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विधि प्रवर्तन में सांस्कृतिक संवेदनशीलता

  • 16 Apr 2024
  • 2 min read

हाल ही की एक घटना से संबंधित वीडियो में एक पुलिस उप-निरीक्षक द्वारा सड़क के किनारे पूजा-अर्चना कर रहे लोगों को जबरदस्ती परेशान करते हुए देखा गया था। इसमें संबंधित अधिकारी को सड़क पर यातायात को सुचारू बनाने के क्रम में लोगों को लात मारते हुए देखा गया था।

इस घटना के बाद लोग नजदीकी पुलिस स्टेशन के आसपास एकत्रित हो गए तथा विरोध में सड़क को भी जाम कर दिया। इन लोगों ने तर्क रखा कि कानून प्रवर्तन अधिकारियों के ऐसे कृत्य बेहद चिंताजनक हैं।

यह ध्यान देने योग्य है कि यहाँ पर इस तरह से पूजा-अर्चना को बाधित करने से संबंधित पूर्व में कोई मामला सामने नहीं आया है तथा मंदिर में जगह की कमी के कारण लोगों को सड़क पर प्रार्थना करने के लिये मजबूर होना पड़ता है।

इस दुर्व्यवहार की प्रतिक्रया में उप-निरीक्षक को तुरंत ही निलंबित कर दिया गया तथा घटना की जाँच शुरू कर दी गई।

इस तरह के मामले निस्संदेह पुलिस और लोगों के बीच विश्वास को कम करते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिये कि ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों, पुलिस अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण देना आवश्यक है।

उपर्युक्त परिदृश्य में विधि प्रवर्तन गतिविधियों के दौरान नैतिक मानकों को बनाए रखने तथा सांस्कृतिक संवेदनशीलता का सम्मान करने के महत्त्व को समझने के क्रम में आप पुलिस अधिकारियों हेतु किस प्रकार के प्रशिक्षण का सुझाव देंगे?

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