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एथिक्स

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सिविल सेवाओं में यथास्थिति

  • 10 Oct 2023
  • 2 min read

दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में हाल ही में हुई एक घटना में, सिविल सेवा अधिकारियों से संबंधित हितों के टकराव के दावों के कारण एथलीटों एवं कोचों को अपने प्रशिक्षण कार्यक्रम में परिवर्तन तथा बाधाओं का सामना करना पड़ा। इसमें एथलीटों द्वारा आरोप लगाया गया कि संबंधित अधिकारी निजी गतिविधियों (विशेष रूप से अपने कुत्तों को घुमाने के लिये) हेतु स्टेडियम का उपयोग कर रहे हैं। जिसके कारण एथलीटों को अपने प्रशिक्षण सत्र को समय से पहले ही समाप्त करने के लिये मजबूर होना पड़ता है।

फिर भी अधिकारियों ने इस बात पर बल देकर कहा कि उन्होंने कभी भी किसी एथलीट से स्टेडियम खाली करने का अनुरोध नहीं किया है, क्योंकि सही मायने में स्टेडियम पर उन्हीं का ही अधिकार है। अधिकारियों ने कहा कि वे  प्रशिक्षण की निर्धारित समापन अवधि के बाद ही स्टेडियम में दौरा करते हैं। इस क्रम में वे यह भी सावधानी रखते हैं कि उनके पालतू जानवर ट्रैक पर इधर-उधर न घूमें तथा इससे एथलीटों का प्रशिक्षण बाधित न हो।

लेकिन एक प्रशिक्षु एथलीट के माता-पिता ने इस स्थिति को अस्वीकार करते हुए इसे अधिकारियों की शक्ति के दुरुपयोग के रूप में संदर्भित किया। इन शिकायतों के बाद सरकार ने आरोपी अधिकारियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करते हुए उनका दिल्ली से बाहर ट्राँसफर कर दिया। हालिया घटनाक्रम के आलोक में सरकार ने आईएएस अधिकारी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश दिया।

क्या आपको लगता है कि ऐसी निजी गतिविधियों हेतु सार्वजनिक सुविधाओं का उपयोग करना नैतिक है, जिससे संभावित रूप से दूसरों को असुविधा हो सकती है। सार्वजनिक सुविधाओं के निष्पक्ष एवं नैतिक उपयोग को सुनिश्चित करने हेतु क्या उपाय किये जा सकते हैं?

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