वीर बाल दिवस | 11 Jan 2022
हाल ही में, भारत के प्रधान मंत्री ने घोषणा की है कि 26 दिसंबर को अंतिम सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह के चार पुत्रों "साहिबजादे" के साहस को श्रद्धांजलि देने के लिये "वीर बाल दिवस" के रूप में चिह्नित किया जाएगा।
- इस तारीख को चुना गया है क्योंकि इस दिन को साहिबजादा जोरावर सिंह और फतेह सिंह के शहादत दिवस के रूप में मनाया जाता था, जो मुगल सेना द्वारा सरहिंद (पंजाब) में छह और नौ साल की उम्र में मारे गए थे।
प्रमुख बिंदु
- साहिबजादा जोरावर सिंह और फतेह सिंह के बारे में:
- साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह सिख धर्म के सबसे सम्मानित शहीदों में से हैं।
- मुगल सैनिकों ने सम्राट औरंगजेब (1704) के आदेश पर आनंदपुर साहिब को घेर लिया।
- गुरु गोबिंद सिंह के दो पुत्रों को पकड़ लिया गया।
- मुसलमान बनने पर उन्हें न मारने की पेशकश की गई थी।
- उन दोनों ने इनकार कर दिया और इसलिये उन्हें मौत की सजा दी गई और उन्हें जिंदा ईंटों से दीवार में चुनवा दिया गया।
- इन दोनों शहीदों ने धर्म के महान सिद्धांतों से विचलित होने के बजाय मृत्यु को प्राथमिकता दी।
- गुरु गोबिंद सिंह:
- दस सिख गुरुओं में से अंतिम गुरु गोबिंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर,1666 को पटना, बिहार में हुआ था।
- उनकी जयंती नानकशाही कैलेंडर पर आधारित है।
- गुरु गोबिंद सिंह अपने पिता ‘गुरु तेग बहादुर’ यानी नौवें सिख गुरु की मृत्यु के बाद 9 वर्ष की आयु में 10वें सिख गुरु बने।
- वर्ष 1708 में उनकी हत्या कर दी गई थी।
- दस सिख गुरुओं में से अंतिम गुरु गोबिंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर,1666 को पटना, बिहार में हुआ था।
- योगदान:
- धार्मिक:
- उन्हें सिख धर्म में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिये जाना जाता है, जिसमें बालों को ढंकने के लिये पगड़ी भी शामिल है।
- उन्होंने खालसा या पाँच 'क' के सिद्धांत की भी स्थापना की।
- पाँच 'क' केश (बिना कटे बाल), कंघा (लकड़ी की कंघी), कारा (लोहे या स्टील का ब्रेसलेट), कृपाण (डैगर) और कचेरा (छोटी जाँघिया) हैं।
- ये आस्था के पाँच प्रतीक हैं जिन्हें एक खालसा को हमेशा धारण करना चाहिये।
- उन्होंने खालसा योद्धाओं के पालन करने हेतु कई अन्य नियम भी निर्धारित किये, जैसे- तंबाकू, शराब, हलाल मांस से परहेज आदि। खालसा योद्धा निर्दोष लोगों को उत्पीड़न से बचाने के लिये भी कर्तव्यनिष्ठ थे।
- उन्होंने अपने बाद गुरु ग्रंथ साहिब (खालसा और सिखों की धार्मिक पुस्तक) को दोनों समुदायों का अगला गुरु घोषित किया।
- सैन्य:
- उन्होंने वर्ष 1705 में मुक्तसर की लड़ाई में मुगलों के खिलाफ युद्ध किया।
- आनंदपुर (1704) के युद्ध में गुरु गोबिंद सिंह ने अपनी माँ और दो नाबालिग बेटों को खो दिया, जिन्हें मार डाला गया था। उनका बड़ा बेटा भी युद्ध में मारा गया।
- साहित्यिक:
- उनके साहित्यिक योगदानों में जाप साहिब, बेंती चौपाई, अमृत सवाई आदि शामिल हैं।
- उन्होंने ‘ज़फरनामा’ भी लिखा जो मुगल सम्राट औरंगजेब को एक पत्र था।
- धार्मिक: