अतिचालकता | 20 Jan 2023
हाल ही में इटली में L'Aquila विश्वविद्यालय के भौतिकविदों द्वारा पहली बार पारे (Mercury) की अतिचालकता के संबंध में सूक्ष्मता से जानकारी प्रदान की गई है या यूँ कहें कि एक सूक्ष्म समझ विकसित हुई है।
- अतिचालकता की विशेषता से पूर्ण पहली सामग्री पारा थी, लेकिन शोधकर्त्ताओं को यह समझाने में 111 वर्ष लग गए कि आखिर यह ऐसा कैसे करता है।
अतिचालकता:
- किसी प्रतिरोध के बिना विद्युत धारा को प्रवाहित करने की किसी पदार्थ की क्षमता को अतिचालकता कहा जाता है। यह तब होता है जब किसी पदार्थ को क्रांतिक ताप (Critical Temperature) से नीचे ठंडा किया जाता है।
पारे की अतिचालकता:
- परिचय:
- वर्ष 1911 में हाइके कामरलिंघ ऑन्स ने पारे में अतिचालकता की खोज की।
- ऑन्स ने पदार्थ को पूर्ण शून्य (सबसे कम संभव तापमान) तक ठंडा करने की विधि की खोज की थी।
- इस विधि का उपयोग करते हुए उन्होंने पाया कि बहुत कम तापमान पर जिसे थ्रेशोल्ड तापमान (Threshold Temperature) कहा जाता है, ठोस पारा विद्युत प्रवाह का कोई प्रतिरोध नहीं करता है। यह भौतिकी के क्षेत्र में ऐतिहासिक खोज है।
- विभिन्न पद्धतियाँ: पारे की अतिचालकता को विभिन्न पद्धतियों द्वारा समझाया गया है:
- BCS सिद्धांत:
- बार्डीन-कूपर-श्रिफर (Bardeen-Cooper-Schrieffer- BCS) अतिचालक में परमाणुओं के ग्रिड द्वारा उत्पन्न कंपन ऊर्जा इलेक्ट्रॉनों को जोड़ी बनाने के लिये प्रोत्साहित करती है, जिससे तथाकथित कूपर जोड़े बनते हैं।
- ये तांबे के जोड़े एक धारा में जल की भाँति आगे बढ़ सकते हैं, जो एक थ्रेसहोल्ड तापमान के नीचे अपने प्रवाह के लिये कोई प्रतिरोध नहीं करता है।
- ये बता सकते हैं कि पारा का इतना कम थ्रेसहोल्ड तापमान (लगभग -270 डिग्री सेल्सियस) क्यों है।
- स्पिन-ऑर्बिट कपलिंग:
- स्पिन-ऑर्बिट कपलिंग (SOC) वह तरीका है जिससे एक इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा उसके स्पिन और गति के बीच के संबंध से प्रभावित होती है।
- SOC ने फोनाॅन की ऊर्जा का बेहतर दृश्य प्रदान किया और समझाया कि पारा में इतना कम थ्रेसहोल्ड तापमान (लगभग -270 डिग्री सेल्सियस) क्यों है।
- कूलॉम प्रतिकर्षण:
- एक अन्य कारक प्रत्येक जोड़ी में दो इलेक्ट्रॉनों के बीच कूलॉम प्रतिकर्षण (जैसे 'आवेश प्रतिकर्षण ') था।
- अतिचालकता की अवस्था को इलेक्ट्रॉनों के बीच एक आकर्षी अंतःक्रिया, फोनाॅन द्वारा मध्यस्थता तथा प्रतिकर्षी कूलॉम अन्तःक्रिया (ऋणात्मक आवेशों के बीच विद्युत स्थैतिक प्रतिकर्षण) संतुलन द्वारा निर्धारित किया जाता है।
- BCS सिद्धांत:
पारा:
- पारा प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला तत्त्व है जो वायु, जल और मृदा में पाया जाता है।
- प्राकृतिक प्रक्रियाओं जैसे- चट्टानों के अपक्षय, ज्वालामुखी विस्फोट, भूतापीय गतिविधियों, वनाग्नि आदि के माध्यम से वातावरण में उत्सर्जित होता है।
- मानव गतिविधियों के माध्यम से भी पारा उत्सर्जित होता है।
- यह एकमात्र ऐसी धातु है जो कमरे के तापमान पर द्रव अवस्था में रहती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. पुराने और प्रयुक्त कंप्यूटरों या उनके पुर्जों के असंगत/अव्यवस्थित निपटान के कारण निम्नलिखित में से कौन-से ई-अपशिष्ट के रूप में पर्यावरण में निर्मुक्त होते हैं?
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 3, 4, 6 और 7 उत्तर: (b) |