कोयला खदानों के लिये स्टार रेटिंग पंजीकरण प्रक्रिया | 23 Jun 2023

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में कोयला मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिये कोयला और लिग्नाइट खदानों की स्टार रेटिंग पंजीकरण प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की है।

पंजीकरण संबंधी प्रमुख बिंदु:

  • प्रक्रिया: 
    • प्रक्रिया में भाग लेने वाली खदानों को स्व-मूल्यांकन प्रक्रिया से गुज़रना होगा तथा शीर्ष 10% प्रदर्शन करने वाली खदानों को एक समिति द्वारा किये गए निरीक्षण के माध्यम से पुनः मान्य किया जाएगा।
    • जबकि शेष 90% खदानों को एक ऑनलाइन समीक्षा प्रक्रिया से गुज़रना होगा तथा अन्य सभी प्रतिभागी खदानों की समीक्षा कर मूल्यांकन में योगदान कर सकते हैं।
    • यह मूल्यांकन कोयला नियंत्रक संगठन द्वारा किया जाएगा।
    • फाइव स्टार से लेकर नो स्टार तक की रेटिंग दी जाएगी जिसमें प्रत्येक खदान की उपलब्धियों का व्यापक मूल्यांकन किया जाएगा।
  • उद्देश्य: 
    • इसका उद्देश्य खदानों के बीच प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना एवं वैधानिक प्रावधानों के अनुपालन, उन्नत खनन प्रौद्योगिकी को अपनाने तथा आर्थिक उपलब्धियों के आधार पर उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन को पहचानना है।
  • मापदंड: 
    • स्टार रेटिंग नीति का लक्ष्य सात प्रमुख मापदंडों के विभिन्न कारकों के आधार पर खानों का मूल्यांकन करना है, ये हैं: 
      • खनन कार्य
      • पर्यावरण संबंधी मापदंड
      • प्रौद्योगिकियों को अपनाना 
      • सर्वोत्तम खनन पद्धतियाँ  
      • आर्थिक प्रदर्शन  
      • पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन
      •  कार्यकर्ता-संबंधित अनुपालन और सुरक्षा एवं संरक्षा

कोयला: 

  • परिचय: 
    • यह एक प्रकार का जीवाश्म ईंधन है जो तलछटी चट्टानों के रूप में पाया जाता है और इसे अक्सर 'ब्लैक गोल्ड' के रूप में जाना जाता है।
    • यह सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला जीवाश्म ईंधन है। इसका उपयोग घरेलू ईंधन के रूप में लोहा, इस्पात, भाप इंजन जैसे उद्योगों में और बिजली पैदा करने के लिये किया जाता है। कोयले से उत्पन्न बिजली को ‘थर्मल पावर’ कहते हैं।
    • विश्व के प्रमुख कोयला उत्पादकों में चीन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और भारत शामिल हैं।
    • भारतीय कोयले में राख की मात्रा अधिक (35 से 45%) होती है और इसमें सल्फर की मात्रा लगभग 0.5% होती है, जबकि विश्व के अन्य हिस्सों में पाए जाने वाले कोयले में राख की मात्रा 15% होती है।
  • भारत में कोयले का वितरण:
    • गोंडवाना कोयला क्षेत्र (250 मिलियन वर्ष पुराना):
      • भारत के लगभग 98% कोयला भंडार और कुल कोयला उत्पादन का 99% गोंडवाना क्षेत्रों से प्राप्त होता है।
      • भारत के गोंडवाना क्षेत्र से धातुकर्म ग्रेड के साथ-साथ बेहतर गुणवत्ता वाला कोयला प्राप्त होता है।
      • यह दामोदर (झारखंड-पश्चिम बंगाल), महानदी (छत्तीसगढ़-ओडिशा), गोदावरी (महाराष्ट्र) और नर्मदा घाटियों में पाया जाता है।
    • टर्शियरी कोयला क्षेत्र (15-60 मिलियन वर्ष पुराना):
      • इसमें कार्बन की मात्रा बहुत कम लेकिन नमी और सल्फर की मात्रा भरपूर होती है।
      • टर्शियरी कोयला क्षेत्र मुख्य रूप से अतिरिक्त प्रायद्वीपीय क्षेत्रों तक ही सीमित है।
      • प्रमुख क्षेत्रों में असम, मेघालय, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल में स्थित दार्जिलिंग की हिमालय की तलहटी, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और केरल शामिल हैं।
  • वर्गीकरण: 
    • एन्थ्रेसाइट (कार्बन- 80-95%, जम्मू-कश्मीर में कम मात्रा में पाई जाती है)।
    • बिटुमिनस (कार्बन- 60-80%, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में पाया जाता है)।
    • लिग्नाइट (कार्बन- 40-55%, इसमें नमी उच्च होती है और यह राजस्थान, लखीमपुर (असम) तथा तमिलनाडु में पाया जाता है)।
    • पीट (कार्बन- 40% से कम और यह कार्बनिक पदार्थ (लकड़ी) से कोयले में परिवर्तन का पहला चरण है)। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न . निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारतीय कोयले का/के अभिलक्षण है/हैं? (2013) 

  1. उच्च भस्म अंश
  2. निम्न सल्फर अंश 
  3. निम्न भस्म संगलन तापमान 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)

स्रोत: पी.आई.बी.