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एकल परमाणु का एक्स-रे

  • 08 Jun 2023
  • 10 min read

हाल ही में वैज्ञानिकों ने एकल परमाणु की एक्स-रे इमेजिंग की सहायता से एक तत्त्व की पहचान कर बड़ी उपलब्धि हासिल की है

  • वर्ष 1895 में विल्हेम कॉनराड रॉन्टजेन द्वारा खोजी गई एक्स-रे चिकित्सा और सुरक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में एक अभिन्न अंग बन गई है।
  • पहले, एक्स-रे किये जा सकने वाले प्रतिदर्श की सबसे छोटी मात्रा एक एटोग्राम होती है, (जो कि लगभग 10,000 परमाणु अथवा उससे अधिक है)। वैज्ञानिक लंबे समय से सिर्फ एक परमाणु का एक्स-रे करने में सफलता हासिल करना चाहते थे, जो अब संभव हो गया है।

एकल परमाणु एक्स-रे की नई तकनीक:

  • वैज्ञानिकों ने पहली बार एक परमाणु के एक्स-रे सिग्नेचर का पता लगाने के लिये सिंक्रोट्रॉन एक्स-रे स्कैनिंग टनलिंग माइक्रोस्कोपी (SX-STM) नामक तकनीक का उपयोग किया है।
  • SX-STM स्कैनिंग टनलिंग माइक्रोस्कोपी को सिंक्रोट्रॉन एक्स-रे के साथ संयोजित करती है, जो एक गोलाकार पथ में इलेक्ट्रॉनों को गति प्रदान करने के पश्चात् उत्पन्न उच्च-ऊर्जा वाली एक्स-रे हैं। इसमें एक तेज़ धातु के सबसे उपरी हिस्से (टिप) का उपयोग किया जाता है जो किसी प्रतिदर्श के इलेक्ट्रॉनों के साथ बहुत निकटता में होता है।
  • सिंक्रोट्रॉन एक्स-रे प्रतिदर्श को उत्तेजित करते हैं और धातु की नोक/टिप परमाणु द्वारा उत्सर्जित फोटोइलेक्ट्रॉनों को एकत्रित करती है जिससे इसकी पहचान और रासायनिक गुणों का पता चलता है।

पदार्थ विज्ञान: 

  • ठोस पदार्थों के गुणों/विशेषताओं का अध्ययन और संरचना तथा संरचना की सहायता से उन गुणों के निर्धारण के अध्ययन को पदार्थ विज्ञान कहा जाता है।
  • पदार्थ विज्ञान का महत्त्व: 
    • यह परमाणु-स्तर के गुणों और सामग्रियों की अंतःक्रियाओं के संबंध में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
    • यह आणविक संरचनाओं और व्यवहारों की सटीक समझ को सक्षम बनाता है।
    • यह नई सामग्री और उपकरणों के डिज़ाइन और विकास की सुविधा प्रदान करता है।
    • यह उत्प्रेरक गतिविधि, बायोमोलेक्युलर इंटरैक्शन और क्वांटम घटना संबंधी जानकारी को बढ़ाता है।

एक्स-रे: 

  • यह दृश्य प्रकाश की तुलना में उच्च ऊर्जा, उच्च आवृत्ति और कम तरंग दैर्ध्य के साथ विद्युत चुंबकीय विकिरण का एक रूप है।
  • यह शरीर सहित अधिकांश वस्तुओं के माध्यम से गुज़र सकता है और आंतरिक संरचना छवियों का निर्माण कर सकता है।
  • आवेशित कणों या उत्प्रेरित परमाणुओं को तेज़ या कम करके उत्पादित किया जाता है।
  • इसका व्यापक रूप से विज्ञान, चिकित्सा, उद्योग और सुरक्षा अनुप्रयोगों में उपयोग किया जाता है।
  • इसका अस्थि भंग का पता लगाने, रोगों का निदान करने, सामग्री की पहचान करने और वस्तुओं को स्कैन करने हेतु उपयोग किया जाता है

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. दृश्यमान प्रकाश संचार (VLC) तकनीक के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है? (2020)

  1. दृश्यमान प्रकाश संचार विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम तरंग दैर्ध्य 375 से 780 nm का उपयोग करता है। 
  2. दृश्यमान प्रकाश संचार को लंबी दूरी के ऑप्टिकल वायरलेस संचार के रूप में जाना जाता है। 
  3. दृश्यमान प्रकाश संचार ब्लूटूथ की तुलना में बड़ी मात्रा में डेटा को तेज़ी से प्रसारित कर सकता है। 
  4. दृश्यमान प्रकाश संचार में कोई विद्युत चुंबकीय हस्तक्षेप नहींं है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 1, 2 और 4
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) केवल 2, 3 और 4

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • दृश्यमान प्रकाश संचार (VLC) प्रणाली संचार के लिये दृश्य प्रकाश को नियोजित करती हैं जो 375 nm से 780 nm तक विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम का उपयोग करती है। अत: कथन 1 सही है।
  • VLC को कम दूरी के ऑप्टिकल वायरलेस संचार के रूप में जाना जाता है। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • Li-Fi, एक प्रकार का VLC है, जिसकी सीमा लगभग 10 मीटर है और यह दीवारों या किसी ठोस वस्तु से नहीं गुज़र सकता है।
  • VLC ब्लूटूथ की तुलना में बड़ी मात्रा में डेटा को तेज़ी से प्रसारित कर सकता है। VLC संचार के लिये 10 जीबी/सेकेंड तक की उच्च इंटरनेट गति प्रदान करने के लिये दृश्य प्रकाश का उपयोग करता है, जबकि ब्लूटूथ 4.0,  25 एमबी/सेकेंड तक की गति से डेटा भेज सकता है। अत: कथन 3 सही है।
  • VLC में कोई विद्युत चुंबकीय हस्तक्षेप नहीं है। रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) आधारित संकेतों में अन्य RF संकेतों के साथ हस्तक्षेप की समस्या होती है जैसे कि विमान में पायलट नौवहन उपकरण संकेतों के साथ इसका हस्तक्षेप। इसलिये विद्युत चुंबकीय विकिरण (जैसे वायुयान) के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में VLC  एक बेहतर समाधान हो सकता है। अत: कथन 4 सही है। अतः  विकल्प (c) सही है।

प्रश्न. अभिकथन (A) : रेडियो तरंगें चुंबकीय क्षेत्रों में मुड़ जाती हैं। 

कारण (R) : रेडियो तरंगें प्रकृति में विद्युत चुंबकीय होती हैं। (2008)

इन दोनों कथनों का सावधानीपूर्वक परीक्षण कीजिये और नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर इन प्रश्नांशों के उत्तर चुनिये: 

(a) A और R दोनों सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या है
(b) A और R दोनों सत्य हैं लेकिन R, A की सही व्याख्या नहीं है
(c) A सत्य है परंतु R असत्य है
(d) A असत्य है परंतु R सत्य है 

उत्तर: (A) 

  • विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम) सभी प्रकार की विद्युत चुंबकीय तरंगों की श्रेणी है। विकिरण वह ऊर्जा है जो संचारण करती है और फैलती है। घरों में दीपक से आने वाला दृश्य प्रकाश और रेडियो स्टेशन से आने वाली रेडियो तरंगें दो प्रकार की विद्युत चुंबकीय विकिरण हैं। अन्य प्रकार के विद्युत चुंबकीय विकिरण जो विद्युत चुंबकीय वर्णक्रम बनाते हैं वे माइक्रोवेव, अवरक्त प्रकाश, पराबैंगनी प्रकाश, एक्स-रे और गामा-किरणें हैं।
  • वर्ष 1873 में स्कॉटिश भौतिक विज्ञानी जेम्स क्लार्क मैक्सवेल ने विद्युत चुंबकत्व का एकीकृत सिद्धांत विकसित किया, जो एक-दूसरे के साथ और चुंबकीय क्षेत्रों के साथ अंतःक्रिया करने वाले विद्युत आवेशित कण से आदान-प्रदान करते है। उन्होंने साबित किया कि चुंबकीय ध्रुव युग्म में होते हैं जो एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं तथाएक-दूसरे को पीछे हटाते हैं (जैसे कि मैक्सवेल समीकरणों के माध्यम से विद्युत आवेश)।
  • विद्युत चुंबकीय तरंगें तब बनती हैं जब किसी विद्युत क्षेत्र को चुंबकीय क्षेत्र के साथ जोड़ा जाता है। विद्युत चुंबकीय तरंग के चुंबकीय विद्युत क्षेत्र एक-दूसरे के लंबवत और तरंग की दिशा में होते हैं।
  • रेडियो तरंगें EM स्पेक्ट्रम की सबसे निचली सीमा पर होती हैं, जिनकी आवृत्ति लगभग 30 GHz तक होती है और तरंग दैर्ध्य लगभग 10 मिलीमीटर (0.4 इंच) से अधिक होते हैं।
  • रेडियो तरंगें विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम की तरंगें हैं (प्रकृति में विद्युत चुंबकीय), इस प्रकार ये तरंगें चुंबकीय और विद्युत दोनों क्षेत्रों में मुड़ती हैं। अतः अभिकथन (A) सही है और कारण (R) अभिकथन (A) की सही व्याख्या है। अतः विकल्प (A) सही है।

स्रोत: द हिंदू

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