अध्याय 2 | 12 Oct 2019
नीति मानव जाति के लिये है न कि आर्थिक मानव हेतु : “नज़ सिद्धांत” के व्यवहारिक अर्थव्यवस्था से उत्थान
सार्वजनिक नीति का उद्देश्य
- सार्वजनिक नीति लोगों को समाज में वांछित तरीके से कार्य करने हेतु प्रवृत्त करती है, चाहे यह प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण हो, बच्चों को शिक्षित करना हो, साथी नागरिकों के मानव अधिकारों का आदर करना हो या सेवानिवृत्ति हेतु बचत हो।
- इसलिये सार्वजनिक नीतियों को स्पेक्ट्रम अभिग्रहण अर्थात् वे कितनी मज़बूती से व्यवहार को प्रभावित करते हैं, के आधार पर श्रेणीबद्ध किया जा सकता है।
व्यवहारिक अर्थव्यवस्था
- व्यवहारिक अर्थव्यवस्था मनोविज्ञान का अध्ययन है क्योंकि यह व्यक्तियों और संस्थाओं के आर्थिक निर्णय निर्माण की प्रक्रियाओं से संबंधित है।
- व्यक्तियों का व्यवहार महत्त्वपूर्ण रूप से सामाजिक नियमों से प्रभावित होता है और इन सामाजिक नियमों के संचालकों को समझना सामाजिक परिवर्तन को संभव कर सकता है।
- चयन करते समय व्यक्ति अत्यधिक लापरवाही करते हैं, वे डिफ़ाल्ट विकल्प पर रुकना पसंद करते हैं।
- लोग अच्छी आदतों को बनाए रखने में कठिनाई महसूस करते हैं, आदतों को बार-बार सुदृढ़ करने और पूर्व के सफल कार्यों का स्मरण परिवर्तित व्यवहार को बनाए रखने में सहायता करता है।
- व्यवहारिक अर्थशास्त्रियों ने अबन्ध नीति और प्रोत्साहन के बीच स्थित ‘नज़ ’ पॉलिसियों के नए वर्ग की प्रभावकारिता की खोज की है।
नज़ पॉलिसियाँ वे पॉलिसियाँ हैं जो लोगों की चुनने की स्वतंत्रता को संरक्षित करते हुए धीरे-धीरे उन्हें वांछित व्यवहार के रास्ते पर ले जाती हैं।
पारंपरिक अर्थशास्त्र बनाम व्यवहारिक अर्थशास्त्र
- एडम. स्मिथ ने अपनी पुस्तक ‘थ्योरी ऑफ मॉरल सेंटिमेंट’ में कहा है कि मानव चयन की एक बड़ी मात्रा हमारे मानसिक साधनों जैसे संज्ञानात्मक योग्यता, ध्यान और प्रेरणा से संचालित एवं सीमाबद्ध हैं।
- व्यवहारिक अर्थव्यवस्था मानव मनोविज्ञान की इस महत्त्वपूर्ण अंतर्दृष्टि पर विश्वास करता है कि वास्तविक व्यक्ति सदैव रोबोट, बुद्धिसंपन्न और गैरपक्षपाती व्यक्ति के समान व्यवहार नहीं करते हैं, जो पारंपरिक आर्थिक सिद्धांत जिसे आर्थिक मानव कहते हैं, का आधार तैयार करते हैं।
व्यवहारिक अर्थव्यवस्था के सिद्धांत
व्यवहारिक अर्थव्यवस्था भारत में सार्वजनिक कार्यक्रमों की प्रभावकारिता के उत्थान के लिये पर्याप्त गुंजाइश उपलब्ध कराती है। व्यवहारिक अर्थव्यवस्था के सात सिद्धांत जो संज्ञानात्मक पूर्वाग्रह से पार पाने हेतु प्रयोग में लाए जाते हैं, का वर्णन नीचे किया गया है:
भारत में व्यवहार अंतर्दृष्टि का सफल कार्यान्वयन
- स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम)
- स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) काे एक सार्वभौमिक स्वच्छता कार्यक्रम के रूप में अंगीकार करानेके उद्देश्य से इसकी शुरूआत 2 अक्तूबर, 2014 को की गई थी।
- स्वच्छता संबंधी सरोकारों को पूरा करने के लिये यह कोई पहला कार्यक्रम नहीं है। तथापि, स्वच्छ भारत मिशन से पूर्व सफलता की दरों में कोई विशेष परिवर्तन नहीं देखा गया है।
- स्वच्छ भारत मिशन ऐसा पहला कार्यक्रम है जो शौचालय निर्माण से अधिक नहीं तो उसके समान ही व्यवहार परिवर्तन पर ज़ोर देता है।
- स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत के पांच वर्षों के भीतर सभी राज्यों में शौचालय तक पहुँच प्राप्त करने वाले परिवारों की संख्या बढ़कर लगभग 100 प्रतिशत हो गई है।
- स्वच्छ भारत मिशन ने न केवल शौचालयों की व्यवस्था करने में बल्कि यह सुनिश्चित करने में भी सफलता हासिल की है कि इन शौचालयों का उपयोग भी किया जाए।
- राष्ट्रीय वार्षिक ग्रामीण स्वच्छता सर्वेक्षण (एनएआरएसएस) 2018-19 के माध्यम से स्वच्छ भारत मिशन के स्वतंत्र सत्यापन में पाया गया है कि 93.1 प्रतिशत ग्रामीण घरों में शौचालय उपलब्ध हैं और ग्रामीण भारत में इनमें से 96.5 प्रतिशत परिवार शौचालयों का उपयोग कर रहे हैं। इससे उन 90.7 प्रतिशत ग्रामों की खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) प्रास्थिति की ही फिर से पुष्टि होती है जिन्हें पूर्व में विभिन्न जिलों/राज्यों द्वारा खुले में शौच मुक्त घोषित एवं सत्यापित किया गया था।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ (BBBP)
- यह योजना बाल लिंगानुपात में कमी और लड़कियों तथा महिलाओं के सशक्तीकरण से संबंधित अन्य मामलों को हल करने के लिये पानीपत से शुरू की गई थी।
- वर्ष 2001 से वर्ष 2011 की जनगणना के बीच, 29 राज्यों में से 21 राज्यों में बाल लिंगानुपात में गिरावट दर्ज की गई। इक्कीसवीं सदी के प्रथम दशक तक भारत में लिंगानुपात की गिरावट में निरंतरता थी। तभी इस स्थिर गिरावट को रोकने के लिये बेटी बचाओ बेटी बढ़ाओ सहित कई कदम उठाए गए थे।
- व्यवहार परिवर्तन पर बल देने के लिये यह आंदोलन पानीपत से शुरू किया गया जो इतिहास में कई लड़ाइयों के लिये प्रसिद्ध है। बच्चियों के खिलाफ सामाजिक रूप से जड़ जमाए पक्षपात के विरुद्ध यह एक सांकेतिक इशारा था। पानीपत का बाल लिंगानुपात भी निकृष्टतम था, यह औसत राष्ट्रीय अनुपात 919 (2011 की जनगणना) की तुलना में केवल 834 था।
- बच्चियों के प्रति लोगों के नज़रिये में परिवर्तन के लिये उन्हें बच्चियों को बोझ के रूप में देखने से रोकने की ज़रूरत है। लोगों को बच्चियों के जन्म पर जश्न मनाने हेतु प्रेरित करने की आवश्यकता है। ‘सेल्फी विथ डॉटर’ अभियान से बच्ची के जन्म पर जश्न मनाना तेजी से प्रतिमान बन गया। अधिकतर लोग इसके अनुरूप होना चाहते थे अतः अधिक से अधिक अभिभावकों ने सेल्फ़ियों को पोस्ट किया।
- यह रणनीति असफल पूर्वाग्रह से निपट सकती है, इसलिये ऐसे लोगों पर अवश्य ध्यान केंद्रित करना चाहिये जो अपनी बच्चियों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार करते हैं।
- उत्तर-प्रदेश, मध्य प्रदेश,राजस्थान, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और झारखंड जैसे बड़े राज्यों पर विचार करें, जिनमें वर्ष 2001 और वर्ष 2011 की जनगणनाओं के बीच बाल लिंगानुपात में गिरावट दर्ज की गई थी। वर्ष 2015-16 बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की शुरूआत के समय इनमें जन्म के समय लिंगानुपात सबसे खराब था लेकिन वर्ष 2018-19 तक इन सभी राज्यों ने वर्ष 2015-16 और वर्ष 2018-19 के बीच जन्म पर लिंगानुपात में वृद्धि दर्ज करते हुए अपनी प्रवृत्ति का उलट असर दिखाया।
स्पष्ट संदेशन की ताकत
- कई अन्य कार्यक्रमों ने भी सफलतापूर्वक ‘संदेशों की ताकत’ का नियोजन किया जैसा कि नई योजनाओं के लिये प्रयुक्त नामों से स्पष्ट है।
- नमामि गंगे योजना गंगा नदी में प्रदूषण पर रोक लगाना और इसे पुनः पूर्वरूप में लाना चाहती है, जिसमें नमामि गंगे का अर्थ है ‘मैं गंगा की स्तुति करता हूँ’ क्योंकि हमारी संस्कृति में गंगा नदी को सम्मान दिया जाता है।
- पोषण अभियान वर्ष 2022 तक भारत को कुपोषण मुक्त करने का एक बहुमंत्रालयी एकसूत्रता मिशन है जिसमें पोषण का अर्थ है समग्र पोषण।
- आयुष्मान का अर्थ ‘‘दीर्घायु’’ होने से है। आयुष्मान भारत का लक्ष्य अच्छी गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं को सामान्य एवं किफायती दरों पर उपलब्ध कराना है।
पथ-प्रवर्तक परिवर्तन के लिये एक आकांक्षापूर्ण एजेंडा
- बीबीबीपी से बीएडीएलएवी (‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ से ‘बेटी आपकी धनलक्ष्मी और विजय लक्ष्मी’ तक)
- भारत में लैंगिक असमानता के लिये एक क्रांतिकारी अभियान की आवश्यकता है जिसे अवश्य व्यवहारिक अर्थव्यवस्था से संखेरित होना चाहिये।
- यह अभियान अवश्य ही सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतिमानों पर आधारित होना चाहिये क्योंकि ये प्रतिमान व्यवहार को प्रभावित करने में प्रधान भूमिका अदा करते हैं।
इसलिये बीबीबीपी के तहत चलाए जा रहे अभियान को लैंगिक समानता में बदलाव के रूप में प्रस्तुत करने हेतु उस पर बीएडीएलएवी का लेबल चस्पा किया जा सकता है।
सिद्धांत | बदलाव(BADLAV) के लिये सिद्धांत लागू करना |
1. चयन में इसे आसान बनाएँ | महिलाओं के लिये प्रक्रिया को सरल बनाना |
2. सामाजिक प्रतिमानों पर बल दें | सकारात्मक सामाजिक प्रतिमानों को प्रदर्शित करना और प्रमुख व्यक्तित्वों यहाँ तक कि पौराणिक काल के व्यक्तियों पर रोशनी डालना ताकि व्यक्ति उनसे संबद्ध हो सकें। |
3. परिणाम पर प्रकाश डालें | सार्वजनिक क्षेत्र में लैंगिक रिपोर्ट या ऑडिट प्रकाशित करना। |
4. बार-बार सुदृढ़ीकरण करना | लोगों की स्मरण शक्ति अल्प समय तक ही बनी रहती है अतः उन्हें यह याद दिलाए जाने की आवश्यकता होती है कि सामाजिक रूप से क्या स्वीकार्य है। इसलिये नियमित विजुअल या प्रिंट विज्ञापन सकारात्मक प्रवृत्ति को सुदृढ़ कर सकते हैं। |
5. हानि विमुखता का उद्यमन | प्रतिस्पर्द्धा के प्रति महिलाओं की अधिक विरक्ति को रोकने के लिये पुरस्कार संरचना को संशोधित करना अर्थात् महिलाओं के लिये एप्लिकेशन शुल्क कम करना। |
6. संदेश अनुरूप मानसिक मॉडल बनाना | महिलाओं को अधिक लचीलापन प्रदान कर सभी घिसे पिटे लैंगिक प्रतिमानों को हटाया जा सकता है। |
स्वच्छ भारत और आयुष्मान भारत से सुंदर भारत तक
- व्यवहार को सुदृढ़ करने के लिये एक मज़बूत साधन है लोगों को कार्य हेतु एक निश्चित मार्ग अपनाने के लिये पहले से वचनबद्ध करना। अध्ययनों से पता चला है कि यदि लोग कुछ करने के लिये पहले से वचनबद्ध होते हैं तो उनके द्वारा कार्य को करने की संभावना बढ़ जाती है।
- स्वच्छ भारत योजना में व्यवहारात्मक आर्थिक व्यवस्था की शक्ति से सीख लेकर, अब हमारे आगे संपूर्ण स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये सभी तरह के व्यवहारात्मक आर्थिक व्यवस्था संघटन को विकसित करने का कार्य है।
- डॉक्टर और रोगी के बीच जानकारी की विषमता, स्वास्थ्य उपभोक्ताओं की अतिशयोक्तिपूर्ण प्रवृत्ति और स्वास्थ्य देखभाल खर्च में अत्यधिक घट बढ़ के कारण लोग कई बार ऐसे निर्णय लेते हैं जो उनके सर्वोत्तम हित में नहीं है। यह स्वास्थ्य बीमा के लिये नामांकन करने में असफलता, धूम्रपान जैसे नुकसानदायक व्यवहार के रूप में प्रदर्शित होता है।
सिद्धांत | सुंदर भारत के लिये सिद्धांत लागू करना |
1. डिफाल्ट रूल से लाभ उठाना | डिफाल्ट बीमा योजना प्रदान कर इंश्योरेंस कवरेज में महत्त्वपूर्ण रूप से सुधार किया जा सकता है। |
2. चयन को आसान बनाएँ | उपभोक्ता की आवश्यकता के अनुसार स्वास्थ्य योजनाओं को विशिष्ट रूप से तैयार करना और स्कूल की भोजन तालिका में छोटे बदलाव बच्चों में स्वस्थ भोजन आदतों को प्रोत्साहित कर सकते हैं। |
3. सामाजिक प्रतिमानों पर बल दें | मादक दवाओं के सेवन से प्रतिष्ठित व्यक्तियों की मौत की घटनाओं को उजागर करने से युवाओं में मादक दवाओं के खतरे को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है। |
4. परिणाम पर प्रकाश डालें | हाथ धोने और परिवार नियोजन के व्यवहारों से अन्य व्यक्तियों को हुए प्रत्यक्ष लाभ को सामने लाने से लोग स्वस्थ व्यवहारों को प्रोत्साहन देंगे। |
5. बार-बार सुदृढ़ीकरण करना | लोगों को अपने टीकाकरण की योजना बनाने या नियमित रूप से दवाइयाँ लेने के लिये संदेशों या सोशल मीडिया जैसे साधनों से आवधिक तौर पर अनुस्मारक भेजना। |
6. हानि विमुखता का उद्यमन | लोग बहुधा वजन कम करने और धूम्रपान रोकने का लक्ष्य प्राप्त करने में कठिनाई महसूस करते हैं। लोग स्वेच्छा से वेबसाइट पर बांड्स या लॉटरी टिकट पोस्ट करें जो कि उन्हें तब लौटा दिया जाएगा जब वे अपना लक्ष्य प्राप्त कर लें अन्यथा उन्हें ज़ब्त कर लिया जाएगा, यह उन्हें इन कठिन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करेगा। |
7. संदेश अनुरूप मानसिक मॉडल बनाना | दोषपूर्ण मानसिक मॉडल में सुधार करने के लिये जागरूकता कार्यक्रम। |
सब्सिडी के बारे में सोचें
- ‘इसे त्याग दें’ अभियान ने गरीबी रेखा से ऊपर के परिवारों को स्वेच्छा से एलपीजी सब्सिडी छोड़ने के लिये प्रोत्साहित किया लेकिन आर्थिक प्रोत्साहनों के अभाव के कारण यह कार्यक्रम मुख्यतः अपनी सब्सिडी स्वेच्छा से छोड़ने के उनके बेहतर निर्णय पर निर्भर रहा। फिर भी इस आंदोलन के विस्तार के लिये अभी काफी गुंजाइश है।
- यदि लोग वास्तव में अपनी सब्सिडी छोड़ने के इच्छुक हों तो भी उनकी क्रिया उनके इरादों से भिन्न हो सकती है क्योंकि उन्हें एक हल्के से टहोके से इस क्रिया की ओर अग्रसर किये जाने की आवश्यकता होती है। एक अच्छी विकल्प संरचना इरादे और कार्य के बीच इस अंतर को पाटने मे सहायता कर सकती है।
- लोगों में यथास्थिति की एक मज़बूत प्रवृत्ति होती है। ‘इसे त्याग दें’ कि इस अंतर्दृष्टि को लागू करने की आवश्यकता है।
सिद्धांत | सब्सिडी के बारे में सोचें’ हेतु सिद्धांत लागू करना |
1. डिफाल्ट रूल से लाभ उठाना | डिफाल्ट विकल्प को संशोधित करना ताकि लोग अपनी सब्सिडी जारी रखने हेतु चयन कर सकें। |
2. चयन को आसान बनाएँ | मोबाइल एप आदि द्वारा सब्सिडी त्यागने हेतु आवेगशील व्यवहार का उपयोग। |
3. सामाजिक प्रतिमानों पर बल दें | सब्सिडी छोड़ने के बारे में लोगों को अच्छा महसूस करान, इस उचित सामाजिक प्रतिमान को स्थापित करने में सहायता कर सकता है। |
4.परिणाम पर प्रकाश डालें | अन्य को प्रेरित करने के लिये उन लोगों का प्रचार करना जो कि सब्सिडी छोड़ देते हैं। |
5. बार-बार सुदृढ़ीकरण करना | वीडियो जिसमें लाभार्थी सब्सिडी देने वालों को धन्यवाद दे रहे हों, भावना को सुदृढ़ करने के लिये अवश्य प्रसारित किये जाने चाहिये। |
6. हानि विमुखता का उद्यमन | व्यक्तियों को जब वे अत्यधिक उत्साहित हों उन्हें निश्चित मात्रा में सब्सिडी के वादे के लिये प्रेरित करना। |
7. संदेश अनुरूप मानसिक मॉडल बनाना | आर्थिक सब्सिडी को लोगों को बहुधा याद दिलाकर किफ़ायती बनाया जा सकता है ताकि वे अपना कार्यक्रम बना सकें जैसे टीकाकरण आदि करना। |
जन धन योजना
- एक छोटी समयावधि में जन धन योजना के तहत बड़ी संख्या में बैंक खाते खोले गए लेकिन इनकी सफलता लोगों द्वारा इनके नियमित उपयोग पर निर्भर है। इस योजना के अधिदेश में सेवाओं जैसे क्रेडिट, बीमा आदि तक पहुँच शामिल है। यह प्रोग्राम व्यवहार अंतर्दृष्टि को लागू करने के लिये अत्यधिक अवसर प्रदान करता है।
सिद्धांत | सिद्धांत लागू करना |
1. डिफाल्ट रूल से लाभ उठाना | बचत योजना में स्वतः नामांकन करें। |
2. चयन को आसान बनाएँ | जन सामान्य के लिये योजना के चयन में जटिलताओं को कम करें। |
3. सामाजिक प्रतिमानों पर बल दें | बैंक खातों का प्रयोग करने वाले लोगों की संख्या प्रसारित करने के लिये सूचना अभियानों का प्रयोग। खाते के विवरण के बारे में नियमित सूचनाएँ भेजने आदि से इनका उपयोग बढ़ता है। |
4.परिणाम पर प्रकाश डालें | आवधिक रूप से निष्क्रिय खाताधारकों को उन लोगों की संख्या के बारे में बताना जो खाते का प्रयोग कर रहे हैं। |
5. बार-बार सुदृढ़ीकरण करना | लोगों को यह याद दिलाना कि उनकी पुरानी बचत अच्छे बचत व्यवहार को सुदृढ़ कर सकती है। |
6. हानि विमुखता का उद्यमन | लोगों की बचत को बढ़ाने के लिये अनुकूल समय जैसे फसल कटाई ओर वेतन में वृद्धि का उपयोग करना। |
7. संदेश अनुरूप मानसिक मॉडल बनाना | ग्राहकों की आवश्यकता के अनुसार बचत योजनाएँ जैसे- घरेलू बचत योजना, शैक्षिक बचत योजना आदि बनाना। |
कर अपवंचन से कर अनुपालन तक
- महान दार्शनिक प्लेटो ने सदियों पहले यह तर्क दिया थाः ‘‘देश में जो सम्माननीय होता है, वही अनुकरणीय भी होता है।’’ इसी तरह कर अनुपालन को बढ़ाने के लिये व्यवहरात्मक अंतर्दृष्टि को नियोजित किए जाने की आवश्यकता है ताकि ‘‘कर से बचना स्वीकार्य है’’ के सामाजिक मानदंड को बदलकर ‘‘ईमानदारी से करों का भुगतान करना सम्मानजनक है’’ को स्थापित किया जा सके।
- कर अपवंचन मुख्यतः कर संबंधी मनोदशा अर्थात् किसी देश में कर का भुगतान करने वाले करदाताओं की आंतरिक प्रेरणा द्वारा संचालित होता है। कर संबंधी मनोदशा स्वयं मुख्य रूप से दो धाारणात्मक कारकों द्वरा संचालित होती हैः (1) ऊर्ध्वाधार निष्पक्षता, अर्थात् मैं करों का जो भुगतान करता वह सरकार से सेवाओं के रूप में मुझे मिलने वाले लाभ के रूप में वापस प्राप्त हो जाता है और (2) क्षैतिज निष्पक्षता, अर्थात् समाज के विभिन्न वर्गों द्वारा भुगतान किए गए करों में अंतर।
- यदि नागरिकों को ऐसा लगता है कि उनके द्वारा भुगतान किए गए करों को व्यर्थ सार्वजनिक व्यय में उड़ाया जा रहा है या भ्रष्टाचार द्वारा अपव्यय किया जा रहा है तो उनके लिये ऊर्ध्वाधर निष्पक्षता कम होगी। इसी तरह, क्षैतिज निष्पक्षता की धारणाएँ तब प्रभावित होती हैं जब कर्मचारी वर्ग को आयकर में अनुपातहीन अंशदान करने के लिये मज़बूर किया जाता है, जबकि स्व-नियोजित वर्ग न्यूनतम करों का भुगतान करके इनसे बच निकलता है।
सिद्धांत | सिद्धांत लागू करना |
1.डिफाल्ट रूल से लाभ उठाना | करों की स्वतः कटौती और रिफ़ंड को बचत खातों में निर्देशित करना। |
2. चयन को आसान बनाएँ | कर दाखिल करने की प्रक्रिया को और सरल बनाना |
3. सामाजिक प्रतिमानों पर बल दें | कर भुगतान करना सम्माननीय है की भावना को प्रोत्साहित करना। |
4.परिणाम पर प्रकाश डालें | पात्र व्यक्ति जो करों का भुगतान नहीं करते हैं उनको सार्वजनिक तौर पर शर्मिंदा करना। |
5. बार-बार सुदृढ़ीकरण करना | आवधिक रूप से लोगों को उन पड़ोसियों या लोगों के बारे में जानकारी देना जो आसपास रहते हों और ईमानदारी से करों का भुगतान कर रहे हैं। |
6. हानि विमुखता का उद्यमन | कर दाखिल करते समय रिफ़ंड कर अनुपालन में वृद्धि कर सकता है। |
7. संदेश अनुरूप मानसिक मॉडल बनाना | कर अनुपालन का हौसला बढ़ाने के लिये आदान-प्रदान की अपील करना। |
सात सामाजिक बुराइयों से बचने के लिये व्यवहारिक अर्थव्यवस्था का प्रयोग करना
- इंडिया @75 को नए भारत के रूप में देखा जाता है जहाँ प्रत्येक व्यक्ति अपनी पूरी सामर्थ्य को प्रत्यक्ष करता है और अपने हक पर दावा करने के बजाय अपना योगदान करने के लिये अवसर खोजता है।
- यंग इंडिया में 22 अक्तूबर, 1925 को प्रकाशित महात्मा गांधी की सात सामाजिक बुराइयाँ मानव व्यवहार को आकार देने में सामाजिक और राजनीतिक दशाओं की भूमिका पर गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं। इनमें से प्रत्येक सिद्धांत का एक कथन है जिसे व्यक्तियों को वांछित व्यवहार की तरफ ले जाने हेतु टहोका देने में प्रयुक्त या व्याख्यायित किया जा सकता है।
व्यवहार परिवर्तन का आकांक्षापूर्ण एजेंडा लागू करना
- भारत में समाज के व्यवहार को प्रभावित करने के लिये सामाजिक और धार्मिक प्रतिमान प्रमुख भूमिका निभाते हैं इसलिये व्यवहारिक अर्थव्यवस्था को नीति निर्माण में लागू करने की संभावनाएँ अत्यधिक हैं। इन लाभों को प्राप्त करने के लिये कार्यान्वयन हेतु निम्नलिखित उपाय सुझाए गए हैं:
- नीति आयोग में व्यवहारिक अर्थव्यवस्था ईकाई की स्थापना ।
- प्रत्येक सरकारी कार्यक्रम के लिये व्यवहारिक अर्थव्यवस्था लेखा परीक्षा।
- राज्य की नीतियों और कार्यक्रमों में व्यवहारिक अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों के कार्यान्वयन के लिये राज्य सरकारों के साथ उचित समन्वय।
मेन्स के लिये मुख्य शब्द
- लैसेज फ़ैरे: चीजों को बिना हस्तक्षेप स्वयं उनके तरीके पर छोड़ देना ।
- आर्थिक मानव : व्यक्ति जो सदैव उत्कृष्ट चयन करते हैं चाहे उनके सामने विकल्प प्रस्तुत करने का तरीका कुछ भी क्यों न हो। वे विकल्प संरचना के प्रति प्रतिक्रिया नहीं करते, जबकि वास्तविक लोग ऐसा करते हैं।
- पूर्वाग्रह पर टिकना : लोगों की वह प्रवृत्ति जिसमें में वे गहन रूप से डिफाल्ट विकल्प पर निर्भर करते हैं।
- असफलता का पूर्वाग्रह : सफलता की तुलना में असफलता पर केंद्रित रहने की प्रवृत्ति क्योंकि असफलता की दृश्यता अधिक होती है।
- विकल्प की संरचना: किसी व्यक्ति के सामने विकल्पों का चयन।
महत्त्वपूर्ण तथ्य और प्रवृत्तियाँ
- भारत में जन्म पर बाल लिंगानुपात दशकों से 21वीं शताब्दी के पहले दशक तक लगातार घटता रहा है। 2001 और 2011(जनगणना) के बीच 29 राज्यों में से 21 राज्यों में बाल लिंगानुपात में कमी दर्ज की गई।
- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का उन बड़े राज्यों में अत्यधिक असर रहा जिनमें बाल लिंगानुपात की स्थिति अत्यधिक खराब थी।
- अपेक्षाकृत छोटे राज्यों जैसे मिज़ोरम, नागालैंड और मणिपुर में बड़े राज्यों के मुक़ाबले सब्सिडी छोड़ने की दर अधिक थी।
मेन्स के लिये महत्त्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1. व्यवहारिक अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों की संक्षिप्त विवेचना कीजिये और स्वच्छ भारत मिशन में इसके प्रयोग का विश्लेषण कीजिये।
प्रश्न 2. ‘एक राष्ट्र में जिसका सम्मान होता है उसे वहाँ विकसित किया जाता है’, प्लेटो । उपर्युक्त कथन के संदर्भ में व्याख्या कीजिये कि व्यवहारिक अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों को देश में कर अनुपालन में वृद्धि के लिये कैसे प्रयुक्त किया जा सकता है?