X गुणसूत्र | 22 May 2024

स्रोत: द हिंदू

हाल के जीनोमिक अध्ययनों ने विभिन्न जैविक प्रक्रियाओं और बीमारियों, विशेष रूप से ऑटोइम्यून बीमारियों तथा अल्ज़ाइमर रोग में X गुणसूत्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका को उजागर किया है।

X गुणसूत्र क्या है?

  • परिचय: एक्स क्रोमोसोम मनुष्यों और कई अन्य जीवों में पाए जाने वाले दो सेक्स गुणसूत्र में से एक है। यह लिंग निर्धारण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा विभिन्न शारीरिक कार्यों के लिये आवश्यक जीन रखता है।
  • लिंग निर्धारण: महिलाओं में आमतौर पर दो X गुणसूत्र (XX) होते हैं, जबकि पुरुषों में एक X और एक Y गुणसूत्र (XY) होता है।
    • Y गुणसूत्र की उपस्थिति या अनुपस्थिति जैविक लिंग का निर्धारण करती है।
  • जीन और कार्य: X गुणसूत्र लगभग 800 जीनों को एनकोड करता है जो विभिन्न जैविक कार्यों में शामिल प्रोटीन-कोडिंग जीन का प्रतिनिधित्व करता हैं।
    • इन जीनों की कार्यप्रणाली में कमी से विभिन्न प्रकार की आनुवंशिक बीमारियाँ हो सकती हैं, जिन्हें आमतौर पर तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है: 
      • X-लिंक्ड आनुवंशिक रोग।
      • X-गुणसूत्र निष्क्रियता (XCI) से प्रभावित रोगों से मुक्ति।
      • X-गुणसूत्र एन्युप्लोइडीज़ से संबंधित रोग।
  • X-लिंक्ड आनुवंशिक रोग: 
    • यह X-गुणसूत्र पर जीन में उत्परिवर्तन के परिणामस्वरूप होता है।
    • जिन पुरुषों में केवल एक X-गुणसूत्र होता है, उनमें उत्परिवर्तन (Mutations) और रोग विकसित होने की संभावना अधिक होती है।
    • दो X गुणसूत्रों वाली महिलाओं में उत्परिवर्तित जीन की कमी को पूरा करने के लिये जीन की एक स्वस्थ प्रतिलिपि होने की संभावना होती है, जिससे बीमारी के विकसित होने का खतरा कम हो जाता है।
    • उदाहरण: रेड-ग्रीन वर्णांधता/कलर ब्लाइंडनेस (लगभग 8% पुरुषों को प्रभावित करता है)।
      • डचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (भारत में जन्म लेने वाले प्रत्येक 3,500-5,000 लड़कों में से 1) और एग्माग्लोबुलिनमिया (200,000 जीवित जन्मे बच्चों में से 1)।
  • X-गुणसूत्र एन्युप्लोइडीज़: एक्स क्रोमोसोम की संख्यात्मक एन्युप्लोइडीज़ कुछ बीमारियों का कारण बन सकती हैं।
    • एन्युप्लोइडी एक आनुवंशिक स्थिति है जहाँ किसी जीव की कोशिकाओं में गुणसूत्रों की असामान्य संख्या होती है।
      • मानव कोशिकाओं में आमतौर पर 46 गुणसूत्र होते हैं, प्रत्येक माता-पिता से 23-23। एन्युप्लोइडी में एक कोशिका में क्रोमोसोम (ट्राइसॉमी) की एक अतिरिक्त प्रतिलिपि या एक लापता प्रतिलिपि (मोनोसोमी) हो सकती है।
    • उदहारण: 
      • क्लाइनफिल्टर सिंड्रोम (एक अतिरिक्त X गुणसूत्र, XXY को दर्शाता है)।
      • टर्नर सिंड्रोम (महिलाओं में एक X गुणसूत्र की कमी, XX के बजाय X गुणसूत्र की उपस्थिति को दर्शाता है)।
  • X-गुणसूत्र निष्क्रियता (XCI) एस्केप: दो X गुणसूत्र वाली महिलाओं में X-लिंक्ड जीन के असंतुलन को रोकने के लिये प्रत्येक कोशिका में एक X गुणसूत्र को यादृच्छिक रूप से निष्क्रिय किया जाता है (अंड कोशिकाओं को छोड़कर)। इस प्रक्रिया को X-निष्क्रियता या लियोनाइज़ेशन कहा जाता है।
    • अपूर्ण निष्क्रियता (एस्केप) या स्किवड निष्क्रियता (Skewed Inactivation) जैसी विकृति से जीन में असामान्यता उत्पन्न हो सकती है, जिससे X-गुणसूत्र संबंधी विकारों के साथ कैंसर एवं ऑटोइम्यून स्थितियों को जन्म मिल सकता है।
    • XCI हेतु उत्तरदायी आणविक प्रणाली की खोज 1990 के दशक में की गई थी, जिसमें Xist और Tsix नामक दो गैर-कोडिंग RNA शामिल थे।
      • Xist द्वारा X गुणसूत्रों में से एक को निष्क्रिय किया जाता है, जबकि Tsix (Xist के विपरीत) द्वारा इस प्रक्रिया को नियंत्रित किया जाता है।
    • हाल के शोध से पता चलता है कि X गुणसूत्र से संबंधित एक चौथाई जीन XCI प्रक्रिया के बाद भी निष्क्रिय नहीं हो पाते हैं।

XCI ऑटोइम्यून बीमारियों से किस प्रकार संबंधित है?

  • ऑटोइम्यून बीमारियाँ जैसे सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (lupus erythematosus), रुमेटाॅइड गठिया (rheumatoid arthritis) एवं स्जोग्रेन सिंड्रोम (Sjögren's syndrome), पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक सामान्य हैं। 
  • हालिया अध्ययन में पाया गया है कि किसी जीन की गतिविधि बदलने से Xist के माध्यम से X गुणसूत्र से संबंधित अन्य निष्क्रिय जीन पुनः सक्रिय हो जाते हैं। 
    • इससे प्रतिरक्षा प्रणाली में बदलाव आने के साथ ल्यूपस जैसे लक्षण (जैसे ऑटोएंटीबॉडी और सूजन में वृद्धि) देखने को मिलते हैं।
  • इन निष्कर्षों से इन जीन परिवर्तनों तथा ऑटोइम्यून बीमारियों के बीच संबंध का पता चलता है, जिससे इनके उपचार के लिये मार्ग प्रशस्त होता है।

नोट: ऑटोइम्यून बीमारियाँ तब होती हैं जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में विकृति आने से स्वस्थ कोशिकाओं पर इसके द्वारा हमला किया जाता है।

X गुणसूत्र अल्ज़ाइमर रोग से किस प्रकार संबंधित है?

  • अल्ज़ाइमर रोग लिंग पूर्वाग्रह प्रदर्शित करता है अर्थात इसका पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक जोखिम होता है।
    • एक अध्ययन से पता चलता है कि प्रोटीन संश्लेषण में शामिल USP11 जीन, X निष्क्रियता से बच जाता है और महिलाओं में अधिक प्रभावी होता है।
    • USP11 के अधिक प्रभावी होने से मस्तिष्क में टाऊ प्रोटीन (Tau Protein) के संचय में वृद्धि होती है, जो अल्ज़ाइमर रोग का कारण बनता है।
  • इससे अल्ज़ाइमर रोग के लक्षित उपचार हेतु मार्ग प्रशस्त होता है।

X_Chromosome