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एथिक्स


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उम्मीद से शोषण तकः कंबोडिया में फँसे भारतीय नागरिक

  • 01 May 2024
  • 3 min read

फर्जी नौकरी घोटालों के माध्यम से कंबोडिया में भारतीय नागरिकों का शोषण, जिसमें व्यक्तियों को वैध रोज़गार का लालच दिया जाता है और उन्हें साइबर अपराध में शामिल होने के लिये मज़बूर किया जाता है, एक गंभीर नैतिक दुविधा को प्रदर्शित करता है। अगर यह पीड़ित लोग स्वयं को गैरकानूनी गतिविधियों में संलग्न करने की अपराधियों की मांगों को पूरा करने में विफल रहते हैं तो उनके समक्ष शोषण के साथ वहिष्कार का खतरा बना रहता है। इस शोषण से न केवल इसमें शामिल व्यक्तियों के अधिकारों एवं गरिमा का उल्लंघन होता है बल्कि निगरानी एवं सुरक्षा प्रणाली से संबंधित विफलताएँ भी प्रदर्शित होती हैं।

फर्जी नौकरी घोटालों के माध्यम से शोषण की घटनाएँ पृथक घटनाएँ नहीं हैं बल्कि विश्व भर में कमज़ोर आबादी को प्रभावित करने वाली अपराधों की शृंखला का हिस्सा हैं। हालाँकि यह मुद्दा काफी चिंताजनक होने के साथ रिपोर्टों से यह संकेत मिलता है कि अकेले कंबोडिया में हज़ारों भारतीय नागरिक इस स्थिति में फँसे हो सकते हैं इसके साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी इसी तरह के घोटाले सामने आ रहे हैं। इसके अतिरिक्त इन घोटालों से होने वाला वित्तीय नुकसान (जो करोड़ों रुपए का है), इस मुद्दे के समाधान की तात्कालिकता को रेखांकित करता है।

इस नैतिक चुनौती का सामना करने के क्रम में इस तरह के शोषण को रोकने तथा सामना करने में सरकारों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों, भर्ती एजेंसियों तथा अंतर्राष्ट्रीय निकायों सहित विभिन्न हितधारकों की ज़िम्मेदारियों का परीक्षण करना भी अनिवार्य हो जाता है। इसके अलावा, व्यक्तियों को इन घोटालों का शिकार होने से रोकने के लिये विभिन्न समुदायों के बीच जागरुकता बढ़ाने की आवश्यकता पर भी प्रकाश पड़ता है।

संवेदनशील व्यक्तियों को हम ऐसी धोखाधड़ी वाली योजनाओं का शिकार बनने से किस प्रकार सुरक्षित कर सकते हैं। अपराधियों तथा शोषण को बढ़ावा देने वालों को जवाबदेह ठहराने हेतु क्या उपाय किये जा सकते हैं?

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