सुबनसिरी बाँध परियोजना | 05 Apr 2023
असम-अरुणाचल सीमा पर लोअर सुबनसिरी जलविद्युत परियोजना (SLHEP) हाल ही में मानसून पूर्व बारिश के दौरान भूस्खलन की चपेट में आ गई।
- हालाँकि परियोजना को कोई क्षति नहीं हुई है और जून 2023 से इसका संचालन आरंभ हो जाएगा।
भूस्खलन:
- परिचय:
- भूस्खलन को पृथ्वी के ढलान के नीचे की ओर व्यापक रूप से मृदा, चट्टान और मलबे के संचलन के रूप में परिभाषित किया गया है। इस शब्द में ढलान की गति के 5 प्रकार शामिल हैं: गिरना (Falls), लुढ़कना (Topples), फिसलना (Slides), प्रसरण (Spreads) और प्रवाहित होना (Flows)।
- प्रमुख कारण:
- भू-विज्ञान: पदार्थ के लक्षण; पृथ्वी या चट्टान कमज़ोर या खंडित हो सकती है या अलग-अलग परतों में भिन्न प्रकार की प्रबलता एवं कठोरता आ सकती है।
- आकृति विज्ञान: भूमि की संरचना; अग्नि या सूखे की स्थिति में वनस्पति विहीन ढलान भूस्खलन के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
- प्राकृतिक कारण: भारी वर्षा, भूकंप, हिमपात और बाढ़ के कारण ढाल का कटाव।
- मानव गतिविधि: कृषि और निर्माण कार्यों से भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है।
- भूस्खलन-प्रवण क्षेत्र:
- संपूर्ण हिमालयी पथ:
- ~ 66.5% भूस्खलन उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र से और ~ 18.8% पूर्वोत्तर हिमालय से रिपोर्ट किये गए हैं।
- पश्चिमी घाट (~14%) और कोंकण क्षेत्र
- तमिलनाडु में नीलगिरि
- संपूर्ण हिमालयी पथ:
लोअर सुबनसिरी जलविद्युत परियोजना (SLHEP):
- परिचय:
- SLHEP 2000 मेगावाट (8x250 मेगावाट) क्षमता वाला एक निर्माणाधीन ग्रेविटी (गुरुत्त्व) बाँध (लगभग 90% काम पूरा) है।
- यह भारत में अब तक की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना है तथा सुबनसिरी नदी पर एक रन ऑफ रिवर योजना है।
- रन-ऑफ-रिवर बाँध वह होता है जिसमें बाँध के नीचे की ओर नदी का जल प्रवाह बाँध के ऊपरी भाग में नदी के जल प्रवाह के समान होता है।
- दूसरे शब्दों में जल को बाँध में रोका/संग्रहीत नहीं किया जाता है; यह नदी के साथ प्रवाहित होता है।
- SLHEP का निर्माण राष्ट्रीय जलविद्युत निगम (National Hydroelectric Power Corporation- NHPC) लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है।
- सुबनसिरी नदी:
- सुबनसिरी या "गोल्ड रिवर" ऊपरी ब्रह्मपुत्र नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
- यह तिब्बती हिमालय से निकलती है और अरुणाचल प्रदेश (मिरी हिल्स) से होकर भारत में प्रवेश करती है।
- SLHEP के संबंध में विवाद: परियोजना के कार्यान्वयन में शामिल बाँध सुरक्षा और प्रशासनिक जैसे कई मुद्दों पर स्थानीय आंदोलन के कारण परियोजना को लंबित थी:
- SLHEP ने ब्रह्मपुत्र बोर्ड अधिनियम, 1980 का उल्लंघन करते हुए सुबनसिरी बेसिन के जल संसाधन विभाग के कार्य को ब्रह्मपुत्र बोर्ड से सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया।
- जैसा कि IIT रुड़की द्वारा आकलन किया गया है कि बाँध के भूकंपीय खतरे के स्तर में वृद्धि होने की संभावना है।
नोट:
- अरुणाचल प्रदेश को प्रायः देश के विद्युतघर के रूप में जाना जाता है, यह देश की 148,701 मेगावाट जलविद्युत क्षमता में 34% (50,328 मेगावाट) का भागीदार है।
ग्रैविटी डैम:
- ग्रैविटी डैम का निर्माण कंक्रीट अथवा सीमेंट से किया जाता है (तटबंधों के निर्माण में उपयोग किये जाने वाली मृदा और चिनाई वाले पत्थरों के विपरीत)।
- जल प्रतिधारण की इसकी प्राथमिक विधि जल के क्षैतिज दबाव का सामना करने के लिये उपयोग की गई सामग्री के वज़न पर निर्भर करती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित नदियों पर विचार कीजिये: (2014)
उपर्युक्त में से कौन अरुणाचल प्रदेश से होकर बहती है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) |