प्रयागराज शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 29 जुलाई से शुरू
  संपर्क करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


रैपिड फायर

मृत्युदंड के लिये नाइट्रोजन गैस का उपयोग

  • 09 Feb 2024
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू 

हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका में नाइट्रोजन गैस का उपयोग कर एक व्यक्ति को मृत्युदंड (वर्ष 1982 के बाद पहली बार) दिया गया जिसके परिणामस्वरूप मृत्युदंड की नैतिकता तथा प्रभावकारिता चर्चा का विषय बन गए हैं।

  • फाँसी के लिये नाइट्रोजन गैस का उपयोग करने से निवासियों में आक्रोश फैल गया तथा मृत्युदंड के नैतिक एवं विधिक पहलुओं पर पुनः बहस शुरू हो गई।
  • हाइपोक्सिया अथवा ऑक्सीजन की कमी, नाइट्रोजन गैस के कारण होती है और इसे मृत्युदंड की एक विधि के रूप में प्रयोग किया जाता है जिसके परिणामस्वरूप अपराधी बेहोश हो जाता है एवं अंततः उसकी मृत्यु हो जाती है।
    • इस प्रक्रिया में सामान्यतः संबद्ध व्यक्ति को एक वायुमुक्त कक्ष में बैठाया जाता है अथवा उसके मुख पर मास्क पहनाया जाता है जिसके माध्यम से नाइट्रोजन गैस पंप की जाती है।
    • श्वसन के माध्यम से जैसे ही व्यक्ति नाइट्रोजन के संपर्क में आता है, नाइट्रोजन उसके फेफड़ों में मौजूद ऑक्सीजन को अवशोषित कर लेता है जिससे रक्तप्रवाह तथा मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।

और पढ़ें…मृत्युदंड पर सर्वोच्च न्यायालय का रुख

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow