श्री विजयपुरम | 16 Sep 2024
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में भारत सरकार ने केंद्रशासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलने की घोषणा की।
- यह नया नाम, 'श्री विजयपुरम' हमारे स्वाधीनता के संघर्ष और इसमें अंडमान और निकोबार के योगदान को दर्शाता है।
- पोर्ट ब्लेयर का इतिहास: अंडमान द्वीप समूह 11 वीं शताब्दी में राजेंद्र चोल प्रथम के अधीन चोल साम्राज्य के लिये एक रणनीतिक नौसैनिक अड्डे के रूप में कार्य करता था , जिन्होंने श्रीविजय साम्राज्य (वर्तमान इंडोनेशिया) पर आक्रमण किया था , जो भारत के इतिहास में एक अद्वितीय सैन्य घटना थी।
- श्रीविजय पर चोल आक्रमण को चोल प्रभुत्व का विस्तार और व्यापार मार्गों की सुरक्षा के प्रयास के रूप में देखा गया।
- पोर्ट ब्लेयर का नाम ब्रिटिश नौसेना अधिकारी आर्चीबाल्ड ब्लेयर के नाम पर रखा गया, जो ब्रिटिश शासन के दौरान, विशेष रूप से वर्ष 1857 के विद्रोह के बाद एक दंडात्मक उपनिवेश और उत्पीड़न के प्रतीक के रूप में था।
- भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के समय वर्ष 1906 में काला पानी के नाम से एक विशाल सेलुलर जेल की स्थापना की गई, जहाँ वीर दामोदर सावरकर सहित कई स्वतंत्रता सेनानियों को रखा गया था।
- 30 दिसंबर, 1943 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने पोर्ट ब्लेयर में भारतीय भूमि पर पहली बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह बंगाल की खाड़ी में रणनीतिक रूप से स्थित है , जो संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (United Nations Convention on the Law of the Sea - UNCLOS) के तहत पर्याप्त समुद्री स्थान प्राप्त है, जो पूर्व से आने वाले किसी भी समुद्री खतरे के विरुद्ध महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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