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सर्वोच्च न्यायालय ने विज्ञापनदाताओं के लिये स्व-घोषणा अनिवार्य की

  • 05 Jun 2024
  • 2 min read

स्रोत: पीआईबी

हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि सभी विज्ञापनदाताओं/विज्ञापन एजेंसियों को किसी भी विज्ञापन को प्रकाशित या प्रसारित करने से पहले एक 'स्व-घोषणा प्रमाणपत्र' प्रस्तुत करना होगा।

  • इसका उद्देश्य पारदर्शिता, उपभोक्ता संरक्षण और ज़िम्मेदार विज्ञापन प्रथाओं को सुनिश्चित करना है।
  • ये नियम 18 जून, 2024 से सभी नए विज्ञापनों पर लागू होंगे।
  • यह केबल टेलीविज़न नेटवर्क (Cable Television Networks- CTN) नियम, 1994 के नियम 7 और भारतीय प्रेस परिषद के पत्रकारिता आचरण मानदंडों में दिये गए दिशानिर्देशों सहित सभी प्रासंगिक नियामक दिशानिर्देशों का अनुपालन भी सुनिश्चित करेगा।
    • CTN के नियम 7 में प्रावधान है कि विज्ञापनों को भारतीय कानूनों का पालन करना चाहिये तथा दर्शकों की नैतिकता, शालीनता और धार्मिक संवेदनशीलता को ठेस पहुँचाने से बचना चाहिये।
  • विज्ञापनदाता के अधिकृत प्रतिनिधि द्वारा हस्ताक्षरित प्रमाणपत्र प्रसारण सेवा पोर्टल (टी.वी./रेडियो विज्ञापनों के हेतु) और भारतीय प्रेस परिषद पोर्टल (प्रिंट व डिजिटल मीडिया विज्ञापनों हेतु) पर प्रस्तुत किया जा सकता है।
  • विज्ञापनदाताओं को संबंधित प्रसारक, मुद्रक, प्रकाशक या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्लेटफॉर्म के रिकॉर्ड हेतु  स्व-घोषणा प्रमाणपत्र अपलोड करने का प्रमाण उपलब्ध कराना आवश्यक होता है।

और पढ़ें: भारत में भ्रामक विज्ञापनों का विनियमन, केबल टेलीविज़न नेटवर्क नियमों में परिवर्तन, पत्रकारिता सूत्रों का प्रकटीकरण

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