स्वामी रामानुजाचार्य का स्टैच्यू ऑफ पीस | 12 Jul 2022
हाल ही में श्रीनगर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्वामी रामानुजाचार्य के स्टैच्यू ऑफ पीस का अनावरण किया।
रामानुजाचार्य:
- रामानुजाचार्य का जन्म वर्ष 1017 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में हुआ था।
- रामानुजाचार्य एक वैदिक दार्शनिक और समाज सुधारक थे।
- उन्होंने समानता और सामाजिक न्याय का समर्थन करते हुए पूरे भारत की यात्रा की।
- उन्होंने भक्ति आंदोलन को पुनर्जीवित किया और उनके उपदेशों ने अनेक भक्ति विचारधाराओं को प्रेरित किया।
- विशिष्टाद्वैत वेदांत दर्शन की एक अद्वैतवादी परंपरा है।
- वे भक्ति आंदोलन के उपदेशक और अन्य सभी भक्ति विचारधाराओं के स्रोत बने।
- वह कबीर, मीराबाई, अन्नामचार्य, भक्त रामदास, त्यागराज और कई अन्य रहस्यवादी कवियों के लिये एक प्रेरणा थे।
- उन्होंने इस अवधारणा की शुरुआत की कि प्रकृति और उसके संसाधन जैसे- जल, वायु, मिट्टी, वृक्ष, आदि पवित्र हैं और उन्हें प्रदूषण से बचाया जाना चाहिये।
इसे स्टेच्यू ऑफ पीस क्यों कहा जाता है?
- स्टेच्यू ऑफ पीस की स्थापना से सभी धर्मों के कश्मीरियों को रामानुजाचार्य का आशीर्वाद और संदेश प्राप्त होगा ताकि कश्मीर को शांति और प्रगति के पथ पर ले जाया जा सके।
- यह बिना किसी भेदभाव के कश्मीर के लोगों के विकास में सहायक होगा।
संत रामानुज का कश्मीर से संबंध:
- रामानुजाचार्य 11वीं शताब्दी में ब्रह्म सूत्र पर लिखे ग्रंथ बोधायन वृत्ति नामक एक महत्त्वपूर्ण पांडुलिपि प्राप्त करने के लिये कश्मीर गए थे।
- बोधायन वृत्ति को ब्रह्म सूत्र की सबसे आधिकारिक व्याख्या होने की प्रतिष्ठा प्राप्त थी।
- उनके शिष्य कुरेशा उनके साथ थे और उन्होंने पूरे पाठ को अपनी स्मृति में आत्मसात कर लिया क्योंकि स्थानीय विद्वानों ने रामानुजाचार्य को पांडुलिपि को कश्मीर से बाहर ले जाने की अनुमति नहीं दी।
- श्रीरंगम लौटने के बाद रामानुजाचार्य ने श्री भाष्यम, ब्रह्म सूत्र पर टीका और अपने सबसे उल्लेखनीय कार्य को कुरेशा को निर्देशित किया,जिन्होंने इसे लिखा था।
- श्री भाष्यम को इस क्षेत्र को समर्पित करने के लिये रामानुजाचार्य 2 वर्ष बाद फिर से कश्मीर लौट आए।