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आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20

भारतीय अर्थव्यवस्था

अध्याय-1 (Vol-2)

  • 03 Jun 2020
  • 13 min read

अर्थव्यवस्था की स्थिति 

प्रस्तावना:

  • आर्थिक समीक्षा 2019-20 में वर्ष 2009 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद वर्ष 2019 में वैश्विक उत्पादन वृद्धि दर 2.9% देखी गई है जो वर्ष 2009 के बाद से विश्व उत्पादन वृद्धि दर में सबसे सबसे धीमी वृद्धि दर है। 
  • वर्तमान में भी अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है यदि इसका समाधान हो जाता है तो भी वर्ष 2020 में चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के मध्य संरक्षणवादी नीतियाँ तथा अमेरिका-ईरान के बीच भू-राजनैतिक तनाव इत्यादि कारण इसे प्रभावित करेंगे।

वैश्विक अर्थव्यवस्था परिदृश्य (2019-20): 

Global-Economy

  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा प्रकाशित वैश्विक आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट जनवरी-2020 के अनुसार, वर्ष 2019 में वैश्विक उत्पादन वृद्धि दर (Globel GDP Groth Rate) 2.9% रही जो वर्ष 2009 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद सबसे कम है। वर्ष 2018 में यह 3.6% और वर्ष 2017 में 3.8 % रही। 
  • वर्ष 2019 में वैश्विक उत्पादन में धीमी वृद्धि दर का कारण विनिर्माण संबंधी गतिविधियों और व्यापारिक कार्यकलापों में भौगोलिक रूप से आई व्यापक गिरावट को माना जा रहा है।
  • वर्ष 2019 में वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था की किसी भी श्रेणी में सामान्य उत्पादन वृद्धि दर वर्ष 2014-18 की तुलना में कम रही है।
  • उपभोक्ता कीमत वृद्धि (Consumer Price Inflation-CPI) EDA देशों में वर्ष 2019 में सर्वाधिक रही है।
  • भारत में मुद्रास्फीति की दर वर्ष 2019 के अप्रैल-दिसंबर माह में 4.1% देखी गई जो वर्ष 2015 में 5.9% तथा वर्ष 2018 में 3.4% रही।
  • वर्ष 2019 में मुद्रास्फीति दर में उछाल का कारण खाद्य मुद्रास्फीति (Food Inflation) को माना गया है।
  • 2019 में विश्व की अधिकांश प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट देखने को मिली है विशेष रूप से ऑटोमोबाइल उद्योग के वैश्विक उत्पादन में।
  • गिरावट का प्रमुख कारण मांग में कमी का होना है तथा मांग में कमी के कारण बहुत से देशों में प्रौद्योगिकी और उत्सर्जन मानकों में कई तरह के बदलाव किये गए हैं। 
  • भारतीय ऑटोमोबाइल क्षेत्र में भी इसी तरह की गिरावट देखी गई है। 

भारतीय अर्थव्यवस्था (2019-20): 

  • IMF द्वारा अक्तूबर 2019 में प्रकाशित वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (WEO) रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था अमेरिकी डाॅलर मूल्यों पर प्रचलित सकल घरेलू उत्पाद (GDP at Currunt Prices) के आधार पर विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का अनुमान लगाया गया है। 
  • उपर्युक्त उपलब्धि को हासिल करते ही भारत, यूनाइटेड किंगडम (UK) और फ्राँस को पीछे छोड़ देगा। 
  • वर्ष 2019 में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 2.9 ट्रिलियन अमेरिकी डाॅलर होने का आकलन किया गया है। 
  • सरकार ने वर्ष 2024-25 तक भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 5 ट्रिलियन अमेरिकी डाॅलर किये जाने का लक्ष्य रखा है। 

 Indian-Economy_2019-20

जीवीए (GVA) और जीडीपी (GDP) में वर्ष 2019-20 में वृद्धि: 

  • वर्ष 2019-20 की प्रथम तिमाही में मूल मूल्यों पर ‘ग्राॅस वैल्यू ऐडेड’ (Gross Value Added- GVA) 4.9% तथा दूसरी तिमाही में यह घटकर 4.3% रही। 
  • बाज़ार मूल्यों पर सकल घरेलू उत्पाद (GDP at Market Price) वर्ष 2019-20 की प्रथम तिमाही में 5.0% तथा दूसरी तिमाही में घटकर 4.5% रही। 
  • इस प्रकार जीवीए (GVA) और जीडीपी (GDP) दोनों में ह्रास की स्थिति देखने को मिलती है। 

मुद्रास्फीति: 

CPI-WPI

  • वर्ष 2019-20 की पहली छमाही में CPI (हेडलाइन) मुद्रास्फीति 3.3% आकलित की गई जो कि पिछले वर्ष की दूसरी छमाही की CPI (हेडलाइन) मुद्रास्फीति से थोड़ी अधिक है। 
  • इसका मुख्य कारण बे-मौसम वर्षा और बाढ़ जैसी स्थितियाँ है जिनके कारण खाद्यान्न की कीमतों में स्पष्ट रूप से वृद्धि देखने को मिली तथा फसल उत्पादन प्रभावित हुआ था। 
  • दूसरी तरफ WPI आधारित मुद्रास्फीति में अप्रैल  2019 के 3.2% से दिसंबर 2019 में 2.6 % तक की गिरावट आई जो अर्थव्यवस्था में मांग संबंधी दबाव की दुर्बलता को प्रतिबिंबित  करती है।

कोर मुद्रास्फीति:

  • कोर मुद्रास्फीति वह है जिसमें खाद्यान एवं ईंधन की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव को शामिल नहीं किया जाता है। यह अर्थव्यवस्था में मांग की स्थिति को दर्शाती है।

हेडलाइन मुद्रास्फीति: 

  • यह मुद्रास्फीति का कच्चा आँकड़ा है जो कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के आधार पर तैयार किया जाता है। हेडलाइन मुद्रास्फीति में खाद्यान एवं ईंधन की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव को भी शामिल किया जाता है।

रोज़गार: औपचारिक बनाम अनौपचारिक:

  • रोज़गार पर नवीनतम उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार, ‘नियमित वेतन’ द्वारा अधिकृत औपचारिक रोज़गार की हिस्सेदारी में वर्ष 2017-18 में 22.8% की वृद्धि देखने को मिली जो वर्ष 2011-12 में 17.9 % रही।

PS+SS

  • वर्ष 2011-12 से वर्ष 2017-18 तक 5% की वृद्धि आकस्मिक कामगारों की हिस्सेदारी में 5% की कमी आने के कारण हुई है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में 1.21 करोड़ और शहरी क्षेत्रों में 1.39 करोड़ के साथ लगभग 2.62 करोड़ नई नौकरियों का सृजन हुआ है।
  • नियमित वेतन/वैतनिक कर्मचारी वर्ग में महिला कामगारों के अनुपात में महिला कामगारों के लिये 0.7 करोड़ नई नौकरियों के साथ 8 अंकों तक की वृद्धि दर्ज की गई है जो वर्ष 2011-12 के 13% से बढ़कर वर्ष 2017-18 में 21% तक हो गई है।
  • वर्ष 2014-15 और वर्ष 2017-18 के मध्य संगठित निर्माण क्षेत्र में कुल श्रमिकों की संख्या में 14.7 लाख की बढ़ोतरी हुई है। 

राजकोषीय स्थिति:

  • वर्ष 2019-20 में केंद्र का वित्तीय बजट घाटा 7.04 लाख करोड़ रुपए रहा जो सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 3.3% है, जबकि वर्ष 2018-19 में वित्तीय बजट घाटा GDP का 3.4% था। 

साख वृद्धि: 

Credit-enhancement

  • जून 2018 से जून 2019 तक सभी तिमाहियों में साख वृद्धि दर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की तुलना में निजी क्षेत्र के बैंकों में अधिक रही है।

जीवीए में क्षेत्रवार अंश (%):

GVA

  • विभिन्न क्षेत्रों में GVA का योगदान इस प्रकार है:
    • सेवा क्षेत्र में GVA का योगदान निरंतर बढ़ रहा है। वर्ष 2019 की प्रथम छमाही में यह 57.8% रहा जबकि वर्ष 2018-19 में इसका योगदान 54.3% रहा था।
    • वर्ष 2019-20 की प्रथम छमाही में कृषि क्षेत्र का योगदान 13.9% रहा जबकि वर्ष 2018-19 में यह 16.1% था।
    • औद्योगिक क्षेत्र में इसका योगदान वर्ष 2019-20 की प्रथम छमाही में 28.3% था, वहीं वर्ष 2018-19 में यह 29.6% रहा था।
    • सेवा क्षेत्र का योगदान बढ़ा है, वहीं कृषि, विनिर्माण एवं उद्योग क्षेत्र में GVA का अंश कम हुआ है।

संवृद्धि का सुचक्र: Cycle-of-growth

  • आर्थिक समीक्षा 2018-19 के अनुसार, निवेश (Investment) में वृद्धि जीडीपी में वृद्धि (Economic Growth) को तीव्र करती है जो उपभोग (Consumption) मांग को बढ़ाती  है। 
  • उपभोग में अधिक वृद्धि होने से निवेश परिदृश्य का विस्तार होता है जो क्रमिक रूप से अचल निवेश में परिवर्तित हो जाता है। 
  • जब यह चक्र धीमे घूमता है तो निवेश में कमी प्रदर्शित होती है तथा जीडीपी वृद्धि एवं उपभोग में भी कमी आती है। 
  • भारत के संदर्भ में निवेश की दर और जीडीपी वृद्धि दर के बीच इस कम होते प्रभाव को 3 - 4 वर्षों तक देखा जा सकता है।

अंशदायी पेंशन योजना:राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली

  • नई पेंशन योजना, जिसका नाम राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (National Pension System- NPS) के रूप में बदल दिया गया है, को   में सरकार द्वारा 22 दिसम्बर, 2003 प्रारंभ किया गया।
  • जिन केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों (सशस्त्र बल के अलावा) ने 1 जनवरी, 2004 से सरकारी सेवा में कार्यभार ग्रहण किया है, उनके लिये इसे अनिवार्य बना दिया गया।
  • राज्य सरकारों तक इस योजना का विस्तार किया गया है  तथा अब तक 28 राज्य सरकारों द्वारा अपने कर्मचारियाें के लिये NPA को अधिसूचित किया है। 
  • मई 2009 से स्वैच्छिक आधार पर देश के सभी नागरिकों तक इस योजना का विस्तार किया गया था।

वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान उठाए गए प्रमुख कदम:  केंद्र सरकार ने NPA के अभिदाताओं के लिये निम्नलिखित विकल्पों की शुरुआत करने का निर्णय लिया है:

  • पेंशन फंड का विकल्प: सरकारी अभिदाताओं को निजी क्षेत्र के पेंशन फंड्स को सम्मिलित करते हुए किसी एक पेंशन फंड को चुनने की भी अनुमति दी जाएगी।
  • निवेश पैटर्न का विकल्प: सरकारी कर्मचारी वित्तीय वर्ष में दो बार निवेश पैटर्न के निम्नलिखित विकल्पों में से किसी एक का प्रयोग कर सकते हैं।
  • जिस मौजूदा योजना में पी.एफ.आर.डी.ए  द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम संबंधी फंड के तीन प्रबंधकों के बीच सरकारी कर्मचारियों के लिये पी.एफ़.आर.डी.ए के दिशा-निर्देशानुसार उनके गत क्रियानिष्पादन के आधार पर फंड्स आवंटित किये जाते हैं।
  • जो सरकारी कर्मचारी कम-से-कम जोखिम वाले नियत प्रतिलाभ को तरजीह देते हैं उन्हें सरकारी प्रतिभूतियों में इस प्रकार के फंड्स का 100% हिस्सा निवेश करने का विकल्प दिया जाएगा।
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