दोहरे घाटे की समस्या | 23 Jun 2022

हाल ही में वित्त मंत्रालय ने अपनी 'मासिक आर्थिक समीक्षा' में अर्थव्यवस्था में दोहरे घाटे की समस्या के फिर से उभरने की चेतावनी दी है, जिसमें कमोडिटी की कीमतों में बढ़ोत्तरी और सब्सिडी के बढ़ते बोझ के कारण राजकोषीय घाटे (fiscal deficit) और चालू खाता का घाटा (Current Account Deficit- CAD) दोनों में वृद्धि हुई है। 

  • यह पहली बार है जब सरकार ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय  क्षति की संभावना के बारे में स्पष्ट रूप से बात की है। 

प्रमुख बिंदु  

रिपोर्ट की प्रमुख विशेषताएंँ: 

  • दुनिया मुद्रास्फीतिजनित मंदी/स्टैगफ्लेशन की एक अलग संभावना देख रही है।. 
  • हालाँकि, भारत अपनी विवेकपूर्ण स्थिरीकरण नीतियों के कारण, स्टैगफ्लेशन के जोखिम में कुछ हद तक सुरक्षित है। 
  • इस बीच, भारतीय वित्तीय बाज़ारों ने पिछले आठ महीनों में भारी विदेशी निवेश का बहिर्वाह देखा गया है। कमज़ोर जीडीपी विकास परिदृश्य ने इस स्थिति को और बढ़ा दिया है। 
  • एक ब्लैक स्वान घटना में जिसमें कई उतार-चढ़ाव शामिल हैं, में सकल घरेलू उत्पाद  के 7.7% के पोर्टफोलियो निवेश तथा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.9% की अल्पकालिक व्यापार ऋण छँटनी के तहत बहिर्वाह की 5% संभावना है ।

दोहरे घाटे की समस्या का प्रभाव: 

  • दोहरे घाटे की समस्या, विशेष रूप से चालू खाता घाटा, महँगे आयात के प्रभाव को बढ़ा सकती है तथा रुपए के मूल्य को कमज़ोर कर सकती है जिससे बाहरी असंतुलन और बढ़ सकता है। 

आगे की राह 

  • राजस्व व्यय में कटौती करें (वह धन जो सरकार अपनी दैनिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिये खर्च करती है)। 
  • घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना और अनावश्यक वस्तुओं के आयात में कमी करना। 
  • विवेकपूर्ण राजकोषीय नीति: सरकार को पूंजीगत और राजस्व व्यय दोनों को युक्तिसंगत बनाना चाहिये और राजकोषीय फिसलन से बचने के लिये एक संतुलित बजट के लिये जाना चाहिये। 

मुख्य बिंदु: 

  • राजकोषीय घाटा: यह सरकार की व्यय आवश्यकताओं और उसकी प्राप्तियों के बीच का अंतर है। यह उस धन के बराबर है जिसे सरकार को वर्ष के दौरान उधार लेने की आवश्यकता होती है। 
  • चालू खाता घाटा (CAD): चालू खाता देश में और बाहर माल, सेवाओं और निवेश के प्रवाह को मापता है। यह एक देश के विदेशी लेनदेन का प्रतिनिधित्व करता है और, पूंजी खाते की तरह, देश के भुगतान संतुलन (BoP) का एक घटक है। 
  • दोहरे घाटे की समस्या: चालू खाता घाटा और राजकोषीय घाटा (जिसे "बजट घाटा" के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसी स्थिति है जब किसी देश का व्यय उसके राजस्व से अधिक होता है) को एक साथ दोहरे घाटे के रूप में जाना जाता है और दोनों अक्सर एक दूसरे को सुदृढ़ करते हैं। 
  • स्टैगफ्लेशन: इसे अर्थव्यवस्था में एक ऐसी स्थिति के रूप में वर्णित किया जाता है जहाँ विकास दर धीमी हो जाती है, बेरोज़गारी का स्तर लगातार ऊँचा रहता है और फिर भी मुद्रास्फीति या मूल्य स्तर एक ही समय में उच्च रहता है। 
  • ब्लैक स्वान घटना: यह इतिहास में अनुभव किये गए सभी प्रतिकूल समस्याओं के एक साथ आने आने से संबंधित हो सकती है, जिससे एक विकराल स्थिति उत्पन्न हो जाती है। 

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (पीवाईक्यू) 

प्रश्न. शासन के संदर्भ में निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2010) 

  1. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अंतर्वाह को प्रोत्साहित करना
  2. उच्च शिक्षण संस्थानों का निजीकरण
  3. नौकरशाही का आकार कम करना
  4. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के शेयरों की बिक्री/ऑफलोडिंग

भारत में राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने के उपायों के रूप में उपरोक्त में से किसका उपयोग किया जा सकता है? 

(a) केवल 1, 2 और 3 
(b) केवल 2, 3 और 4 
(c) केवल 1, 2 और 4 
(d) केवल 3 और 4 

उत्तर: (d) 

व्याख्या: 

  • सामान्य तौर पर राजकोषीय घाटा तब होता है जब सरकार का कुल व्यय उसके राजस्व से अधिक हो जाता है। सरकार राजकोषीय घाटे को कम करने के लिये कई उपाय करती है जैसे कर-आधारित राजस्व बढ़ाना, सब्सिडी कम करना, विनिवेश आदि। 
  • नौकरशाही का आकार घटाने के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के शेयरों को बेचने/ऑफलोड करने से राजकोषीय घाटे में कमी आती है। 
  • गंतव्य और एफडीआई प्रवाह के प्रभाव को जाने बिना राजकोषीय घाटे पर इसके वास्तविक प्रभाव को निर्धारित करना मुश्किल है। उच्च शिक्षण संस्थानों के निजीकरण से स्थिति में सुधार हो सकता है लेकिन इसका प्रभाव राजकोषीय घाटे को कम करने में कारगर नहीं हो सकता है। 
  • अतः कथन 3, 4 सही हैं और कथन 1, 2 सही नहीं हैं। अतः विकल्प (d) सही उत्तर है। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस