रैपिड फायर
अनाधिकृत रेलवे ई-टिकट अवैध घोषित
- 13 Jan 2025
- 2 min read
स्रोत: द हिंदू
मैथ्यू के. चेरियन मामला 2025 में उच्चतम न्यायालय ने माना कि रेलवे ई-टिकटों की खरीद और आपूर्ति का अनधिकृत व्यवसाय एक सामाजिक अपराध है, जिसे रोकने की आवश्यकता है।
- रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 143 में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्रकार से रेलवे टिकटों की अनधिकृत बिक्री और खरीद के लिये दंड का प्रावधान है।
- इस मामले में इंग्लिश केस ऑफ कॉम्डेल कमोडिटीज लिमिटेड बनाम सिपोरेक्स ट्रेड एसए मामला, 1990 का संदर्भ दिया गया, जिसमें तर्क दिया गया कि विधिक प्रावधान अप्रत्याशित तकनीकी प्रगति तक विस्तारित हो सकते हैं।
- केरल उच्च न्यायालय ने पूर्व में यह निर्णय दिया गया था कि यह प्रावधान केवल ऑफलाइन टिकट बिक्री पर लागू होता है, हालाँकि उच्चतम न्यायालय ने इसमें सुधार भी किया।
- आरोपी मैथ्यू ने IRCTC द्वारा निर्धारित टिकट सीमा (प्रति माह 12-24 टिकट आरक्षण) को दरकिनार करने के लिये सैकड़ों अनधिकृत उपयोगकर्त्ता पहचान प्रमाण पत्र बनाए, जो अधिनियम की धारा 143 का उल्लंघन था।
- भारतीय रेलवे भारत के बुनियादी ढाँचे का एक आधार है जो वार्षिक रूप से लगभग 673 करोड़ यात्रियों को आवागमन की सुविधा प्रदान करता है।
और पढ़ें... भारतीय रेलवे का भविष्य पुनर्निर्धारित करना