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अभूतपूर्व आपदा: संकट प्रबंधन में नैतिकता

  • 13 Dec 2023
  • 2 min read

चेन्नई में अभूतपूर्व बाढ़ आने से आवश्यक सेवाएँ गंभीर रूप से बाधित होने के साथ महत्त्वपूर्ण वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होती है। इससे विद्युत्, जलापूर्ति, परिवहन एवं संचार नेटवर्क के प्रभावित होने से नागरिकों को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस क्रम में भोजन, पीने योग्य जल, दवाओं एवं आश्रय जैसी आवश्यक वस्तुओं की कमी के कारण इनकी कीमतों में वृद्धि होने से प्रभावित समुदायों की परिस्थितियाँ बिगड़ने लगती हैं।

इस आलोक में उक्त संकट से निपटने की तात्कालिक आवश्यकता के साथ सभी के लिये आवश्यक संसाधनों तक उचित पहुँच सुनिश्चित करने से संबंधित नैतिक दुविधा मौजूद है। इसमें वस्तुओं की कमी की वजह से लाभ कमाने वालों पर अंकुश लगाना भी शामिल है। इसके हितधारकों में कठिनाइयों का सामना कर रहे प्रभावित नागरिक, राहत प्रयासों का प्रबंधन करने वाले स्थानीय अधिकारी, मूल्य वृद्धि में संलग्न व्यवसाय तथा प्रभावित समुदायों की सहायता हेतु समर्पित राहत प्रदान करने वाले कार्यकर्त्ता शामिल हैं। इस संकट के बीच स्थिरता एवं विश्वास बहाल करने के लिये संसाधनों तक समान पहुँच सुनिश्चित करने, अनैतिक प्रथाओं पर अंकुश लगाने एवं राहत कार्यों में पारदर्शिता तथा अखंडता बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

इस स्थिति को देखते हुए एक सिविल सेवा अधिकारी के रूप में आप उचित संसाधन वितरण, आपदा को बढ़ने से रोकने एवं राहत प्रयासों में जवाबदेहिता सुनिश्चित करने के संदर्भ में प्रभावित लोगों के समक्ष आने वाली चुनौतियों से किस प्रकार निपटेंगे और उनका समाधान किस प्रकार करेंगे?

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