वीर बाल दिवस | 27 Dec 2022

हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में आयोजित 'वीर बाल दिवस' के ऐतिहासिक कार्यक्रम में शामिल हुए। 

  • 9 जनवरी, 2022 को श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के दिन प्रधानमंत्री ने यह घोषणा की थी कि 26 दिसंबर को श्री गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों- साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी की शहादत की स्‍मृति में 'वीर बाल दिवस' के रूप में मनाया जाएगा।

साहिबजादा जोरावर सिंह और फतेह सिंह के बारे में

  • साहिबजादे जोरावर सिंह (9) और फतेह सिंह (7) सिख धर्म के सबसे सम्मानित शहीदों में से हैं।
  • सम्राट औरंगज़ेब (1704) के आदेश पर मुगल सैनिकों द्वारा आनंदपुर साहिब को घेर लिया गया।
  • इस घटना में गुरु गोबिंद सिंह के दो पुत्रों को पकड़ लिया गया।
  • मुसलमान बनने पर उन्हें न मारने की पेशकश की गई थी।
  • इस पेशकश को उन दोनों ने ठुकरा दिया जिस कारण उन्हें मौत की सज़ा दी गई और उन्हें जिंदा ईंटों की दीवार में चुनवा दिया गया।
  • इन दोनों शहीदों ने धर्म के महान सिद्धांतों से विचलित होने के बजाय मृत्यु को प्राथमिकता दी।

गुरु गोबिंद सिंह: 

  • परिचय: 
    • दस सिख गुरुओं में से अंतिम गुरु गोबिंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर,1666 को पटना, बिहार में हुआ था। 
    • गुरु गोबिंद सिंह अपने पिता ‘गुरु तेग बहादुर’ यानी नौवें सिख गुरु की मृत्यु के बाद 9 वर्ष की आयु में 10वें सिख गुरु बने।
    • वर्ष 1708 में उनकी हत्या कर दी गई थी।
  • योगदान: 
    • धार्मिक:
      • उन्हें सिख धर्म में उनके महत्त्वपूर्ण योगदान के लिये जाना जाता है, जिसमें बालों को ढँकने के लिये पगड़ी भी शामिल है।
      • उन्होंने खालसा या पाँच 'क' के सिद्धांत की भी स्थापना की।
        • पाँच 'क' केश (बिना कटे बाल), कंघा (लकड़ी की कंघी), कड़ा (लोहे या स्टील का ब्रेसलेट), कृपाण (डैगर) और कचेरा (छोटी जाँघिया) हैं।
        • ये आस्था के पाँच प्रतीक हैं जिन्हें एक खालसा को हमेशा धारण करना चाहिये।
      • उन्होंने खालसा योद्धाओं के पालन करने हेतु कई अन्य नियम भी निर्धारित किये, जैसे- तंबाकू, शराब,  हलाल मांस से परहेज आदि। खालसा योद्धा निर्दोष लोगों को उत्पीड़न से बचाने के लिये भी कर्तव्यनिष्ठ थे।
      • उन्होंने अपने बाद गुरु ग्रंथ साहिब (खालसा और सिखों की धार्मिक पुस्तक) को दोनों समुदायों का अगला गुरु घोषित किया। 
    • सैन्य:
      • उन्होंने वर्ष 1705 में मुक्तसर की लड़ाई में मुगलों के खिलाफ युद्ध किया।
      • आनंदपुर (1704) के युद्ध में गुरु गोबिंद सिंह ने अपनी माँ और दो नाबालिग बेटों को खो दिया, जिन्हें मार डाला गया था। उनका बड़ा बेटा भी युद्ध में मारा गया। 
    • साहित्यिक:
      • उनके साहित्यिक योगदानों में जाप साहिब, बेंती चौपाई, अमृत सवाई आदि शामिल हैं।
      • उन्होंने ‘ज़फरनामा’ भी लिखा जो मुगल सम्राट औरंगज़ेब को एक पत्र था।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रश्न. निम्नलिखित भक्ति संतों पर विचार कीजिये: (2013)

  1. दादू दयाल
  2. गुरु नानक
  3. त्यागराज

इनमे से कौन उस समय उपदेश देता था/देते थे जब लोदी वंश का पतन हुआ तथा बाबर सत्तारुढ़ हुआ?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) केवल 1 और 2

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • लोदी वंश दिल्ली सल्तनत का अंतिम शासक परिवार था। इस वंश का अंतिम शासक इब्राहिम लोदी था, जिसे वर्ष 1526 में पानीपत की लड़ाई में बाबर ने हराया था। इसने लोदी वंश के अंत और बाबर के नेतृत्त्व में भारत में मुगल साम्राज्य के उदय को चिह्नित किया।
  • गुरु नानक (1469-1539): गुरु नानक सिख धर्म के संस्थापक और दस सिख गुरुओं में से पहले थे। अत: 2 सही है।
  • दादू दयाल (1544-1603): दादू दयाल गुजरात, भारत के एक कवि संत थे। वह एक धार्मिक सुधारक थे जिन्होंने औपचारिकता और पुरोहितवाद के खिलाफ प्रचार किया। "दादू" का अर्थ है भाई, तथा "दयाल" का अर्थ है "दयालु"। अतः 1 सही नहीं है।
  • त्यागराज (1767-1847): त्यागराज कर्नाटक संगीत के प्रसिद्ध संगीतकार थे। एक प्रसिद्ध संगीतकार होने के साथ ही शास्त्रीय संगीत परंपरा के विकास में उनका प्रभावशाली योगदान रहा। अतः 3 सही नहीं है।

अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।

स्रोत: पी.आई.बी.