके अधिकारों और उपलब्ध सेवाओं के बारे में जानकारी मिल सके तथा वे आसानी से अपने मुद्दों को उठाने में सक्षम हो सकें।
  • मिशन अमृत सरोवर: वर्ष 2022 में शुरू किये गए मिशन अमृत सरोवर का उद्देश्य जल संरक्षण के लिये प्रत्येक ज़िले में 75 अमृत सरोवरों का निर्माण या पुनरुद्धार करना है। 
    • यह मिशन दिल्ली, चंडीगढ़ और लक्षद्वीप को छोड़कर सभी ग्रामीण जिलों को कवर करता है, जिसमें प्रत्येक अमृत सरोवर में न्यूनतम 1 एकड़ तालाब क्षेत्र होता है।
    • इसे "संपूर्ण सरकार" दृष्टिकोण के माध्यम से कार्यान्वित किया गया, जिसमें मनरेगा और सीएसआर निधियों जैसी योजनाओं का उपयोग किया गया।
  • आधार-आधारित भुगतान प्रणाली (ABPS): यह प्रणाली लाभार्थियों के आधार नंबर को बैंक खातों से जोड़कर उन्हें प्रत्यक्ष और पारदर्शी वेतन भुगतान सुनिश्चित करती है, जिससे धोखाधड़ी और देरी में कमी आती है।
  • सामाजिक अंकेक्षण: मनरेगा ग्रामसभा को सभी कार्यों और व्ययों का सामाजिक अंकेक्षण करने का अधिकार देता है, जिससे अभिलेखों तक पहुँच और सक्रिय प्रकटीकरण सुनिश्चित होता है। 
    • धारा 17 में ग्रामसभा को कार्यों की निगरानी करने, नियमित सामाजिक लेखा परीक्षा करने और लेखा परीक्षा के प्रयोजनों के लिये प्रासंगिक दस्तावेज़ उपलब्ध कराने का अधिकार दिया गया है।

मनरेगा को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने के लिये क्या पहल हैं?

  • जियो-मनरेगा: यह ग्रामीण विकास मंत्रालय और राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी), इसरो और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के बीच एक सहयोग है, जिसका उद्देश्य प्रत्येक ग्राम पंचायत में मनरेगा के तहत बनाई गई परिसंपत्तियों को जियो-टैग करना है, जिसे 2016 में हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) के माध्यम से औपचारिक रूप दिया गया है।
  • जनमनरेगा: जनमनरेगा एनआईसी, ग्रामीण विकास मंत्रालय और एनआरएससी द्वारा विकसित एक बहुभाषी मोबाइल ऐप है, जो मनरेगा हितधारकों के लिये आवश्यक सेवाएँ प्रदान करता है।
    • प्रमुख विशेषताओं में ट्रैकिंग, भुगतान स्थिति, परिसंपत्ति स्थान, फीडबैक, शिकायत निवारण और योजना संबंधी जानकारी शामिल हैं। 
  • नरेगा सॉफ्ट: यह एक वेब-आधारित प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) है जिसे मनरेगा के तहत सभी गतिविधियों को रिकॉर्ड करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। 
    • यह केंद्र, राज्य, ज़िला, ब्लॉक और पंचायत स्तर पर डेटा एकत्र करने के लिये ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरीकों से उपलब्ध है।

नवीनतम अद्यतन

  • बजट 2024-25: 
    • मनरेगा आवंटन: मनरेगा का बजट वित्त वर्ष 2013-14 के 33,000 करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 86,000 करोड़ रुपए हो गया है, जो इसकी शुरुआत के बाद से अब तक का सबसे अधिक आवंटन है।
    • मज़दूरी दर में वृद्धि: वित्त वर्ष 2024-25 में न्यूनतम औसत मज़दूरी दर में 7% की वृद्धि हुई।
  • आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24:
    • महिला भागीदारी: मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी वित्त वर्ष 2019-20 में 54.8% से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 58.9% हो गई।
    • जियोटैगिंग और पारदर्शिता: मनरेगा राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से 99.9% भुगतान सुनिश्चित करता है, जिसमें कार्य से पहले, कार्य के दौरान और कार्य के बाद परिसंपत्तियों की जियोटैगिंग की जाती है।
    • सृजित व्यक्ति-दिवस: सृजित व्यक्ति-दिवस वित्त वर्ष 2019-20 में 265.4 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 309.2 करोड़ हो गए।
    • परिसंपत्ति निर्माण की ओर बदलाव: भूमि पर व्यक्तिगत लाभार्थी कार्यों की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2014 में 9.6% से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 73.3% हो गई, जिससे स्थायी आजीविका को बढ़ावा मिला।
    • ग्रामीण उद्यमों के लिये समर्थन: दीन दयाल अंत्योदय योजना (डीएवाई-एनआरएलएम), लखपति दीदियाँ और दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) जैसे कार्यक्रम ग्रामीण उद्यमिता और वित्तीय पहुँच का समर्थन करते हैं।
  • प्रौद्योगिकी प्रगति:
    • भू-स्थानिक और एआई सहयोग: ग्रामीण विकास को बढ़ाने के लिये भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता अनुप्रयोगों का लाभ उठाने के लिये ग्रामीण विकास मंत्रालय और आईआईटी दिल्ली के बीच मार्च 2024 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
    • समझौता ज्ञापन भूप्रहरी परियोजना पर केंद्रित है, जिसका उद्देश्य मनरेगा परिसंपत्तियों की निगरानी और प्रबंधन के लिये भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करना है।
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