सुपर ब्लू मून | 01 Sep 2023
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
30 अगस्त, 2023 की रात आकाश एक दुर्लभ घटना सुपर ब्लू मून से प्रकाशित हुआ। हालाँकि अपने नाम के बावजूद इस पूर्णिमा का चंद्रमा न तो नीले रंग का था और न ही आकार में बड़ा।
- राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (NASA) के अनुसार, आखिरी सुपर ब्लू मून वर्ष 2009 में देखा गया था और अगली बार वर्ष 2037 में दिखाई देगा।
सुपर ब्लू मून:
- ब्लू मून और सुपर मून दोनों संयुक्त रूप से एक बड़े और चमकीले चंद्रमा के साथ आकाश को रोशन करते हैं।
- सुपर मून की घटना तब होती है जब चंद्रमा अपनी कक्षा के दौरान पृथ्वी के करीब आ जाता है, जिससे वह बड़ा और चमकीला दिखाई देता है।
- उपभू (Perigee) नामक यह संरेखण अपभू (Apogee) के विपरीत होता है जब चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर अपनी अंडाकार कक्षा में सबसे दूर होता है, जबकि क्षितिज के निकट यह अंतर सूक्ष्म होता है, एक ऑप्टिकल भ्रम (जिसे दृश्य भ्रम भी कहा जाता है ) इसे बड़ा दिखा सकता है।
- "सुपर मून" शब्द वर्ष 1979 में ज्योतिषी रिचर्ड नोल द्वारा गढ़ा गया था।
- जब एक कैलेंडर माह में दो पूर्णिमा हों तो दूसरी पूर्णिमा का चाँद ‘ब्लू मून’ कहलाता है। अपने नाम के बावजूद ब्लू मून, ब्लू नहीं होता बल्कि यह एक महीने में दूसरी पूर्णिमा का पारंपरिक नाम है।
- कभी-कभी वायु में धुएँ या धूल के कण प्रकाश की लाल तरंगदैर्ध्य को बिखेर सकते है, जिसके परिणामस्वरूप कुछ स्थानों पर चंद्रमा सामान्य से अधिक नीला दिखाई दे सकता है, लेकिन इसका "नीला" चंद्रमा नाम से कोई लेना-देना नहीं है।
- प्रभाव:
- सुपर मून के दौरान चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल ज्वार को प्रभावित करता है, जिससे तटीय उच्च और निम्न ज्वार में मामूली उतार-चढ़ाव होता है। हालाँकि यह अंतर आमतौर पर इतना महत्त्वपूर्ण नहीं होता कि इससे बड़े व्यवधान उत्पन्न हो सकें।