सड़कों की व्हाइट टॉपिंग | 07 Sep 2024
स्रोत: TOI
केंद्र सरकार पुराने राष्ट्रीय राजमार्गों को सुदृढ़ बनाने के लिये व्हाइट-टॉपिंग (व्हाइट टॉपिंग) नामक तकनीक का उपयोग करने की नीति विकसित कर रही है, जिसका उद्देश्य उनके जीवनकाल में वृद्धि करना है।
- भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (National Highways Authority of India- NHAI) को रख-रखाव संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिये राष्ट्रीय राजमार्गों के उन्नयन को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया गया है।
- NHAI की स्थापना सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के तहत NHAI अधिनियम 1988 के तहत की गई थी।
- यह राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (National Highways Development Project- NHDP) और अन्य परियोजनाओं की निगरानी करता करता है।
- भारत का राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क लगभग 146,000 किलोमीटर तक फैला हुआ है।
- व्हाइट टॉपिंग, पुनर्वास या संरचनात्मक मज़बूती के लिये मौजूदा बिटुमिनस सड़कों (डामर और एग्रीगेट्स के मिश्रण से निर्मित) पर सीमेंट कंक्रीट (योजित या गैर-योजित) की 100-200 मिमी. परत लगाने की प्रक्रिया है।
- सीमेंट कंक्रीट एक निर्माण सामग्री है जो सीमेंट, जल, एग्रीगेट्स (जैसे रेत और बजरी) को मिलाकर बनाई जाती है तथा प्रायः अक्सर इसकी मज़बूती, स्थायित्व व बहुमुखी क्षमता के कारण सड़कों, पुलों एवं अन्य संरचनाओं के निर्माण के लिये इसमें योजकों का उपयोग किया जाता है।
- यह तकनीक ईंधन की बचत करती है क्योंकि कंक्रीट सड़कों पर वाहन कम ईंधन की खपत करते हैं, कार्बन उत्सर्जन कम करते हैं, शहरी उष्मन द्वीप प्रभाव को कम करते हैं तथा वाहन के प्रकाश परावर्तन को बढ़ाकर सुरक्षा में सुधार करते हैं।
- इसके परावर्तक गुणों के कारण इसे बाहरी प्रकाश व्यवस्था के लिये भी कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
और पढ़ें: NHAI की 'एक वाहन, एक फास्टैग' पहल