असाध्य रोग के संदर्भ में यूके का असिस्टेड डाइंग बिल | 05 Dec 2024

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स में टर्मिनली इल एडल्ट (एंड ऑफ लाइफ) बिल के पक्ष में मतदान किया गया, जो असाध्य रोग से पीड़ित व्यक्ति को अपना जीवन समाप्त करने में सहायता देने पर केंद्रित है। 

  • यह ऐतिहासिक निर्णय जीवन के अंतिम चरण से संबंधित अधिकारों के संदर्भ में चल रही बहस को प्रतिबिंबित करता है तथा इससे नैतिक विचारों एवं विधिक ढाँचे के बारे में विमर्श को बढ़ावा मिला है। 

सहायता प्राप्त मृत्यु (Assisted Dying) का आशय स्वैच्छिक सक्रिय इच्छामृत्यु एवं चिकित्सक की सहायता से मृत्यु से है।

इच्छामृत्यु (Euthanasia) के तहत डॉक्टर द्वारा असाध्य रोगी का जीवन समाप्त करना शामिल है।

यूके के असिस्टेड डाइंग बिल की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

सहायता प्राप्त मृत्यु पर ब्रिटेन की वर्तमान स्थिति:

  • सुसाइड एक्ट, 1961 के तहत इंग्लैंड, वेल्स तथा उत्तरी आयरलैंड में आत्महत्या को प्रोत्साहित करना या इसमें सहायता करना गैर-कानूनी है।
    • इसके तहत सहायता प्राप्त आत्महत्या को अपराध माना गया है और इसके लिये 14 वर्ष का कारावास हो सकता है।
  • वर्ष 2013 से अब तक ब्रिटेन में असिस्टेड मृत्यु की अनुमति देने हेतु कम से कम तीन विधेयक प्रस्तुत किये जा चुके हैं। 

टर्मिनली इल एडल्ट (एंड ऑफ लाइफ) बिल:

  • असाध्य रोग की परिभाषा: इसका आशय ऐसे रोग से है जिसे उपचार से ठीक नहीं किया जा सकता हो और इसमें 6 महीने के अंदर व्यक्ति के मरने की संभावना हो।
  • इस विधेयक के तहत दिव्यांग या मानसिक विकार वाले व्यक्तियों को शामिल नहीं किया गया है।
    • पात्रता मानदंड: केवल मानसिक रूप से सक्षम तथा कम-से-कम 18 वर्ष की आयु वाले गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति ही सहायता प्राप्त मृत्यु का अनुरोध कर सकते हैं।
      • यूनाइटेड किंगडम में, प्रत्येक राष्ट्र और क्राउन निर्भरता अपनी स्वयं की स्वास्थ्य देखभाल के लिये ज़िम्मेदार है, इसलिये स्कॉटलैंड और उत्तरी आयरलैंड को अपने स्वयं के सहायता-मृत्यु नियम पारित करने होंगे।
    • आवेदन करने से कम-से-कम 12 महीने पहले मरीज़ को इंग्लैंड या वेल्स में पंजीकृत होना चाहिये तथा वहाँ रहना चाहिये।
  • अनुरोध प्रक्रिया:
    • मरीजों को समन्वयकारी डॉक्टर और एक गवाह की उपस्थिति में "प्रथम घोषणा" पर हस्ताक्षर करना होगा।
      • प्रथम घोषणा: जो व्यक्ति इस अधिनियम के अनुसार अपना जीवन समाप्त करने के लिये सहायता प्राप्ति संबंधित आशय की घोषणा करनी होगी।
    • समन्वयक चिकित्सक पात्रता और स्वैच्छिक सहमति की पुष्टि के लिये प्रारंभिक मूल्यांकन किया जाता है।
      • यदि यह स्वीकृत हो जाता है, तो अनुरोध को न्यूनतम सात दिन की विचार-विमर्श अवधि के बाद एक स्वतंत्र चिकित्सक के पास भेजा जाता है।
  • न्यायिक निगरानी:
    • यदि दोनों डॉक्टर (समन्वयकारी और स्वतंत्र) सहमत होते हैं, तो अनुरोध उच्च न्यायालय को भेजा जाता है, जो कानूनी आवश्यकताओं के अनुपालन की पुष्टि करता है।
      • नयायालय मरीज और संबंधित डॉक्टर दोनों से पूछताछ कर सकता है।
  • अंतिम पुष्टि:
    • न्यायिक मंजूरी के बाद, मरीज को दूसरे घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने से पहले 14 दिनों का दूसरा चिंतन काल मिलता है, जिसकी पुष्टि डॉक्टर और अन्य व्यक्ति द्वारा की जाती है।
  • स्वयं से दवाओं का उपभोग:
    • समन्वय करने वाला डॉक्टर रोगी को स्वयं उपभोग हेतु एक "अनुमोदित दवा" प्रदान करता है, डॉक्टरों को इसे स्वयं देने का अधिकार नहीं है।

Euthanasia

विभिन्न देशों में इच्छामृत्यु नीतियाँ

  • नीदरलैंड, लक्ज़मबर्ग, बेल्जियम: उन लोगों के लिये इच्छामृत्यु और सहायता प्राप्त आत्महत्या दोनों की अनुमति दी जाए जो "असहनीय पीड़ा" से पीड़ित हैं और जिनमें सुधार की कोई संभावना नहीं है।
  • स्विटज़रलैंड: यहाँ इच्छामृत्यु पर प्रतिबंध है, लेकिन डॉक्टर की उपस्थिति में सहायतापूर्वक मृत्यु की अनुमति है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका: इच्छामृत्यु कानून राज्य के अनुसार अलग-अलग हैं, वाशिंगटन, ओरेगन और मोंटाना जैसे राज्यों में छूट दी गई है।
  • फ्राँस: फ्राँसीसी नागरिकता या निवास वाले वयस्क, जो गंभीर बीमारी और असहनीय दर्द से पीड़ित हैं, अगर वे अपनी इच्छा व्यक्त कर सकते हैं तो वे घातक दवा का अनुरोध कर सकते हैं। यदि वे स्वयं दवा नहीं ले सकते हैं तो सहायता की अनुमति है।

भारत में लिविंग विल और निष्क्रिय इच्छामृत्यु के प्रावधान क्या हैं?

  • निष्क्रिय इच्छामृत्यु: निष्क्रिय इच्छामृत्यु में किसी व्यक्ति को मरने देने के लिये चिकित्सा उपचार रोक दिया जाता है या वापस ले लिया जाता है। 
    • इसके विपरीत सक्रिय इच्छामृत्यु में किसी व्यक्ति के जीवन को किसी पदार्थ या बाह्य बल, जैसे घातक इंजेक्शन, के माध्यम से सक्रिय रूप से समाप्त कर दिया जाता है।
  • कॉमन कॉज़ बनाम भारत संघ (2018):
    • भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस ऐतिहासिक फैसले में किसी व्यक्ति के सम्मान के साथ मरने के अधिकार को मान्यता देते हुए कहा गया कि गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति निष्क्रिय इच्छामृत्यु का विकल्प चुन सकता है एवं चिकित्सा उपचार से मना कर सकता है।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स: 

Q. निजता के अधिकार को जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्भूत भाग के रूप में संरक्षित किया जाता है। भारत के संविधान में निम्नलिखित में से किससे उपर्युक्त कथन सही एवं समुचित ढंग से अर्थित होता है ?

(a) अनुच्छेद 14 एवं संविधान के 42वें संशोधन के अधीन उपबंध 
(b) अनुच्छेद 17 एवं भाग IV में दिये राज्य की नीति के निदेशक तत्त्व 
(c) अनुच्छेद 21 एवं भाग III में गारंटी की गई स्वतंत्रताएँ
(d) अनुच्छेद 24 एवं संविधान के 44वें संशोधन के अधीन उपबंध

उत्तर: (c)