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आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20


भारतीय अर्थव्यवस्था

अध्याय-8 (Vol-2)

  • 02 Jul 2020
  • 19 min read

उद्योग और अवसंरचना

प्रस्तावना:

  • औघोगिक क्षेत्र ने औघोगिक उत्पादन सूचकांक (Index of Industrial Production- IIP) के आधार पर, वर्ष 2018-19 (अप्रैल-नवंबर) के दौरान 5.0% की तुलना में वर्ष 2019-20 (अप्रैल-नवंबर) में 0.6 % की वृद्धि दर्ज की।   
  • विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि वर्ष 2018-19 (अप्रैल-नवंबर) में 4.9% की तुलना में वर्ष 2019-20 (अप्रैल-नवंबर) के दौरान 0.9% पर रही।
  • राष्ट्रीय अवसंरचना रूपरेखा पर कार्यबल की रिपोर्ट में भारत ने वित्त वर्ष 2020 से 2025 की अवधि के दौरान 102 लाख करोड़ रुपए के कुल अवसंरचना निवेश की योजना बनाई है।

भूमिका:

  • भारत को पाँच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने की दृष्टि से औद्योगिक क्षेत्र का कार्यनिष्पादन अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। 
  • यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था के अन्य दो क्षेत्रों  (कृषि एवं सेवा) के साथ अपने पश्चात् एवं पूर्वगामी संबंधों के माध्यम से राष्ट्रीय उत्पादन एवं रोज़गार की समग्र संवृद्धि के निर्धारण में निर्णायक भूमिका का निर्वाह करता है। यह कुल सकल मूल्य वर्द्धित (GVA) के लगभग 30% का योगदान करता है।

औघोगिक उत्पादन सूचकांक: 

  • औघगिक उत्पादक सूचकांक (IIP) औघोगिक कार्य निष्पादन की एक माप है। यह विनिर्माण क्षेत्र को 77.6% तत्पश्चात् खनन क्षेत्र को 14.4% और बिजली क्षेत्र को 8.0% भारांक प्रदान करता है।
  • कुल मिलाकर IIP में वृद्धि वर्ष 2017-18 के 4.4% की तुलना में वर्ष 2018-19 में 3.8% तक कम हुई है तथा चालू वर्ष 2019-20 (अप्रैल-नवंबर) में यह पूर्ववर्ती वर्ष की इसी अवधि के 5.0% की तुलना में 0.6% तक बढ़ी है।

आठ प्रमुख उद्योग:

  • आठ प्रमुख उद्योगों का सूचकांक कोयला, कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, स्टील, सीमेंट एवं बिजली के कार्यान्वयन संबंधी विवरण प्रस्तुत करता है।
  • इन आठ प्रमुख उद्योगों की औघोगिक उत्पादन सूचकांक में 40.27% भागीदारी है।

8-Industry

केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का निष्पादन:

  • लोक उद्यम विभाग के अनुसार, 31 मार्च, 2019 तक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों की संख्या 348 हैं। इनमें से 249 उद्यम प्रचलन की स्थिति में हैं। पुनः 86 केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों को अभी वाणिज्यिक रूप से प्रचलन आरंभ किया जाना है और 13 केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम बंद होने की परिसमापन की प्रक्रिया में थे।
  • केंद्रीय राजकोष में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का अंशदान पिछले वर्ष 2017-18 में 3.52 लाख करोड़ रुपए की तुलना में वर्ष 2018-19 में 4.67% की वृद्धि के साथ 3.69 लाख करोड़ रुपए हो गया है।

कार्पोरेट क्षेत्र का कार्यनिष्पादन:

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के अनुसार, कार्पोरेट क्षेत्र के कार्यनिष्पादन की अनुमानित बिक्री में वर्ष 2019-20 की द्वितीय तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में मांग शर्तें कमज़ोर होने के कारण वर्ष-दर-वर्ष संकुचन हो रहा है।
  • इसे कम या धीमा करने में पेट्रोलियम उत्पाद, लोहा एवं इस्पात, मोटर वाहन तथा अन्य परिवहन उपकरण कंपनियों का मुख्य अंशदान रहा है।
  • भारत में विनिर्माण क्षेत्र की क्षमता उपयोगिता क्षमता वर्ष 2018-19 की प्रथम तिमाही में 73.8% की तुलना में वर्ष 2019-20 के प्रथम तिमाही में 73.6% पर स्थिर रही है।

औघोगिक क्षेत्र में सकल पूँजी निर्माण:

  • 31 जनवरी, 2019 को NSO द्वारा दिये गए डेटा के अनुसार, राष्ट्रीय आय, उपभोग व्यय, बचत एवं पूँजी संचय से ज्ञात हुआ है कि उघोग में सकल घरेलू निवेश (GCF) की वृद्धि दर वर्ष 2016-17 में (-) 0.7% से वर्ष 2017-18 में 7.6% पहुँच गई और उघोगों में निवेश की गति तीव्र हुई। 

औघोगिक क्षेत्र में साख प्रवाह (उपलब्धता):

उघोग क्षेत्र में सकल बैंक साख प्रवाह सितंबर 2018 में 2.3% से सितंबर, 2019 में 2.7% पहुँच गया।

उघोग क्षेत्र जैसे लकड़ी एवं लकड़ी के उत्पाद, सभी अभियांत्रिक उत्पाद, सीमेंट एवं सीमेंट के उत्पाद, निर्माण एवं आधारभूत ढाँचे की ‘साख प्रवाह’ में सितंबर 2018 की तुलना में सितंबर 2019 में वृद्धि हुई है।

इसी अवधि के दौरान खनन एवं उत्खनन, कपड़ा, पेट्रोलियम, कोयला उत्पाद एवं परमाणु ईंधन, काँच के बर्तन तथा क्षार धातु एवं धातु उत्पाद में यह प्रवाह संकुचित रहा है।   

व्यापार सुगमता:

Ease-doing-Business

  • विश्व बैंक की वर्ष 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, सुगम व्यवसाय करने के मामले में 190 देशों में भारत का स्थान 63वाँ है, जो पिछली बार 77वीं रैंक पर था। 

स्टार्ट-अप इंडिया: 

  • भारत सरकार द्वारा 15 अगस्त, 2015 को ‘स्टार्ट-अप इंडिया’ पहल की घोषणा की गई।
  • इस पहल का उद्देश्य एक ऐसे परिवेश का निर्माण करना है जो स्टार्ट-अप के विकास के लिये अनुकूल हो। 
  • 8 जनवरी, 2020 की स्थिति के अनुसार, 551 ज़िलों में 27,084 स्टार्ट अप्स को मान्यता दी गई जिनमें से 55% स्टार्ट अप्स स्तर-I के शहरों, 45% स्टार्ट अप्स स्तर-II और स्तर-III के शहरों में हैं।

विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI):

  • विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को आर्थिक विकास का प्रमुख चालक माना जाता है। 
  • वर्ष 2018-19 (सितंबर, 2019 तक) में 22.66 मिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में वर्ष 2019-20 (सितंबर, 2019 तक) के दौरान विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का कुल इक्विटी अंतर्प्रवाह 26.10 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
  • 26.10 बिलियन अमेरिकी डालर के FDI इक्विटी अंतर्प्रवाह में से लगभग 80% भाग मुख्यतः सिंगापुर, मॉरिशस, नीदरलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान से आया था।

क्षेत्रवार मुद्दे और पहल:

a. इस्पात:

  • कच्चे इस्पात के उत्पादन में भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है। यह चीन एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद तैयार इस्पात का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है। 
  • वर्ष 2018-19 के दौरान भारत ने 109.2 मीट्रिक टन कच्चे इस्पात का उत्पादन किया और अक्तूबर, 2019 तक वर्तमान वित्तीय वर्ष में 64.3 मीट्रिक टन कच्चे इस्पात का उत्पादन हुआ था जिसमें 77.4% क्षमता उपयोग के साथ पिछले वर्ष की इसी अवधि से 1.5% की वृद्धि प्रदर्शित हुई है।

b. कोयला:   

  • वर्ष 2018-19 के दौरान भारत में कच्चे कोयले का समग्र उत्पादन 730.4 मिलियन टन था जो 8.1% की वृद्धि दर्शाता है। 
  • वर्तमान वर्ष 2019-20 (अप्रैल-नवंबर) में पूरे भारत में कोयले का उत्पादन (-) 5.3% की वृद्धि दर के साथ 410.5 मिलियन टन था, जिसका कारण भारी एवं गैर-मौसमी बरसात थी।

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम:   

  • भारत सरकार द्वारा इस क्षेत्र के तेज़ी से विकास के लिये तथा व्यापार करने की सुगमता को बढ़ावा देने के लिये 12 मुख्य घोषणाएँ की गई, जो इस प्रकार है:
    • सैद्धांतिक रूप से ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से 59 मिनट में 1 करोड़ रुपए तक के ऋण के लिये अनुमोदन का प्रावधान।
    • समस्त GST पंजीकृत MSME के लिये 1 करोड़ रुपए के ऋण पर 2% ब्याज की आर्थिक सहायता का प्रावधान।
    • 500 करोड़ रुपए से अधिक की कुल बिक्री वाली समस्त कंपनियों को अनिवार्यतः TREDS प्लेटफॉर्म पर होना चाहिये जिससे उघमी अपनी भावी प्राप्त राशियों के आधार पर बैंकों से साख प्राप्त कर सकें।
    • समस्त केंद्रीय PSU को MSE से अपनी कुल खरीद के 20% के स्थान पर कम-से-कम 25% की अनिवार्य खरीद करनी होगी।
    • MSE से अधिदेशित 25% खरीद में से 3% खरीद महिला उघमियों के लिये आरक्षित है।
    • समस्त CPU को GEM पोर्टल से अनिवार्यतः खरीद करनी होगी।
    • 6000 करोड़ रुपए की लागत से 20 प्रौघोगिकी केंद्र तथा 100 विस्तार केंद्र देश में स्थापित किये जाएंगे।
    • फार्मा समूह की स्थापना के लिये भारत सरकार 70% लागत वहन करेगी।
    • 8 श्रम नियमों एवं 10 संघ विनियमनों के अंतर्गत विवरणियों को वर्ष में एक बार दाखिल किया जाएगा।
    • स्थापनाओं पर दौरा करने वाले निरीक्षक का निर्णय एक कंप्यूट्रीकृत यादृच्छिक आबंटन के माध्यम से किया जाएगा।
    • वायु एवं जल प्रदूषण नियमों के अंतर्गत एकल सहमति।
    • विवरणियों को स्व-सत्यापन के माध्यम से स्वीकार किया जाएगा और केवल 10% MSME इकाइयों का निरीक्षण किया जाएगा।

कपड़ा एवं वस्त्र:

  • वर्ष 2018-19 में भारत के कुल निर्यात में कपड़े एवं वस्त्रों की भागीदारी 12% थी।
  • अप्रैल-अगस्त 2019 के दौरान अनुमानित मानव-निर्मित फाइबर एवं फिलामेंट यार्न के उत्पादन में क्रमशः 4% और 8% की वृद्धि हुई है।

क्षेत्रीय विकास:

a. सड़क क्षेत्र :

  • वर्ष 2017-18 के लिये GVA में परिवहन क्षेत्र की भागीदारी लगभग 4.77% है जिसमें सड़क परिवहन की हिस्सेदारी सबसे अधिक 3.06% है उसके बाद रेलवे (0.75%), हवाई यातायात (0.15%) और जल परिवहन (0.06%) की हिस्सेदारी रही है।
  • राष्ट्रीय परिवहन विकास नीति पर बनाई गई समिति की वर्ष 2011-12 की रिपोर्ट के अनुसार सड़क परिवहन देशभर में भाड़ा एवं यात्री यातायात क्रमशः 69% और 90% होने की संभावना है।

b. रेलवे:

  • भारतीय रेलवे एकल प्रबंधन व्यवस्था के तहत 68,000 कि.मी. से अधिक रेलमार्ग के साथ विश्व में तीसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है।
  • भारतीय रेलवे द्वारा ने वर्ष 2017-18 के दौरान 11,596 लाख टन राजस्व अर्जक माल भाड़ा लदान की तुलना में वर्ष 2018-19 में 12,215 लाख टन का राजस्व अर्जक माल भाड़ा लदान किया था।
  • भारतीय रेलवे में रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण/उन्नयन सतत् चलने वाली प्रक्रिया है। आदर्श स्टेशन योजना के तहत विकसित किये जाने हेतु 1,253 स्टेशनों की पहचान की गई है।
  • भारतीय रेलवे द्वारा स्वच्छता एवं पर्यावरण के संबंध में की गई पहल भारतीय रेल 8,700 से अधिक स्टेशनों को कवर करती है। 
  • भारतीय रेलवे द्वारा 2 अक्तूबर, 2014 को स्वच्छ भारत अभियान के तहत विशेष स्वच्छता अभियान शुरू किया गया था।

नागर विमानन:

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  • भारत विश्व में नागर विमानन के लिये तीसरा सबसे बड़ा घरेलू बाज़ार है।
  • अप्रैल 2019 में बड़े पैमाने पर एयरलाइन सेवाओं के निलंबित रहने के बावजूद इस क्षेत्र ने यात्री एवं एयरकार्गों क्षमता में आई कमी को शीघ्रतापूर्वक पूरा कर लिया है।
  • वर्तमान वायुपत्तन क्षमताओं पर भार कम करने के लिये आने वाले समय में 100 और विमानपत्तनों पर वित्त वर्ष 2023-24 तक परिचालन शुरू किया जाना है।
  • वर्ष 2023-24 तक 680 वायुयानों से बढ़कर 1200 वायुयान बेड़े में शामिल किये जायेगें।

नौ-परिवहन:

  • मात्रा की दृष्टि से भारतीय व्यापार का लगभग 95% तथा मूल्य की दृष्टि से लगभग 68% भाग नौ-परिवहन द्वारा संचालित किया जाता है।
  • वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती से सामान्य तौर पर वैश्विक नौ-परिवहन के साथ-साथ भारतीय नौ-परिवहन उघोग भी प्रभावित हुआ है।

दूरसंचार क्षेत्र: 

  • भारत में कुल टेलीफोन कनेक्शन वर्ष 2014-2015 में 9,961 लाख से बढ़कर 2018-19 में 11,834 लाख हो गए हैं।
  • वर्ष 2019 के अंत तक बेतार टेलीफोन व्यवस्था में अब तक कुल टेलीफोन कनेक्शनों का 98.27% है। 
  • लैंडलाइन टेलिफोनों का शेयर अब मात्र 1.73% है। भारत में कुल टेलिफोन घनत्व 90.45% है। 
  • भारत में ग्रामीण टेलीफोन घनत्व 57.35% और शहरी टेलीफोन घनत्व 160.71% हैं।

पट्रोलयम एवं प्राकृतिक गैस:  

  • भारत विश्व में USA और चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता देश है।
  • भारत के तेल उत्पादन में लंबे समय से गिरावट देखी जा रही है।
  • वर्ष 2019-20 में घरेलू कच्चे तेल का उत्पादन 32.6 MMT रहने का अनुमान है।
  • वर्ष 2018 तक तेल भंडारों में हुई गिरावट के बाद वर्ष 2019 में व्युत्क्रम देखा गया है जिसके चलते वर्ष 2018 के 594 MMT के भंडार बढ़कर वर्ष 2019 में 619 MMT हो गए हैं।
  • वर्ष 2019-20 में प्राकृतिक गैस का घरेलू उत्पादन 31.8 बिलियन घन मीटर तक होने का अनुमान लगाया है।

विद्युत:

  • विश्व आर्थिक फोरम द्वारा प्रकाशित ऊर्जा परिवर्तन सूची में भारत ने अपनी स्थिति में सुधार करके 76वें पायदान पर पहुँच गया है।
  • व्यापक विद्युतीकरण के साथ-साथ, विद्युत उत्पादन एवं ट्रासमिशन के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। मार्च, 2019 की 3,56,100 मेगावाट की स्थापित क्षमता बढ़कर अक्तूबर, 2019 में 3,64,960 मेगावाट हो गई है।

खनन क्षेत्र: 

  • भारत कुल 95 खनिजों का उत्पादन करता है जिनमें 4 हाइड्रोकार्बन ऊर्जा खनिज (लिग्नाइट कोयला, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस), 5 परमाणु खनिज (इल्मेनाइट, रूटाइल, जिरकान, यूरेनियम एवं मोनाज़ाइट), 10 धात्विक, 21 गैर-धात्विक एवं 55 छोटे खनिज शामिल हैं।
  • CSO द्वारा प्रकाशित वार्षिक राष्ट्रीय आय 2018-19 के अंतिम अनुमानों के अनुसार, वर्ष 2018-19 में GVA में खनन क्षेत्र का योगदान (वर्तमान मूल्य पर) लगभग 2.38% रहा है। 
  • मूल्यों के संदर्भ में पिछले वर्ष की अवधि की तुलना में वर्ष 2018-19 के दौरान प्रमुख खनिजों के उत्पादन में 25% वृद्धि दर्ज की गई है।

आवास एवं शहरी आधारित संरचना: 

  • जनगणना 2011 के अनुसार, लगभग 37.7 करोड़ लोग भारत के शहरी क्षेत्रों में निवास कर रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2030 तक यह संख्या बढ़कर 60.6 करोड़ या कुल जनसंख्या का लगभग 31% हो जाएगी।
  • भारत की वर्तमान GDP का 60% से अधिक शेयर शहरों एवं कस्बों से आता है।
  • भारत सरकार द्वारा सभी पात्र शहरी गरीबों को वर्ष 2022 तक मूलभूत सुविधाओं वाले पक्के घर देने के लिये प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी जून 2015 से प्रारंभ की गई थी।
  • इस योजना का क्रियांवयन चार घटकों के माध्यम से किया जा रहा है। 

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भावी परिदृश्य: 

  • तेज़ी से प्रगति करते विश्व में विकास की गति को बनाए रखने के लिये भारत को अपने उघोग एवं आधारित संरचना को विकसित करना होगा।
  • उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में उघोग 4.0 एवं अगली पीढ़ी की आधारित संरचना का कार्य क्षेत्र व्यापक है। अतः इनके लिये आधारिक संरचना के सम्यक निश्चय करने के लिये उन अवरोधों को दूर करना आवश्यक है जो इनकी गति में बाधक हैं।
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