भारतीय अर्थव्यवस्था
अध्याय-9 (Vol-2)
- 03 Jul 2020
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प्रस्तावना:
- भारत की अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र की महत्ता लगातार बढती जा रही है तथा सकल संवर्द्धन मूल्य और सकल संवर्द्धन मूल्य वृद्धि में इसका हिस्सा 55% है।
- यह वृद्धि भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अंतर्वाह में दो- तिहाई और कुल निर्यात में 38% है।
भारत में सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन: एक सिंहावलोकन
सेवा क्षेत्र में भारत का सकल संवर्द्धन मूल्य-
- सांख्यिकी और योजना एवं कार्यान्वयन मंत्रालय के सकल मूल्य संवर्द्धन (GVA) के प्रथम अग्रिम अनुमानों के अनुसार, वर्ष 2019-20 के दौरान सेवाओं के क्षेत्र में (वर्ष-दर-वर्ष) संवृद्धि में गिरावट जारी है। यह वृद्धि दर वर्ष 2018-19 में 7.5% से घटकर वर्ष 2019-20 में 6.9% पर पहुँच गई।
- यद्यपि वर्ष 2019-20 के दौरान लोक प्रशासन, रक्षा एवं अन्य सेवाओं से संबंधित कार्यकलापों में तेज़ी देखी गई जिसके कारण इसमें 9.1% की वृद्धि वर्ष-दर-वर्ष दर्ज की गई।
- सेवा क्षेत्र में लगातार कृषि और उद्योग क्षेत्र से बेहतर प्रदर्शन देखा गया है तथा कुल सकल संवर्द्धन मूल्य वृद्धि में इसका अंश लगभग 55% है।
सेवा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश:
- सेवा क्षेत्र में सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश इक्विटी अंतर्प्रवाहों (पुनः निवेशित आय को छोड़कर) में वर्ष 2018-19 में गिरावट के बाद अप्रैल-सितंबर 2019 के दौरान बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
- सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश इक्विटी अंतर्प्रवाहों में अप्रैल-सितंबर, 2019 के दौरान वर्ष-दर-वर्ष लगभग 33% वृद्धि हुई है जिसके परिणामस्वरूप यह 17.58 अरब यू.एस. डाॅलर तक पहुँच गया था।
- यह इस अवधि में भारत में कुल सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश इक्विटी अंतर्वाह का लगभग दो-तिहाई है।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश इक्विटी अंतर्वाह में यह उछाल ‘सूचना एवं प्रसारण’, ‘वायु यातायात’, ‘दूरसंचार’, ‘परामर्श सेवाएँ’ व ‘होटल व पर्यटन’ जैसे उपक्षेत्रों में मज़बूत अंतर्वाह के कारण हुआ।
सेवा क्षेत्र में व्यापार:
- RBI के भुगतान संतुलन आँकड़ों के अनुसार, अप्रैल-सितंबर 2019 के दौरान सेवाओं के निर्यात ने वर्ष 2018-19 से अपनी वृद्धि को बनाए रखा है तथा इस क्षेत्र में 6.4% की वृद्धि दर्ज की गई।
- यात्रा, सॉफ्टवेयर, व्यवसाय एवं वित्तीय सेवाओं में वृद्धि ने बीमा एवं अन्य सेवाओं (निर्माण कार्य आदि) के निर्यात की वृद्धि में कमी की भरपाई की है।
- सॉफ्टवेयर सेवाओं की हिस्सेदारी में गत दशक में 4% की गिरावट आई जिसके परिणामस्वरूप यह वर्ष 2018-19 में कुल सेवा निर्यातों के 40% पर पहुँच गई है।
- अप्रैल सितंबर 2019 के दौरान सेवा आयात में 7.9% की वृद्धि दर्ज की गई है।
- सेवाओं का निवल निर्यात अप्रैल सितंबर 2018 के 38.9 बिलियन यूएस डॉलर से बढ़कर अप्रैल से सितंबर 2019 के दौरान 40.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया जो 4.1% से अधिक है।
- भारत में शिक्षा सेवाओं में लगातार व्यापार घाटा बढ़ रहा है जो वर्ष 2018-19 में लगभग 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है।
- वस्तुओं व सेवाओं में व्यापार में वर्ष 2019 में मंदी के बाद वर्ष 2020 में फिर से तेज़ी आने का अनुमान है।
वित्तीय सेवाओं के निर्यात के संवर्द्धन के लिये ऑफशोर निधि प्रबंधन उद्योग का विकास:
- भारत सरकार द्वारा वित्तीय क्षेत्र की पहचान चैंपियन सेवा क्षेत्रों में से एक दूसरे के रूप में की गई है ताकि वर्तमान में वैश्विक वित्तीय केंद्रों से प्रदान की जा रही भारत से संबंधित वित्तीय सेवाओं की ऑन शोरिंग की जा सके।
- इससे वित्तीय सेवाओं के निर्यात और उच्च कौशल वाले रोज़गार को बढ़ावा मिलेगा।
- सेवाओं के क्षेत्र में भारत के सुदृढ़ निष्पादन के बावजूद भारत की वित्तीय सेवाओं का निर्यात गतिहीन रहा है जो हाल के वर्षों में औसतन 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा है। परिणामस्वरूप, समग्र सेवाओं के निर्यात में वित्तीय सेवाओं के निर्यात की हिस्सेदारी वर्ष 2011-12 में 4.2% से लगभग आधी होकर वर्ष 2015-19 में 2.3% ही रही।
मुख्य सेवाएँ: उप क्षेत्रवार निष्पादन और अभिनव नीतियाँ:
- सेवा क्षेत्र के अधिकांश उप-क्षेत्रों में वर्ष 2019-20 की वृद्धि में गिरावट देखी गई है।
(a) पर्यटन क्षेत्र:
- भारत में पर्यटन के क्षेत्र में वर्ष 2015 से वर्ष 2017 तक विदेशी पर्यटक आगमन में उच्च वृद्धि के कारण पर्यटन क्षेत्र में मज़बूत निष्पादन देखा गया परंतु विदेशी पर्यटकों के आगमन में तब से धीमापन है।
- विदेशी पर्यटकों में वृद्धि वर्ष 2018 में 5.2% और जनवरी-अक्तूबर 2019 में 2.7% देखी गई।
- अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक आगमन के संदर्भ में भारत का स्थान वर्ष 2017 में 26वें स्थान से सुधरकर वर्ष 2018 में 22वें स्थान पर रहा।
- विश्व के अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक आगमन में भारत की हिस्सेदारी 1.24% और एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र के अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक आगमन में 5% है।
- पर्यटन से विदेशी मुद्रा आय के संदर्भ में भारत का स्थान विश्व में 13वाँ और एशिया पैसिफिक में 7वाँ है।
- भारत आने वाले शीर्ष 10 देशों- बांग्लादेश, अमेरिका, ब्रिटेन, श्रीलंका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, चीन, जर्मनी और रूस से आने वाले विदेशी पर्यटकों का भारत के कुल विदेशी पर्यटक आगमन में अंश वर्ष 2018 में 65% रहा था।
- राज्य स्तर पर पर्यटन के संदर्भ में 5 शीर्ष राज्य तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र है जिनकी भागीदारी देश के कुल स्वदेशी पर्यटन की लगभग 65% है।
- अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन को सुविधाजनक बनाने के लिये भारत ने 46 राष्ट्रों के लिये सितंबर 2014 में ई-पर्यटक वीज़ा प्रणाली प्रारंभ की। वर्तमान में इसमें 169 देश शामिल हैं।
- इसके अंतर्गत 5 उप-श्रेणियाँ ई-पर्यटक वीज़ा, ई-बिज़नेस वीज़ा, ई-चिकित्सा वीज़ा, ई-कॉन्फ्रेंस वीज़ा और ई-चिकित्सकीय परिचारक वीज़ा शामिल है।
- ई-वीज़ा से भारत में आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या वर्ष 2015 में 4.45 लाख से बढ़कर वर्ष 2018 में 23.69 लाख तक हो गई है।
- जनवरी-अक्तूबर 2019 में यह पिछले वर्ष से वर्ष-दर-वर्ष लगभग 21% वृद्धि दर्ज करके 21.75 लाख रही है।
(b) सूचना प्रौद्योगिकी एवं व्यावसायिक प्रक्रिया प्रबंधन (IT-BPM):
- मार्च 2019 में इस उद्योग का आकार 177 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है।
- वर्ष 2018-19 में IT-BPM में सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं का अंश 51% रहा। इसके बाद सॉफ्टवेयर व अभियांत्रिकी का हिस्सा क्रमशः 20.6% तथा 19.7% तक रहा।
- सभी तीनों उपक्षेत्रों में वर्ष 2018-19 में निर्यात राजस्व बढ़ा है।
- निर्यात राज्यसभा में यह वृद्धि IT-BPM सेवाओं में 7.3%, BPM सेवाओं में 83% तथा सॉफ्टवेयर उत्पादों एवं अभियांत्रिकी सेवाओं में 112% रही है।
(c) बंदरगाह और नौ-परिवहन सेवाएँ:
- जनवरी 2019 तक दुनिया के कार्गो बेड़े में भारत की हिस्सेदारी 0.9% थी।
- भारत के पास 13 मुख्य बंदरगाह और लगभग 200 छोटे बंदरगाह है।
- भारतीय पत्तनों की कुल कार्गो (माल वाहन) क्षमता मार्च 2019 के अंत में 1452.64 मिलियन टन प्रतिवर्ष रही जो मार्च 2010 के अंत में 628.03 मिलियन टन प्रतिवर्ष की दोगुनी से भी अधिक थी।
- वर्ष 2013-14 और वर्ष 2016-17 के बीच कुल बंदरगाह यातायात में वृद्धि देखी गई किंतु इसमें वर्ष 2017-18 से गिरावट देखी जा रही है।
- अप्रैल-दिसंबर 2019 से प्रमुख बंदरगाहों पर हुए यातायात में वर्ष-दर-वर्ष करीब 1% की वृद्धि दर्ज की गई है।
(d) अंतरिक्ष क्षेत्र
- भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में पाँच दशकों पहले धीमी शुरुआत के बाद से चरघातांकीय रूप में वृद्धि हुई है।
- भारत ने वर्ष 2018 में अंतरिक्ष कार्यक्रम पर लगभग 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च किये हैं।
- अंतरिक्ष कार्यक्रम में शामिल प्रमुख क्षेत्रों में प्रथम क्षेत्र उपग्रह संचार है। इनसैट/जीसैट तंत्र दूरसंचार प्रसारण व उपग्रह आधारित ब्राॅडबैंड अवसंरचना की रीढ़ है।
- दूसरा प्रमुख क्षेत्र पृथ्वी प्रेक्षण तथा अंतरिक्ष आधारित सूचनाओं की सहायता से प्रशासन हैं। मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन एवं राष्ट्रीय संसाधनों की मैपिंग तथा इसका तीसरा प्रमुख क्षेत्र उपग्रह की सहायता से पथ प्रदर्शन (नेवीगेशन) हैं।
निष्कर्ष:
- भारत की अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र की महत्ता लगातार बढ़ रही है। सेवा क्षेत्र का योगदान 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 50% से अधिक है।
- हाल के वर्षों में सेवाओं के निर्यात का निष्पादन विनिर्माण-वस्तुओं के निष्पादन से बेहतर रहा है जिसके कारण विश्व के वाणिज्यिक सेवा निर्यातों में भारत का अंश पिछले दशक में लगातार बढ़ते हुए वर्ष 2018 में 3.5% पर पहुँच गया है जो कि वस्तुओं के निर्यात में भारत के 1.7% से लगभग दोगुना है।