लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

प्रारंभिक परीक्षा

यूएस-पैसिफिक आइलैंड समिट 2022

  • 03 Oct 2022
  • 4 min read

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति ने वाशिंगटन, डीसी में पहली बार यूएस-पैसिफिक आइलैंड कंट्री समिट की मेज़बानी की और प्रशांत द्वीप समूह के लिये 810 मिलियन अमेरिकी डाॅलर के वित्त की घोषणा की।

US-Pacific-Island

शिखर सम्मेलन:

  • अमेरिकी उपस्थिति का विस्तार: टूना उद्योग का समर्थन करने के लिये गंदे जल को साफ करने और विकसित करने हेतु 600 मिलियन अमेरिकी डाॅलर को 10 साल के पैकेज के रूप में घोषित किया गया है, जो जलवायु और विकास सहायता के साथ ही इसकी राजनयिक उपस्थिति का भी विस्तार करेगा।
  • चीन की आक्रामक नीति का मुकाबला करना: चीन ने हाल के वर्षों में निवेश, पुलिस प्रशिक्षण और सबसे विवादास्पद सोलोमन द्वीप समूह के साथ एक सुरक्षा समझौते के माध्यम से प्रशांत द्वीपों में दृढ़ता से रणनीतिक लेकिन कम आबादी वाले क्षेत्र में पैठ बनाई। इसलिये अमेरिका उस क्षेत्र के साथ फिर से जुड़ रहा है जो द्वितीय विश्वयुद्ध तक उसके साथ निकटता से जुड़ा हुआ था।
  • गठबंधन बनाना: अमेरिकी प्रशासन ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, जापान और ब्रिटेन के साथ ब्लू पैसिफिक में साझेदारी की और कहा कि कनाडा तथा जर्मनी भी इसमें शामिल होंगे तथा फ्राँस स्वयं एक दक्षिण प्रशांत शक्ति है, साथ ही यूरोपीय संघ, दक्षिण कोरिया और भारत गैर-सदस्यों के रूप में भाग लेंगे।

प्रशांत द्वीपीय देश:

  • परिचय: प्रशांत द्वीपीय देश 14 राज्यों का समूह है जो एशिया, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के बीच प्रशांत महासागर के उष्णकटिबंधीय क्षेत्र से संबंधित है।
  • इनमें कुक आइलैंड्स, फिजी, किरिबाती, रिपब्लिक ऑफ मार्शल आइलैंड्स, फेडरेटेड स्टेट्स ऑफ माइक्रोनेशिया (FSM), नाउरू, नीयू, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, समोआ, सोलोमन आइलैंड्स, टोंगा, तुवालु और वानुअतु शामिल हैं।
  • महत्त्व:
    • सबसे बड़ा अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ): द्वीपों को भौतिक और मानव भूगोल के आधार पर तीन अलग-अलग भागों में विभाजित किया गया है- माइक्रोनेशिया, मेलानेशिया तथा पोलिनेशिया।
      • अपने छोटे भूमि क्षेत्र के बावजूद ये द्वीप प्रशांत महासागर के विस्तृत क्षेत्र में फैले हुए हैं। किरिबाती और FSM का EEZ भारत से बड़ा है।
    • आर्थिक संभावनाएँ:
      • बड़े EEZs में आर्थिक संभावनाएँ अधिक हैं क्योंकि उनका उपयोग मत्स्य पालन, ऊर्जा, खनिजों और वहां मौजूद अन्य समुद्री संसाधनों के समुपयोजन के लिये किया जा सकता है।
    • संभावित वोट बैंक: साझा आर्थिक और सुरक्षा मामलों से जुड़े 14 प्रशांत द्वीपीय देश (PICs) , अंतर्राष्ट्रीय राय जुटाने हेतु प्रमुख शक्तियों के लिये, विशेषकर संयुक्त राष्ट्र में पर्याप्त वोट बैंक के रूप में कार्य करते हैं।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2