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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा

  • 11 Nov 2022
  • 8 min read

हाल ही में मानवाधिकार परिषद (HRC) का सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा (UPR) सत्र जिनेवा में आयोजित किया गया था, जहाँ सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा (UPR) कार्य समूह द्वारा भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड की जाँच की गई थी।

सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा (UPR):

  • परिचय:
    • UPR एक अनूठी प्रक्रिया है जिसमें संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य देशों के मानवाधिकार रिकॉर्ड की आवधिक समीक्षा की जाती है।
    • चूँकि इसकी पहली बैठक अप्रैल 2008 में हुई थी, सभी 193 संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों की समीक्षा पहले, दूसरे और तीसरे यूपीआर चक्र के दौरान तीन बार की गई है।
    • इस तंत्र का अंतिम उद्देश्य सभी देशों में मानवाधिकारों की स्थिति में सुधार करना और जहाँ कहीं भी मानवाधिकार उल्लंघन होते हैं, उन्हें संबोधित करना है। वर्तमान में,इस तरह का कोई अन्य सार्वभौमिक तंत्र मौजूद नहीं है।
    • समीक्षा प्रक्रिया के दौरान राज्यों ने अपनी पिछली समीक्षाओं के दौरान की गई सिफारिशों को लागू करने के लिये उठाए गए विशिष्ट कदमों की रूपरेखा तैयार की और उनके हाल के मानवाधिकारों के विकास पर प्रकाश डाला।
  • भारत के लिये यूपीआर:
    • भारत की समीक्षा के लिये प्रतिवेदक ("ट्रोइका") के रूप में समर्थन देने वाले तीन देश प्रतिनिधि हैं: सूडान, नेपाल और नीदरलैंड।
    • यह समीक्षा यूपीआर के चौथे चक्र की शुरुआत को चिह्नित करती है। भारत की पहली, दूसरी और तीसरी यूपीआर समीक्षा क्रमशः अप्रैल 2008, मई 2012 और मई 2017 में हुई थी।
  • समीक्षा का आधार:
    • राष्ट्रीय रिपोर्ट - समीक्षाधीन राज्य द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी।
    • स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों और समूहों की रिपोर्ट में निहित जानकारी, जिन्हें विशेष प्रक्रियाओं, मानवाधिकार संधि निकायों और अन्य संयुक्त राष्ट्र संस्थाओं के रूप में जाना जाता है।
    • राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों, क्षेत्रीय संगठनों और नागरिक समाज समूहों सहित अन्य हितधारकों द्वारा प्रदान की गई जानकारी।

समीक्षा के प्रमुख बिंदु:

  • ग्रीस, नीदरलैंड और वेटिकन सिटी ने भारत सरकार से धर्म की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने और मानवाधिकार रक्षकों तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव को समाप्त करने का आह्वान किया।
    • भारत लोकतांत्रिक व्यवस्था में मानवाधिकार रक्षकों, पत्रकारों और कार्यकर्त्ताओं की भूमिका की सराहना करता है, बशर्तें इन समूहों और व्यक्तियों की गतिविधियाँ देश के कानून के अनुरूप होनी चाहिये।
  • जर्मनी ने भारत में विशेष रूप से धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ-साथ महिलाओं और बालिकाओं के अधिकारों की स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की।
  • जर्मनी ने यह भी कहा कि विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम को भारत में "संघ की स्वतंत्रता" को "अनुचित रूप से प्रतिबंधित" नहीं करना चाहिये।
    • जर्मन प्रतिनिधि ने भारत से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को मज़बूत करने का आह्वान किया और कहा कि दलितों के खिलाफ भेदभाव समाप्त होना चाहिये।
  • नेपाल ने भारत से महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने और बाल विवाह को समाप्त करने के उपायों को मज़बूत करने का आह्वान किया।
  • रूस ने भारत से ऐसी नीतियाँ जारी रखने को कहा जिससे गरीबी उन्मूलन हो साथ ही 'ज़िम्मेदार कॉरपोरेट व्यवहार' का आह्वान किया।
  • भारत ने कहा कि कुछ संगठनों के खिलाफ उनकी अवैध क्रियाओं के कारण कार्रवाई की गई, जिसमें धन के दुर्भावनापूर्ण पुन: अनुमार्गण (Re-Routing) और मौजूदा कानूनी प्रावधानों, विदेशी मुद्रा प्रबंधन नियमों और भारत के कर कानून का जान-बूझकर एवं निरंतर उल्लंघन शामिल हैं।

ंयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद:

  • परिचय:
    • मानवाधिकार परिषद संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के भीतर एक अंतर-सरकारी निकाय है जो दुनिया भर में मानवाधिकारों के प्रचार और संरक्षण को मज़बूत करने हेतु ज़िम्मेदार है।
  • गठन:
    • इस परिषद का गठन वर्ष 2006 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा किया गया था। इसने मानवाधिकार पर पूर्व संयुक्त राष्ट्र आयोग का स्थान लिया था।
    • मानवाधिकार हेतु उच्चायुक्त का कार्यालय (OHCHR) मानवाधिकार परिषद के सचिवालय के रूप में कार्य करता है।
    • OHCHR का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है।
  • सदस्य:
    • इसका गठन 47 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों से मिलकर हुआ है जो संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा चुने जाते हैं।
    • परिषद की सदस्यता समान भौगोलिक वितरण पर आधारित है। इसकी सीटों का वितरण निम्नलिखित प्रकार से किया गया है:
      • अफ्रीकी देश: 13 सीटें
      • एशिया-प्रशांत देश: 13 सीटें
      • लैटिन अमेरिकी और कैरेबियन देश: 8 सीटें
      • पश्चिमी यूरोपीय और अन्य देश: 7 सीटें
      • पूर्वी यूरोपीय देश: 6 सीटें
    • परिषद के सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है और लगातार दो कार्यकाल की सेवा के बाद कोई भी सदस्य तत्काल पुन: चुनाव के लिये पात्र नहीं होता है।
  • प्रक्रिया और तंत्र:
    • सलाहकार समिति: यह परिषद के "थिंक टैंक" के रूप में कार्य करता है जो इसे विषयगत मानवाधिकार मुद्दों पर विशेषज्ञता और सलाह प्रदान करता है।
    • शिकायत प्रक्रिया: यह लोगों और संगठनों को  मानवाधिकार उल्लंघन से जुड़े मामलों को परिषद के ध्यान में लाने की अनुमति देता है।
    • संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रक्रिया: ये विशेष प्रतिवेदक, विशेष प्रतिनिधियों, स्वतंत्र विशेषज्ञों और कार्य समूहों से बने होते हैं जो विशिष्ट देशों में विषयगत मुद्दों या मानव अधिकारों की स्थितियों की निगरानी, जाँच करने, सलाह देने और सार्वजनिक रूप से रिपोर्ट करने का कार्य करते हैं।

स्रोत: द हिंदू

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