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वडनगर: भारत का प्राचीनतम जीवंत शहर

  • 16 Jan 2024
  • 5 min read

स्रोत: द हिंदू

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (खड़गपुर) तथा भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India- ASI) के एक संयुक्त अध्ययन किया जिसके अनुसार हड़प्पा के पतन के बाद भी गुजरात स्थित वडनगर में सांस्कृतिक निरंतरता के पुरातात्त्विक प्रमाण प्राप्त हुए हैं।

  • यह अध्ययन हड़प्पा सभ्यता के पतन के बाद भी वडनगर में सांस्कृतिक निरंतरता का पुरातात्त्विक प्रमाण प्रदान करके "अंधकार युग" की धारणा को चुनौती देता है।

वडनगर में उत्खनन से संबंधित मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • बस्ती की समयावधि: 
    • अध्ययन से वडनगर में 800 ईसा पूर्व प्राचीन मानव बस्ती के साक्ष्य का पता चलता है।
    • जिसके परिणामस्वरूप इसे उत्तर-वैदिक/पूर्व-बौद्ध महाजनपद अथवा कुलीन गणराज्य काल के समय का माना जा रहा है।
  • जलवायु प्रभाव: 
    • 3,000 वर्ष की अवधि में विभिन्न राज्यों के उत्थान तथा पतन के साथ-साथ मध्य एशियाई कारकों द्वारा निरंतर आक्रमण किये गए जिसका कारक जलवायु में हुए गंभीर परिवर्तनों, जैसे वर्षा अथवा सूखे की स्थिति में परिवर्तन को माना जाता है।
  • बहुसांस्कृतिक एवं बहुधार्मिक बस्ती: 
    • वडनगर को एक बहुसांस्कृतिक और बहुधार्मिक बस्ती के रूप में वर्णित किया गया है जिसमें बौद्ध, हिंदू, जैन तथा इस्लामी प्रभाव शामिल हैं।
    • उत्खनन से सात सांस्कृतिक चरणों (अवधि) का पता चला, जिनमें मौर्य, इंडो-ग्रीक, इंडो-सीथियन, हिंदू-सोलंकी, सल्तनत-मुगल एवं गायकवाड़-ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन शामिल हैं, जो आज तक विद्यमान हैं।
  • पुरातात्त्विक कलाकृतियाँ: 
    • खुदाई के दौरान विभिन्न पुरातात्त्विक कलाकृतियों की खोज की गई, जिनमें मिट्टी के बर्तन, ताँबा, सोना, चाँदी और लोहे की वस्तुएँ शामिल थीं।
    • निष्कर्षों में इंडो-ग्रीक शासन काल की जटिल रूप से डिज़ाइन की गई चूड़ियाँ तथा सिक्कों के साँचे भी शामिल हैं।
  • बौद्ध विहार: 
    • महत्त्वपूर्ण खोजों में से एक वडनगर में सबसे पुराने बौद्ध मठों में से एक की उपस्थिति है, जो इस बस्ती की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ाती है।
  • रेडियोकार्बन तिथियाँ: 
    • अप्रकाशित रेडियोकार्बन तिथियों से पता चलता है कि यह बस्ती 1400 ईसा पूर्व की हो सकती है, जो अंधयुग की धारणा को चुनौती देती है।
      • "अंधयुग" सिंधु घाटी सभ्यता के पतन और भारतीय इतिहास में लौह युग एवं गांधार, कोशल तथा अवंती जैसे शहरों के उद्भव के बीच की अवधि को संदर्भित करता है।
    • यदि यह सच है, तो इसका तात्पर्य भारत में पिछले 5500 वर्षों से सांस्कृतिक निरंतरता है।

भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI):

  • भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) संस्कृति मंत्रालय के तहत देश की सांस्कृतिक विरासत के पुरातात्त्विक अनुसंधान और संरक्षण के लिये प्रमुख संगठन है।
  • इसके कार्यों में पुरातात्त्विक अवशेषों का सर्वेक्षण, पुरातात्त्विक स्थलों की खोज एवं उत्खनन, संरक्षित स्मारकों का संरक्षण और रखरखाव करना आदि शामिल हैं।
  • यह 3650 से अधिक प्राचीन स्मारकों, पुरातात्त्विक स्थलों और राष्ट्रीय महत्त्व के अवशेषों का प्रबंधन करता है।
  • इसके अलावा यह प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्त्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के प्रावधानों के अनुसार देश में सभी पुरातात्त्विक गतिविधियों को विनियमित करता है। यह पुरावशेष तथा बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम, 1972 को भी नियंत्रित करता है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1861 में ASI के पहले महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम ने की थी। अलेक्जेंडर कनिंघम को "भारतीय पुरातत्त्व के जनक" के रूप में भी जाना जाता है।
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