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ट्विगस्टेट्स

  • 18 Jan 2025
  • 6 min read

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

नए आनुवंशिक विश्लेषण उपकरण, ट्विगस्टेट्स (Twigstats) ने उत्तरी और मध्य यूरोप से 500 ईसा पूर्व से 1000 ईस्वी तक के प्राचीन डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA) नमूनों का उपयोग करके व्यक्तिगत स्तर की वंशावली का पता लगाने की सटीकता में काफी सुधार किया है ।

ट्विगस्टेट्स क्या है?

  • परिचय: ट्विगस्टेट्स आनुवंशिक अध्ययन के लिये विकसित एक उन्नत विश्लेषणात्मक उपकरण है, जो विशेष रूप से उच्च परिशुद्धता के साथ वंशावली विश्लेषण पर केंद्रित है।
    • इसे आनुवंशिक डेटा, पुरातात्विक निष्कर्षों और ऐतिहासिक संदर्भ का उपयोग करके जनसंख्या गतिशीलता की समझ को बढ़ाने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • कार्य: ट्विगस्टेट्स व्यक्तियों के बीच साझा आनुवंशिक उत्परिवर्तनों का विश्लेषण करके आनुवंशिक के इतिहास की जानकारी प्रदान करता है। 
    • यह वंशावली का पता लगाने और विभिन्न समय अवधि के लोगों के बीच संबंध स्थापित करने के लिये हाल के उत्परिवर्तनों का उपयोग करता है, तथा आधुनिक DNA को प्राचीन आबादी के साथ जोड़ता है।
  • प्रमुख विशेषताऐं:
    • समय-स्तरीकृत वंशावली विश्लेषण: ट्विगस्टेट्स आनुवंशिक डेटा का विश्लेषण करने के लिये समय-स्तरीकृत दृष्टिकोण का उपयोग करता है, ऐतिहासिक अवधियों में वंशावली और आबादी कैसे विकसित हुई, इसका अध्ययन करके सटीकता को बढ़ाता है।
    • आनुवंशिक तकनीकों का एकीकरण: यह उपकरण हैप्लोटाइप्स (साझा DNA खंड), दुर्लभ वेरिएंट और सिंगल न्यूक्लियोटाइड पॉलीमॉर्फिज्म (SNP) को जोड़ता है ताकि वंशावली और जनसंख्या संरचना की व्यापक समझ प्रदान की जा सके जो समय के साथ जनसांख्यिकीय परिवर्तनों में गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करती है, जिससे आनुवंशिक विश्लेषण की सटीकता बढ़ जाती है।
    • R के साथ संगतता: यह शोधकर्त्ताओं को अधिक परिशुद्धता के साथ आनुवंशिक डेटा का विश्लेषण करने में सहायता करने हेतु सांख्यिकीय भाषाओं R और C++ का उपयोग करता है।

आनुवंशिक विश्लेषण के लिये प्रयुक्त तकनीकें क्या हैं?

  • सिंगल न्यूक्लियोटाइड पॉलीमॉर्फिज्म (SNP): SNP एक प्रयोगशाला विधि है, जिसका उपयोग DNA अनुक्रम में अंतर खोजने के लिये किया जाता है जहाँ एक न्यूक्लियोटाइड (A, C, G, or T) कुछ बिंदुओं पर व्यक्तियों के बीच भिन्न होता है।
    • इसका उपयोग प्राचीन आनुवंशिक सामग्री (aDNA) से आनुवंशिक इतिहास और वंशावली मॉडल के पुनर्निर्माण के लिये व्यापक रूप से किया जाता है। 
    • NSP विश्लेषण के लिये उच्च गुणवत्ता वाले DNA नमूनों की आवश्यकता होती है और निकट से संबंधित पैतृक समूहों के साथ चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
  • हैप्लोटाइप्स विधि: इस अध्ययन में आनुवंशिक मार्करों के संयोजन शामिल होते हैं जो एक ही गुणसूत्र पर एक साथ विरासत में मिलते हैं। 
    • यह तकनीक शोधकर्त्ताओं को रोग प्रारूप और जनसंख्या आनुवंशिकी को समझने में मदद करती है, तथा ऐसी अंतर्दृष्टि प्रदान करती है जो अकेले व्यक्तिगत मार्करों का विश्लेषण करने से छूट सकती है। 
    • यह हैप्लोटाइप्स पर केंद्रित है, जो एक साथ विरासत में मिले एलील्स के समूह हैं।
  • आनुवंशिक विश्लेषण का अनुमान: इस पद्धति का उपयोग वंशावली का निर्माण कर व्यक्तियों के वंश और आनुवंशिक संबंधों का पता लगाने के लिये किया जाता है।
    • यह जनसंख्या संरचना और जनसांख्यिकीय परिवर्तनों को समझने के लिये आधुनिक और प्राचीन दोनों जीनोम का विश्लेषण करता है।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

प्रिलिम्स:

प्रश्न 1. भारत में कृषि के संदर्भ में, प्रायः समाचारों में आने वाले ‘जीनोम अनुक्रमण (जीनोम सीक्वेंसिंग)’ की तकनीक का आसन्न भविष्य में किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है? (2017)

  1. विभिन्न फसली पौधों में रोग प्रतिरोध और सूखा सहिष्णुता के लिये आनुवंशिक सूचकों का अभिज्ञान करने के लिये जीनोम अनुक्रमण का उपयोग किया जा सकता है।
  2. यह तकनीक फसली पौधों की नई तकनीकों को विकसित करने में लगने वाले आवश्यक समय को घटाने में मदद करती है।
  3. इसका प्रयोग फसलों में पोषी-रोगाणु संबंधों को समझने के लिये किया जा सकता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

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