भारतीय चाय बोर्ड | 17 May 2024

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में एक चाय उत्पादक एवं निर्माता संघ ने जानकारी दी कि अपर्याप्त तथा असमान वर्षा के कारण आगामी महीनों में असम और पश्चिम बंगाल में चाय का उत्पादन 50% तक कम हो सकता है।

  • भारतीय चाय बोर्ड द्वारा प्रदत्त डेटा के अनुसार, मार्च 2024 तक असम के चाय उत्पादन में 40% तथा पश्चिम बंगाल के चाय उत्पादन में 23% की कमी आने का अनुमान है।

भारतीय चाय बोर्ड क्या है?

  • परिचय:
    • टी बोर्ड इंडिया की स्थापना 1903 में भारतीय चाय उपकर विधेयक के माध्यम से की गई थी, जिसने घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय चाय को बढ़ावा देने के लिये चाय निर्यात पर कर लगाया था।
    • वर्तमान चाय बोर्ड की स्थापना चाय अधिनियम 1953 की धारा 4 के तहत की गई थी और इसका गठन 1 अप्रैल, 1954 को किया गया था।
    • इसने केंद्रीय चाय बोर्ड और भारतीय चाय लाइसेंसिंग समिति का स्थान लिया है, जो क्रमशः केंद्रीय चाय बोर्ड अधिनियम, 1949 तथा भारतीय चाय नियंत्रण अधिनियम, 1938 के अंतर्गत कार्य करती थीं, इन दोनों अधिनियमों को निरस्त कर दिया गया था।
  • बोर्ड का गठन: 
    • वर्तमान चाय बोर्ड वाणिज्य मंत्रालय के अधीन केंद्र सरकार की एक वैधानिक संस्था के रूप में कार्य कर रहा है।
    • बोर्ड संसद सदस्यों, चाय उत्पादकों, चाय व्यापारियों, दलालों (Brokers), उपभोक्ताओं और प्रमुख चाय उत्पादक राज्यों तथा ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों से चुने गए 31 सदस्यों (अध्यक्ष सहित) से बना है।
    • बोर्ड का प्रत्येक तीन वर्ष में पुनर्गठन किया जाता है।
  • कार्य: 
    • यह चाय की खेती, उत्पादन और विपणन के लिये वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करना।
    • चाय उत्पादन को बढ़ाने और चाय की गुणवत्ता में सुधार के लिये अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों में सहायता करना।
    • कोलकाता, पश्चिम बंगाल में स्थित प्रधान कार्यालय के साथ ही इसके 23 कार्यालय हैं जिनमें क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय कार्यालय शामिल हैं।

चाय के बारे में मुख्य तथ्य:

  • विकास की स्थितियाँ:
    • जलवायु: चाय एक उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय पौधा है जो गर्म एवं आर्द्र जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ता है।
    • तापमान: इसकी वृद्धि के लिये आदर्श तापमान 20°-30°C है तथा 35°C से ऊपर और 10°C से नीचे का तापमान इसके लिये हानिकारक है।
    • वर्षा: इसके लिये 150-300 सेमी. वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है जिसका वर्ष भर समान वितरण आवश्यक है।
    • मृदा: चाय की खेती के लिये छिद्रपूर्ण मिट्टी के साथ अल्प अम्लीय मिट्टी (कैल्शियम के बिना) सबसे उपयुक्त होती है जो पानी का मुक्त रिसाव सुनिश्चित करती है। 
  • पानी के बाद चाय विश्व में दूसरा सबसे ज्यादा उपभोग किया जाने वाला पेय है।
    • भारत, चीन के बाद चाय का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और विश्व के चाय उत्पादन का लगभग 30% उपयोग करते हुए उक्त पेय का सबसे बड़ा उपभोक्ता था। 
  • लाभ: 
    • चाय में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर में ऑक्सीडेटिव क्षति को रोकने में मदद करते हैं और मुक्त कणों से होने वाले नुकसान को रोकने के लिये प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन प्रजातियों (Reactive Oxygen Species- ROS) के रूप में कार्य करते हैं। वे प्रतिरक्षा क्षमता को भी बढ़ाते हैं, कैंसर और संक्रमण के खतरे को कम करते हैं।
  • चिंताएँ:
    • हालाँकि हाल के ICMR दिशा-निर्देश चाय और कॉफी के रूप में कैफीन का अत्यधिक सेवन न  करने की सलाह देते हैं क्योंकि यह शरीर के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित कर सकती है और शारीरिक निर्भरता का कारण बन सकती है।
      • रिपोर्ट में कहा गया है कि चाय जैसे पेय पदार्थ आहार में आयरन की मात्रा को कम कर सकते हैं जिससे शरीर में आयरन की कमी हो सकती है, क्योंकि कैफीन युक्त पेय पदार्थों में टैनिन शरीर में आयरन के अवशोषण में बाधा उत्पन्न करता है।
      • इससे आयरन की कमी और एनीमिया जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न: भारत में ‘‘चाय बोर्ड’’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. चाय बोर्ड सांविधिक निकाय है। 
  2. यह कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय से संलग्न नियामक निकाय है। 
  3. चाय बोर्ड का प्रधान कार्यालय बंगलूरू में स्थित है। 
  4. इस बोर्ड के दुबई और मॉस्को में विदेश स्थित कार्यालय हैं।

उपर्युक्त कथनों में कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 3 और 4         
(d) केवल 1 और 4

उत्तर: (d)


प्रश्न. निम्नलिखित राज्यों पर विचार कीजिये: (2022)

  1. आंध्र प्रदेश 
  2. केरल 
  3. हिमाचल प्रदेश 
  4. त्रिपुरा

उपर्युक्त में से कितने सामान्यतः चाय उत्पादक राज्यों के रूप में जाने जाते हैं?

(a) केवल एक राज्य
(b) केवल दो राज्य
(c) केवल तीन राज्य
(d) सभी चार राज्य

उत्तर: C


मेन्स

प्रश्न. ब्रिटिश बागान मालिकों ने असम से हिमाचल प्रदेश तक शिवालिक और लघु हिमालय के चारों ओर चाय बागान विकसित किये थे, जबकि वास्तव में वे दार्जिलिंग क्षेत्र से आगे सफल नहीं हुए। चर्चा कीजिये। (2014)