रैपिड फायर
ताइवान का भू-राजनीतिक महत्त्व
- 05 Mar 2025
- 2 min read
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
अमेरिका ने अपनी ताइवान फैक्टशीट को संशोधित किया, जिसमें "हम ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करते हैं" को हटाने के साथ ताइवान की वैश्विक भागीदारी का समर्थन किया। चीन द्वारा इसका विरोध किया गया।
- ताइवान संबंध अधिनियम (वर्ष 1979): यह अधिनियम अमेरिका-ताइवान संबंधों को बढ़ावा देता है, बीजिंग की आपत्तियों के बावजूद व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और रक्षात्मक हथियारों की बिक्री सुनिश्चित करता है।
- ताइवान का महत्त्व: पूर्वी चीन सागर में स्थित ताइवान क्षेत्रीय व्यापार के लिये महत्त्वपूर्ण है, ताइवान जलडमरूमध्य एक प्रमुख वैश्विक शिपिंग मार्ग है।
- इसके अतिरिक्त, ताइवान विश्व के 60% से अधिक सेमीकंडक्टर और लगभग 90% सबसे उन्नत चिप्स का निर्माण करता है, जिससे यह वैश्विक तकनीकी आपूर्ति शृंखला में एक महत्त्वपूर्ण खिलाड़ी बन गया है।
- चीन और ताइवान: चीन का मानना है कि ताइवान चीन का अभिन्न अंग है तथा दोनों देशों को अंततः वन चाइना पालिसी के तहत पुनः एकीकृत होना चाहिये।
- दूसरी ओर, अपने स्वयं के संविधान और निर्वाचित पदाधिकारियों के साथ, ताइवान स्वयं को एक स्वशासित लोकतंत्र मानता है।
- भारत की एक चीन नीति: भारत वन चाइना पालिसी का पालन करता है, वर्ष 2003 में भारत ने चीन के साथ एक संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किये, जिसमें तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र को चीन के क्षेत्र के रूप में मान्यता दी गई।
और पढ़ें: चीन-ताइवान संघर्ष