सुक्रालोज़: मधुमेह रोगियों हेतु एक आशाजनक मधुरक | 09 Aug 2024

स्रोत: द हिंदू

भारत में हाल ही में किये गए एक अध्ययन में टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित व्यक्तियों के बीच सुक्रोज़ (टेबल शुगर) के विकल्प के रूप में गैर-पोषक मधुरक सुक्रालोज़ के उपयोग के संभावित लाभों पर प्रकाश डाला गया।

  • यह अध्ययन गैर-मधुमेह रोगियों में वज़न नियंत्रण के लिये गैर-पोषक मधुरक (Non-Nutritive Sweeteners- NNS) के प्रति विश्व स्वास्थ्य संगठन की हाल की चेतावनी के विपरीत है।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष क्या थे?

  • अध्ययन में हस्तक्षेप और नियंत्रण समूहों के बीच रक्त ग्लूकोज़ नियंत्रण के प्रमुख संकेतक, ग्लूकोज़ या HbA1c के स्तर में कोई महत्त्वपूर्ण परिवर्तन नहीं पाया गया
  • सुक्रालोज़ का उपयोग करने वाले प्रतिभागियों के शरीर के वज़न, कमर की परिधि और बॉडी मास इंडेक्स (BMI) में मामूली सुधार देखा गया।
  • सुक्रालोज़ का विवेकपूर्ण उपयोग समग्र कैलोरी और चीनी के सेवन को कम करने में मदद कर सकता है, जो मधुमेह के प्रभावी प्रबंधन के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • महत्त्व: ये निष्कर्ष भारत के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, जहाँ मधुरक का प्रयोग आम तौर पर कम होता है। अध्ययन से पता चलता है कि सुक्रालोज़ देश में मधुमेह रोगियों के लिये आहार अनुपालन में सुधार और वज़न प्रबंधन में सहायता कर सकता है।

चीनी तथा चीनी के विकल्प क्या हैं?

  • चीनी: यह फाइबर और स्टार्च के साथ कार्बोहाइड्रेट का एक रूप है। जबकि कार्बोहाइड्रेट हमारे स्वास्थ्य के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, चीनी स्वयं आवश्यक नहीं है।
    • सफेद टेबल शुगर (चीनी), जिसे सुक्रोज़ के रूप में जाना जाता है, सबसे व्यापक रूप से प्रयोग किया जाने वाला मधुरक है।
    • अन्य प्राकृतिक मधुरक में शामिल हैं: फ्रेक्टोज़, गैलेक्टोज़, ग्लूकोज़, लैक्टोज़, माल्टोज़।
  • चीनी के विकल्प:
    • चीनी के विकल्प चीनी से जुड़ी कैलोरी के बिना मीठा स्वाद देते हैं, कुछ में बिल्कुल भी कैलोरी नहीं होती है।
    • वे आमतौर पर ‘चीनी मुक्त’, ‘कीटो’, ‘कम कार्ब’ या ‘आहार’ के रूप में लेबल किये गए उत्पादों में पाए जाते हैं।
  • चीनी के विकल्प के प्रकार:
    • कृत्रिम मधुरक : इन्हें गैर-पोषक मधुरक  (NNS) के रूप में भी जाना जाता है, इन्हें मुख्य रूप से प्रयोगशालाओं में रसायनों से संश्लेषित किया जाता है, या प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से प्राप्त किया जाता है। ये टेबल शुगर की तुलना में 200 से 700 गुना अधिक मीठे हो सकते हैं।
      • उदाहरण: एसेसल्फेम पोटेशियम (Ace-K), एडवांटेम, एस्पार्टेम, नियोटेम, सैकरीन, सुक्रालोज़ आदि।
    • शुगर एल्कोहल: ये कृत्रिम रूप से चीनी से प्राप्त होते हैं और कई प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में उपयोग किये जाते हैं। ये कृत्रिम मधुरक की तुलना में कम मीठे होते हैं और च्युइंग-गम व हार्ड कैंडी जैसे उत्पादों को बनावट एवं स्वाद प्रदान करते हैं।
      • उदाहरण: एरिथ्रिटोल, आइसोमाल्ट, लैक्टिटोल, माल्टिटोल, सोर्बिटोल और ज़ाइलिटोल आदि।
    • नोवेल मधुरक : ये प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त होते हैं और कृत्रिम एवं प्राकृतिक दोनों प्रकार के मधुरक के लाभ प्रदान करते हैं। इनमें कैलोरी और मधुरकता कम होती है, जिससे वज़न और रक्त शर्करा में वृद्धि नहीं होती है तथा ये सामान्यतः कम प्रसंस्कृत होते हैं जो उनके प्राकृतिक स्रोतों से काफी मिलते जुलते हैं।
      • उदाहरण: एलुलोज़, मॉन्क फ्रूट, स्टीविया, टैगेटोज़ आदि

मधुमेह क्या है?

  • परिचय:
    • मधुमेह या मधुमेह मेलेटस (DM) एक चिकित्सीय विकार है, जिसमें इंसुलिन का अपर्याप्त उत्पादन या इंसुलिन के प्रति असामान्य अनुक्रिया होती है, जिसके कारण रक्त शर्करा   (ग्लूकोज़) का स्तर बढ़ जाता है।
    • जबकि 70–110 mg/dL रक्त ग्लूकोज़ (उपवास) को सामान्य माना जाता है, 100 से 125 mg/dL के बीच रक्त ग्लूकोज़ स्तर को प्री-डायबिटीज़ माना जाता है तथा 126 mg/dL या इससे अधिक के ग्लूकोज़ स्तर को मधुमेह के रूप में परिभाषित किया गया है।

मधुमेह के प्रकार

टाइप 1 मधुमेह

टाइप 2 मधुमेह

कारण

इसमें अग्नाशय इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है, क्योंकि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अग्नाशय में इंसुलिन बनाने वाली लैंगरहैंस की द्विपिकाओं पर हमला करती है।

इसमें अग्नाशय कम इंसुलिन बनाता है और शरीर इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी हो जाता है।

व्यापकता

टाइप 1 मधुमेह जिससे लगभग 5-10% लोग प्रभावित हैं, आमतौर पर 30 वर्ष की आयु से पहले विकसित हो जाता है, हालाँकि यह इस उम्र के बाद भी विकसित हो सकता है।

टाइप 2 मधुमेह अधिक आम है, लेकिन यह आमतौर पर 30 वर्ष की आयु के बाद विकसित होता है और उम्र के साथ बढ़ता जाता है।

रोकथाम

इसकी रोकथाम नहीं की जा सकती।

जीवनशैली में बदलाव करके इसकी रोकथाम की जा सकती है।