सौर कोरोनल छिद्र | 24 Feb 2025

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही के अध्ययन में भारतीय खगोलविदों ने सौर कोरोनाल छिद्रों (Solar Coronal Holes- SCH) की तापीय और चुंबकीय क्षेत्र संरचनाओं का सटीक अनुमान लगाया है।

सौर कोरोनल छिद्र क्या हैं?

  • परिचय: कोरोनाल छिद्र सूर्य के विशाल, अदीप्त क्षेत्र हैं जिनकी शीतलता आस-पास के प्लाज़्मा की तुलना में अधिक और सघनता कम होती है। इसकी खोज सर्वप्रथम 1970 के दशक में एक्स-रे उपग्रहों द्वारा की गई थी।
  • उपस्थिति:
    • ये उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहाँ सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र अंतराग्रहीय अंतरिक्ष के लिये विवृत अथवा मुक्त होता है, जिससे उच्च चाल सौर वात (भूचुंबकीय झंझावात) बच जाती है।
      • मुक्त चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ वे चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ होती हैं जो संवृत पाश (Closed Loop) नहीं बनातीं, बल्कि अपने उद्गम पर वापस आए बिना अंतरिक्ष में बाहर की ओर विस्तारित होती हैं। 
    • कोरोनल छिद्र् सौर चक्र के घटते चरण के दौरान सर्वाधिक पाए जाते हैं तथा आमतौर पर सूर्य के ध्रुवों के पास पाए जाते हैं।
  • कोरोनल छिद्र के गुण::
    • एकसमान तापमान: कोरोनल छिद्र सभी अक्षांशों पर एकसमान तापमान बनाए रखते हैं, जो सूर्य के भीतर एक गहरी उत्पत्ति का संकेत देता है।
    • चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तन: सौर भूमध्य रेखा से ध्रुवों तक चुंबकीय क्षेत्र की शक्ति बढ़ जाती है, जो संभवतः अल्फवेन तरंग विक्षोभ से प्रभावित होती है।
      • अल्फवेन तरंग विक्षोभ चुंबकीय क्षेत्र और प्लाज्मा आयनों में होने वाले निम्न आवृत्ति के दोलन हैं, जो सौर वायु और जियोस्पेस में अस्थिरता का कारण बन सकते हैं।
  • SCH के प्रभाव:
    • अंतरिक्ष मौसम पर प्रभाव: कोरोनल छिद्रों से निकलने वाली उच्च गति वाली सौर वायु पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के साथ संपर्क करती है, जिससे भू-चुंबकीय तूफान उत्पन्न होते हैं जो उपग्रहों, GPS और संचार नेटवर्क को बाधित कर सकते हैं।
    • भारतीय मानसून पर प्रभाव: अध्ययन से पता चलता है कि, सनस्पॉट के साथ-साथ, कोरोनल छिद्र के विकिरण संबंधी प्रभाव भारतीय मानसून वर्षा परिवर्तनशीलता को प्रभावित करते हैं।
    • आयनमंडलीय विक्षोभ: कोरोनल छिद्र की गतिविधि पृथ्वी के आयनमंडल को प्रभावित करती है, जिससे रेडियो तरंग प्रसार और दूरसंचार प्रणालियों पर असर पड़ता है।

सनस्पॉट

  • सनस्पॉट का आशय सूर्य की सतह पर काले क्षेत्र का होना है जिसका कारण मज़बूत चुंबकीय क्षेत्र होता है। इनका तापमान सूर्य के आस-पास के क्षेत्रों की तुलना में कम होता है जिससे ये सूर्य की सतह (फोटोस्फीयर) पर स्पष्ट दिखाई देते हैं।
  • कोरोनाल होल और सनस्पॉट में स्थान, चुंबकीय क्षेत्र तथा दृश्यता के स्तर पर भिन्नता होती है।

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और पढ़ें: भू-चुंबकीय तूफान

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न: यदि कोई मुख्य सौर तूफान (सौर प्रज्वाल) पृथ्वी पर पहुँचता है, तो पृथ्वी पर निम्नलिखित में से कौन-से संभव प्रभाव होंगे? (2022)

  1. GPS और दिक्संचाल (नैविगेशन) प्रणालियाँ विफल हो सकती हैं।
  2.  विषुवतीय क्षेत्रों में सुनामियाँ आ सकती हैं।
  3.  बिजली ग्रिड क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
  4.  पृथ्वी के अधिकांश हिस्से पर तीव्र ध्रुवीय ज्योतियाँ घटित हो सकती हैं।
  5.  ग्रह के अधिकांश हिस्से पर दावाग्नियाँ घटित हो सकती हैं।
  6.  उपग्रहों की कक्षाएँ विक्षुब्ध हो सकती हैं।
  7.  ध्रुवीय क्षेत्रों के ऊपर से उड़ते हुए वायुयान का लघुतरंग रेडियो संचार बाधित हो सकता है।

नीचे दिये कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2, 4 और 5
(b) केवल 2, 3, 5, 6 और 7
(c) केवल 1, 3, 4, 6 और 7
(d) 1, 2, 3, 4, 5, 6 और 7

उत्तर: (c)