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थैलेसीमिया

  • 13 Dec 2024
  • 2 min read

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स 

दिल्ली सरकार के अस्पतालों में डेसफेरल (डिफेरोक्सामाइन) औषधि की गंभीर कमी के कारण थैलेसीमिया से ग्रसित रोगियों को आयरन ओवरलोड से अन्य गंभीर जटिलताओं का खतरा हो गया है, क्योंकि यह औषधि ऐसे रोगियों के लिये अत्यावश्यक जिनके लिये मुखीय चिलेटर्स असह्य होता है।

  • थैलेसीमिया एक रक्त संबंधी आनुवांशिक विकार है जो शरीर की सामान्य हीमोग्लोबिन उत्पादन की क्षमता को कम कर देता है, जिसके परिणामस्वरूप स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या कम हो जाती है और एनीमिया हो जाता है ।
  • इसके लक्षण, आरंभिक दशाओं में, काय की संवृद्धि संबंधी समस्याएँ, विलंबित यौवनारंभ तथा अस्थियों में असामान्यता एवं इसके गंभीर मामलों में भूख न लगना, पीलिया, मूत्र का रंग गाढ़ा होना एवं चेहरे की अस्थियों का असामान्य विकास शामिल है।

थैलेसीमिया के प्रकार:

  • अल्फा थैलेसीमिया: यह रोग माता-पिता दोनों से प्राप्त दोषपूर्ण अल्फा-ग्लोबिन जीन के कारण होता है।
    • इसमें रोग की गंभीरता दोषपूर्ण जीन की संख्या पर निर्भर करती है।
  • बीटा थैलेसीमिया: यह बीटा-ग्लोबिन जीन में दोष के कारण होता है।
    • दोषपूर्ण जीन की संख्या और प्रकार के आधार पर इसके लक्षणों की प्रवणता आरंभिक से लेकर गंभीर तक हो सकती है।
  • अनुमानतः वैश्विक स्तर पर प्रत्येक 10,000 जीवित जन्मों में से 4.4 बच्चों के इस रोग से प्रभावित होने के साथ संपूर्ण विश्व में लगभग 280 मिलियन लोग थैलेसीमिया से ग्रसित हैं

और पढ़ें: थैलेसीमिया बाल सेवा योजना

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